Thursday, April 18, 2024
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बालू का सप्लाई रहेगा पूरी तरह बंद, निर्माण पर पड़ेगा असर – झारखंड बालू ट्रक एसोसिएशन.

रांची जिला बालू ट्रक ओनर एसोसिएशन के बैनर तले रांची में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. एसोसिएशन के अध्यक्ष दिलीप साहू ने पत्रकारों को बताया कि प्रशासन का हर विभाग अपना अपना काम छोड़कर सिर्फ बालू गाड़ी के पीछे पड़ा है. थानेदार, डीएसपी, एसडीओ, एसडीएम, माइनिंग ऑफिसर, माइनिंग इंस्पेक्टर, पीसीआर और थाना के इंस्पेक्टर बालू गाड़ी को पकड़ने में लगे हैं. बालू गाड़ी मालिक अपनी गाड़ी को नियम संगत चलाना चाहते हैं, पर प्रशासन इसकी व्यवस्था नहीं कर पा रहा है.

रांची जिला अंतर्गत बालू की ढुलाई करने वाली गाड़ियों के मालिकों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है. जिसका मुख्य कारण प्रशासन द्वारा गाड़ी मालिकों को प्रताड़ित कर गाड़ी की धरपकड़ करने के पश्चात गाड़ियों के मालिक के ऊपर केस दर्ज करना बताया जा रहा है. साथ ही साथ भारी भरकम जुर्माना भी गाड़ी मालिकों से वसूला जा रहा है.
रांची जिला बालू ट्रक ओनर एसोसिएशन के बैनर तले रांची में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. एसोसिएशन के अध्यक्ष दिलीप साहू ने पत्रकारों को बताया कि प्रशासन का हर विभाग अपना अपना काम छोड़कर सिर्फ बालू गाड़ी के पीछे पड़ा है. थानेदार, डीएसपी, एसडीओ, एसडीएम, माइनिंग ऑफिसर, माइनिंग इंस्पेक्टर, पीसीआर और थाना के इंस्पेक्टर बालू गाड़ी को पकड़ने में लगे हैं. बालू गाड़ी मालिक अपनी गाड़ी को नियम संगत चलाना चाहते हैं, पर प्रशासन इसकी व्यवस्था नहीं कर पा रहा है. ऐसे में गाड़ी मालिकों को दोषी ठहरा कर उनको प्रताड़ित करना कहीं से उचित नहीं है. एसोसिएशन ने सरकार से मांग किया है कि हर बालू घाट पर चालान की व्यवस्था जल्द से जल्द हो और बालू गाड़ी पर जो जुर्माना की राशि है उसमें भी कमी हो. आज किसी की गाड़ी पकड़ी जाती है तो गाड़ी मालिक को 1 लाख से 2 लाख तक का जुर्माना लगाया जा रहा है. जो कहीं से न्याय संगत नहीं है. पत्रकारों के समक्ष ही सरकार और प्रशासन पर आरोप लगाते हुए एसोसिएशन ने कहा कि सरकार अपने संरक्षण में अवैध कारोबार को बढ़ावा दे रही है और लोगों को गलत काम करने के लिए मजबूर कर रही है. जब बालू का टेंडर सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है और सरकारी कार्यप्रणाली के अनुसार बालू का उठाव और चालान की व्यवस्था नहीं है, तो फिर निर्माण से संबंधित टेंडर सरकार के द्वारा क्यों निकाले जाते हैं. उनका निर्माण कैसे होगा? इस पर सरकार को सोचने की जरूरत है. यदि इन सब बातों पर सरकार नहीं सोचती है तो एसोसिएशन ने आंदोलन को बड़ा रूप देने की बात कही है. एसोसिएशन के अध्यक्ष दिलीप साहू ने कहा कि बालू से संबंधित अनियमितता को लेकर हम लोगों ने खनन विभाग के सचिव से भी मुलाकात की, जिस पर उनका जवाब संतोषप्रद नहीं था. एसोसिएशन के मुताबिक खनन सचिव ने कहा कि अभी बालू से संबंधित नियम बनाने में समय लगेगा. एसोसिएशन के सदस्य राजेश रंजन ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर हम लोग मुख्यमंत्री के पास जाएंगे. यदि हमारी मांगे नहीं मानी जाती है तो शहर में बालू की उपलब्धता पूरी तरह से ठप कर दिया जाएगा. जिससे सरकार के साथ-साथ आम नागरिकों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब बालू का टेंडर सरकार के द्वारा नहीं निकाला जा रहा है तो सरकारी विभाग से संबंधित निर्माण कार्य कैसे पूरे किए जा रहे हैं? क्या निर्माण कार्य के लिए बालू दूसरे राज्यों से मंगाया जा रहे हैं या फिर सरकार के ही अधिकृत अधिकारियों के नाक के नीचे से अवैध बालू का कारोबार इनकी सरपरस्ती में ही फल फूल रहा है? जिसका शिकार बालू ढोने वाले गाड़ी मालिक हो रहे हैं. ऐसे में भ्रष्टाचार और अवैध कारोबार के रूप में जकड़े हुए बालू के कारोबार से मोटी कमाई करने वाले माफिया और लाभान्वित पदाधिकारी तो शायद ही चाहेंगे कि बालू कारोबार से जुड़ा नियमन सर्व सुलभ और जनहितकारी हो. क्योंकि, जैसे ही बालू का नियम के मुताबिक टेंडर निकाला जाएगा और चालान और जरूरी कागजातों के साथ विशुद्ध कारोबार होगा तो फिर माफिया और लाभान्वित पदाधिकारियों को तो काफी नुकसान उठाना पड़ेगा!
हालांकि झारखंड में सरकार बदली है साथ ही लोगों की इस सरकार से उम्मीदें भी बढ़ी है. कई सरकारों के बीते हुए कार्यप्रणाली को यदि देखा जाए तो संभावना तो बहुत कम दिखती है की बालू से जुड़ा कारोबार भ्रष्टाचार से मुक्त और जनहितकारी होगा.
अब आनेवाला समय ही बतायेगा कि नई सरकार(हेमंत सोरेन) भी बालू माफिया और संबंधित पदाधिकारियों के रंग में रंग जाएगी या फिर जनता के उम्मीदों को नया आकार देगी.

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