रांची : सूबे में सत्ता परिवर्तन होते ही नौकरशाही में हलचल बढ़ गई है। ब्यूरोक्रेसी में उथल-पुथल मची है। पिछली सरकार में सत्ता के इर्द-गिर्द चिपके रहने वाले अधिकारियों पर गाज गिरने की संभावनाओं के मद्देनजर कूछ हुक्मरान सहमे हुए हैं। प्रशासनिक गलियारों से छनकर आ रही खबरों के मुताबिक तकरीबन दर्जनभर शीर्ष अधिकारियों के विभाग बदले जाने की चर्चा है। यह भी कयास लगाया जा रहा है कि एक जगह पर या एक विभाग में तीन वर्ष और उससे अधिक समय से टिके हुए अधिकारियों के विभाग बदले जाएंगे। वहीं, पिछली सरकार में हाशिए पर धकेले गए और सरकार के कोपभाजन बने अधिकारियों को मेन स्ट्रीम में लाने की तैयारी है। कयास लगाया जा रहा है कि फिलहाल ब्यूरोक्रेसी में आवश्यक बदलाव तो होंगे ही, लेकिन बड़े पैमाने पर अधिकारियों के विभागों के फेरबदल में मंत्रालय के गठन के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है। कई जिलों के उपायुक्तों पर भी तबादले की गाज गिरने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
है कि सूबे के कई उपायुक्तों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा पहले से ही भाजपा के कैडर की तरह काम करने का आरोप लगाता रहा है। अब वैसे उपायुक्तों को बदले जाने की पूरी संभावना दिख रही है। सूत्रों के अनुसार संताल परगना और कोल्हान प्रमंडल के उपायुक्तों और पुलिस कप्तानों को पहले दौर में तबादला किए जाने की तैयारी है। इसके अतिरिक्त कई जिलों के उपायुक्त और पुलिस कप्तान भी महागठबंधन में शामिल दलों के निशाने पर हैं। जिन पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भाजपा को समर्थन देने का आरोप लगता रहा है।
नए मुख्यमंत्री के सत्ता संभालने और मंत्रिमंडल के गठन के बाद नए कैबिनेट का क्या रुख होता है? यह तो नई सरकार के गठन के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इतना तय है कि ब्यूरोक्रेसी में उलटफेर होगा और कुछ अधिकारियों पर गाज गिरेगी।