नई दिल्ली :
सीबीआई के चीफ़ (नए प्रमुख) के चयन के लिए सोमवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक अहम बैठक हुई। बैठक में भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना सहित विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी एवं चयन समिति के सदस्य मौजूद थे। श्री रमन ने कथित तौर पर एक नियम का हवाला दिया, जिसके कारण सरकार के पसंदीदा दो नाम लिस्ट से हट गए। सूत्रों से मिली ख़बर के अनुसार 90 मिनट की बैठक में पीएम मोदी, मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी वाले पैनल का पूरा फोकस महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी सुबोध कुमार जयसवाल, सशस्त्र सीमा बल के डीजी केआर चंद्र और गृह मंत्रालय के विशेष सचिव वीएसके कौमुदी पर रहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर यह बैठक चार महीने की देरी से हुई है।
सीबीआई के चीफ़ के चयन पर चर्चा के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमना ने ‘छह महीने के नियम‘ का हवाला दिया, जिस नियम को अब तक सीबीआई डायरेक्टर के चयन के दौरान हमेशा नजरअंदाज किया जाता रहा है । मुख्य न्यायाधीश रमना ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि – ” जिन अधिकारियों की नौकरी में छह महीने से कम का समय बचा है, उनके नाम पर पुलिस प्रमुख पद के लिए विचार ना किया जाए। साथ ही कहा कि चयन समिति को इस कानून का पालन करना चाहिए “। पैनल में शामिल सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस नियम का समर्थन किया।
विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लिस्ट में शामिल नामों पर कोई एतराज नहीं जताया, लेकिन एक असहमति जताते हुए आरोप लगाया गया कि सरकार ने उम्मीदवारों की लिस्ट बनाने में “अनैतिक दृष्टिकोण” रखा है। उन्होंने बताया कि उन्हें मूल रूप से 109 नाम मिले थे, जिन्हें पैनल की बैठक से पहले 16 नामों में बदल दिया गया था। “11 मई को मुझे 109 नाम दिए गए. और आज दोपहर 1 बजे तक 10 नामों को शॉर्टलिस्ट किया गया, जबकि शाम 4 बजे तक छह नाम रह गए। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग का यह रवैया बेहद आपत्तिजनक है.।”
इस नियम की वजह से बीएसएफ के राकेश अस्थाना जो कि 31 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं और राष्ट्रीय जांच एजेंसी के वाईसी मोदी जो कि 31 मई को रिटायर हो रहे हैं, दोनों ही इस लिस्ट से बाहर हो गए। दोनों का नाम सरकार की लिस्ट में सबसे ऊपर था।