इंसान के जीवन पर हुए वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि सिर्फ लाइफ स्टाइल में सुधार कर पूरी तरह स्वस्थ रहा जा सकता है। एक इंसान लाइफ स्टाइल में सुधार कर 150 वर्षों तक जीवित रह सकता है । अब तक विश्व भर के कई विश्वविद्यालयों में मनुष्य की आयु पर कई शोध हुए हैं। सभी शोधों का एक ही निष्कर्ष है कि इंसान अपने लाइफ स्टाइल में सुधार कर लंबा जीवन जी सकता है। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि जिस इंसान के जीवन में जितना तनाव होता है, उसकी उम्र उतनी कम होती है । साथ ही जिस इंसान के जीवन में जितना कम तनाव होता है, उसकी उम्र इतनी लंबी होती है । इंसान अपने लाइफ स्टाइल के बल पर 150 वर्षों तक स्वस्थ रहकर अंत में आनंद के साथ मृत्यु को प्राप्त कर सकता है। अब सवाल यह उठता है कि एक इंसान का लाइफ स्टाइल कैसा होना चाहिए ? इस संबंध में हमारे मनीषियों का एक बड़ा ही सुंदर कथन है, ‘सादा जीवन,उच्च विचार।’ अब स्वयं को देखने की जरूरत है। जिस तरह हम जीवन जी रहे हैं,वह जीवन कैसा है ? बदलती परिस्थितियों, भौतिकतावाद, आधुनिकता और एक दूसरे को आगे निकलने की महत्वाकांक्षा लोगों को तनाव से ग्रसित कर दिया है। जब हम पूरी तरह स्वस्थ रहते हैं, इन बातों पर विचार ही नहीं करते हैं। लेकिन जैसे-जैसे हमारा शरीर कई रोगों से ग्रसित हो जाता है, तब हम जागते हैं। तब तक काफी देर हो चुका होता है। इसलिए बाल कल से ही जागने की जरूरत है। आज संपूर्ण विश्व परिवार को इस विषय पर बहुत ही गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
आज भी भारत सहित विश्व के कई देशों में ऐसे लोग मिल जाएंगे, जिनकी उम्र डेढ़ सौ वर्षों से ज्यादा हैं यह लोग अभी भी स्वस्थ हैं। साथ ही आनंद के साथ जीवन जी रहे । तब फिर विश्व के लगभग लोगों का जीवन औसतन 70 वर्ष ही क्यों है ? दुनिया भर में हर वर्ष लगभग 50 लाख से अधिक लोग असमय गंभीर बीमारियों के कारण मृत्यु को प्राप्त कर लेते हैं। जबकि लगभग बीमारियों से लड़ने की दवाएं विकसित हो चुकी है । दुनिया भर में शल्य चिकित्सा अपनी चरम सीमा पर है। जटिल से जटिल बीमारियों को शल्य चिकित्सा द्वारा ठीक किया जा रहा है। फिर भी औसतन लाइफ 70 में ही आकर रुक जाती है । इस विषय पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
अमेरिका में इंसानों के जीवन पर हुए एक वैज्ञानिक शोध ने यह स्पष्ट किया है कि इंसान 150 साल तक जिंदा रह सकता है । लेकिन आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी, एक दूसरे से आगे निकलने की हड़बड़ी, कम समय में बहुत कुछ पा लेने की महत्वाकांक्षा, तनाव युक्त जीवन शैली ने मनुष्य के जीवन को ही बदल कर के रख दिया है। धीरे-धीरे इंसान की उम्र घटती चली जा रही है। आप जहां रहते हैं, आस-पास में ही गौर करेंगे, तो यह बात स्पष्ट हो जाएगी। हमारे समाज में जो लोग सहजता के साथ जीवन जीते हैं, संयम के साथ जीवन जीते हैं, विलासिता से दूर रहते हैं, आध्यात्मिक जीवन जीते हैं, योग – साधना से जुड़े होते हैं, वे अन्य लोगों की वनिस्पत ज्यादा स्वस्थ और दीर्घायु होते हैं ।
जिनका जीवन तनाव भरा होता है। बहुत भागम भाग भरी जीवन शैली होती है, बहुत आगे बढ़ने की महत्वाकांक्षा होती है, उन लोगों का जीवन बहुत ही तनावपूर्ण होता है । और वे बहुत जल्द ही रोग ग्रसित हो जाते हैं। ऐसे लोग कम उम्र में ही इस दुनिया को अलविदा कह देते। आप एक इंसान है। भगवान नहीं है। आपके लिए कुछ सीमा तय हैं। जब इंसान अपनी सीमाओं को लाघंना शुरू कर देता है, वह मृत्यु के करीब जल्दी पहुंच जाता है। इंसान थोड़ा स धन पाकर,पद पाकर,शक्ति पाकर, वैभव प्रकार अपने आप को विशिष्ट बना लेता है । यह उसकी सबसे बड़ी भूल है। इंसान अपने जन्म से पहले क्या था ? यह उसे ज्ञात नहीं है। मृत्यु के बाद उसका क्या होगा ? इसका भी उसे ज्ञान नहीं है । तब फिर यह पद, धन, वैभव और शक्ति किस काम की है ? एक इंसान को यह जरूर जानना ना चाहिए कि उसका जन्म इस धरा पर नग्न अवस्था में हुआ था । एक दिन उसे नग्न अवस्था में इस जहां से विदा होना है। जन्म से पूर्व धन, पद, वैभव, शक्ति का कुछ अता-पता नहीं होता है । मृत्यु के बाद भी धन,पद वैभव, शक्ति का कुछ भी आता पता नहीं होगा। यही जीवन का यथार्थ है जिस इंसान ने इस यथार्थ को समझ लिया, उसका जीवन बहुत ही सहज और सरल बना जाता है। वैज्ञानिक बताते हैं कि ऐसे लोगों की आयु अन्य लोगों की तुलना में काफी अधिक होती है।
