देवघर : शहर के बीचोबीच स्थित बैजू मंदिर गली में भारत गैस के गोदाम के बाहर आज सुबह लोग सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए नही दिखे। शहर के लोग जान बूझकर भी अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हैं। प्रशासन के लाख कोशिश के बाबजूद भी लोग घर से निकलने का सिर्फ बहाना ढूंढते दिखाई देते हैं। सरकार के द्वारा उज्ज्वला योजना के तहत निःशुल्क तीन माह का गैस देने की बात को सुनते ही शहर की अधिकांश जनता घंटो गैस सिलेंडर लेने के लिए गैस ऑफिस के बाहर बिना कोई सोशल डिस्टेंस मेंटेन किये लाइन में खड़े हो जाते हैं। अगर सरकार या उसके विंग के द्वारा अच्छी तरह से जांच पड़ताल कर उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर देता तो आज लोग इतना भीड़ नही लगाते।
चूंकि सरकार का यह योजना गरीबों व निःसहाय लोगों के लिए हैं। लेकिन इस योजना का फायदा लेने के लिए लोग अपना चारपहिया वाहन लेकर निःशुल्क गैस सिलेंडर लेने के लिए गैस ऑफिस पहुंच रहे हैं। अब यह सोचने वाली बात है कि जिस व्यक्ति के पास 4 से 5 लाख रुपये का चारपहिया वाहन या फिर लगभग 1 लाख रुपये का दो पहिया वाहन हैं तो क्या वे गरीब हैं। क्या उसे उज्ज्वला योजना का लाभ मिलना चाहिए और यदि नही तो तो सरकारी योजना का कहीं न कहीं दुरपयोग हुआ है और आज वे सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं कर गैस ऑफिस के बाहर भीड़ इकट्ठा कर रहे हैं। प्रशासन जी तोड़ मेहनत कर लोगों को घर में रहने के लिए प्रेरित कर रही हैं लेकिन पब्लिक सुनने को तैयार नहीं हैं। प्रतिदिन उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, अनुमंडल पदाधिकारी, एसडीपीओ देवघर, अंचलाधिकारी देवघर, नगर थाना प्रभारी, अन्य पुलिस पदाधिकारी पूरे शहर में गश्त कर लोगों को सोशल डिस्टेंस का पालन करने तथा घर में रहने के लिए अनुरोध करते हैं लेकिन लोग नही मान रहे हैं। क्या लॉक डाउन तथा सोशल डिस्टेंस का पालन करवाना पुलिस का काम हैं? क्या हमारा कोई दायित्व नहीं है? इस पर पब्लिक को सोचना चाहिए।