रांची : भाजपा के मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष के झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 का चुनाव में हार होने के बाद संगठन के अन्दर व बाहर भारी फजीहतों का सामना करना पड रहा है। महागठबंधन को सरकार बनाने के लिए पूर्ण व जबर्दस्त समर्थन मिला है। इस हार के बाद भाजपा के अन्दर नेतृत्व परिवर्तन के बायर बहने लगे हैं। नेतृत्व कौन करेगा अभी भविष्य के गर्भ में है। वर्तमान में इतना सकेत है कि संगठन से ही किसी को सामने लाया जाएगा। वह भाजपा का पूर्व नेता क्यों न रह चुका हो।
बताया जाता है कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह के कार्यक्रम इस विधानसभा चुनाव को लेकर हुए है, इससे प्रदेश की सरकार से लेकर संगठन के लोगों को जमकर कोसा गया है और अब नव नेतृत्व की बातें होने लगी हैं। संगठन प्रभारी के कार्यशैली पर भी सवालिया खड़ा किया जाता रहा है।पलामू में जब गृह मंत्री की सभा में भीड का नही जुटना। 1 से 4 चरण के चुनाव के दौरान संगठन के अन्दर सुचिता व नैतिक का तार-तार होना। बोकारो विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी के व्यवहार व कार्यशैली को लेकर थूं-थूं की स्थिति उत्पन्न होना। मुख्यमंत्री के खिलाफ मंत्री का चुनाव लडना। सहयोगी संगठन आजसू पार्टी के साथ गठबंधन न होना। सहित ऐसे कई मामलों में प्रदेश नेतृत्व व सरकार की क्षमता को लेकर प्रश्न खडा किये जाने के मामले सामने आ रहे हैं। प्रदेश प्रवक्ता के विवेक पर सवाल खडे हो रहे है। भाजपा की केन्द्रीय टीम बिन्दुवार आकलन व मंथन कर रही है। राज्य में सरकार बनाने को लेकर बहुमत न आना किचकिच होने की स्थिति पर पैनी नजर रखी जा रही है। इन सारी स्थितियों- परिस्थितियों के मद्देनजर प्रदेश नेतृत्व क्षमतावान, कुशल राजनीतिक व रणनीतिकार की तलाश में भाजपा गतिमान है। राजधानी सीट पर भाजपा का मशक्कत के साथ जीतना भी नकारात्मक क्षवि बताया जा रहा है। भाजपा प्रदेश में विरोधाभास की स्थिति को देखते हुए नेतृत्व में बदलाव की सुगबुगाहट शुरु हो गया है।
भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन के बयार- पुष्कर महतो
हार के बाद भाजपा के अन्दर नेतृत्व परिवर्तन के बायर बहने लगे हैं।
Sourcedharmveer singh