कहने का मेरा तात्पर्य यह है कि वर्तमान में जीना सीखें। भूतकाल की चिंता छोड़ दे । भविष्य में क्या होगा ? यह कोई नहीं जानता है। पल की खबर नहीं । फिर वर्षों की चिंता क्यों ? जो भूत बीत गया, चाह कर भी उसे हम सब वर्तमान में ला नहीं सकते हैं। भूत से सबक लेकर अपना जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। बार-बार भूत को माथे में लाने से तनाव बढ़ेगा।
मनुष्य की घटती उम्र के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है ।और कोई दूसरा जिम्मेवार नहीं। सहज, सरल जीवन ही श्रेष्यकर है।
सत्य का जीवन जिए। जितना है, उतने में संतोष के साथ जीवन जिए। आपका जीवन बहुत ही सुंदर हो जाएगा। आप दीर्घायु बनेंगे। वैज्ञानिक शोधों में यह पाया गया है कि जब कम उम्र के बीमार पड़ते हैं, तब वे कम समय में स्वस्थ हो जाते हैं। वहीं दूसरी ओर ज्यादे उम्र में जब बीमार पड़ते हैं, तब उन्हें स्वस्थ होने में अधिक समय लगता है। ऐसा इसलिए होता है कि कम उम्र में हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। ज्यादा उम्र में हमारी प्रतिरोधक क्षमता काम हो जाती है। सहज और सादा जीवन हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। वैज्ञानिकों ने अपने शोधों में पाया कि इंसान के अंदर इतनी क्षमता होती है कि वह सभी बीमारियों को परास्त कर सकता है। किसकी पहली शर्त है। व्यक्ति का जीवन तनाव भरा नहीं होना चाहिए। आपकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी रहे, इसलिए आपका मुस्कुराना, हंसना, गुनगुनाना, आनंद के साथ जीवन जीना जरुरी है।
अगर आपने कुछ खो दिया है, तो उससे घबराने की जरूरत नहीं । खोने का अर्थ होता है, फिर से मेहनत करें। खोने का दुख न करें ।
मनुष्य का जीवन सत्य पर आधारित होना चाहिए । सत्य पर आप रहेंगे तो आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। सत्य पर आपका विश्वास होना चाहिए। अगर आपका जीवन झूठ पर आधारित होगा तो आपकी प्रतिरोधक क्षमता कम होगी। आप कमजोर होंगे। आपकी उम्र भी उसी हिसाब से कम होती चली जाएगी। दीर्घायु जीवन जीने के लिए तनाव को गेंद की तरह बाहर फेंक दीजिए।
तनाव से सदा दूर रहें । वर्तमान में रहें। सदा मुस्कुराते रहें। आनंद से खाएं। आनंद के साथ जीवन जीने की कोशिश करें । आपके जीवन की दिशा और दशा बदल जाएगी । जीवन भोगने के लिए यह जीवन जरूरी है। पैसा बहुत जरूरी नहीं है। जीवन जरूरी है। पैसा बहुत है, जीवन नहीं , ऐसे पैसे होने का क्या अर्थ है ? एक पुरानी कहावत है। अगर आपने धन खोया तो कुछ नहीं खोया। स्वास्थ खोया तो कुछ खोया ।अगर आपने चरित्र खो दिया तो सब कुछ खो दिया। हर व्यक्ति को इन बातों को आत्मसात करना चाहिए। इसे अपने जीवन में लागू करना चाहिए । जीवन का अंदाज ही बदल जाएगा। ईश्वर को किसी ने देखा नहीं । ईश्वर को महसूस किया जा सकता है । समझा जा सकता है । ईश्वर को समझने और महसूस करने के लिए साधना को जीवन से जोड़ना होगा। सत्य पर आधारित जीवन जीने की कोशिश करें। झूठ से बचें । तनाव से मुक्त रहें ।असत्य को पास फटकने तक ना दें।देखे आपका जीवन आनंद से भर जाएगा।
परमपिता परमेश्वर ने जन्म दिया है। आप जिस धर्म के भी हों, उस पर पूर्ण विश्वास रखें । इंसान का जीवन बहुमूल्य है। इस जीवन को सुरक्षित रखकर जीवन को लंबे समय तक जिया जा सकता है।
इसलिए जरूरी है। तनाव मुक्त जीवन जिए, सत्य का आचरण करें। झूठ को बिल्कुल पास फटकने ना दें। इन बातों के आत्मसात से ही इंसान दीर्घायु बन सकता है।
तनाव ना हो तो 150 साल तक जी सकता है इंसान
जिस तरह हम जीवन जी रहे हैं,वह जीवन कैसा है ? बदलती परिस्थितियों, भौतिकतावाद, आधुनिकता और एक दूसरे को आगे निकलने की महत्वाकांक्षा लोगों को तनाव से ग्रसित कर दिया है।