Friday, May 17, 2024
HomeDESHPATRAपत्रकार उत्पीड़न के मामलों पर संज्ञान ले सरकार : प्रीतम भाटिया

पत्रकार उत्पीड़न के मामलों पर संज्ञान ले सरकार : प्रीतम भाटिया


रांची। एआईएसएम जर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के बिहार/झारखंड और बंगाल प्रभारी झारखंड में पत्रकार उत्पीड़न के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्विटर पर संदेश संप्रेषित कर मामले में संज्ञान लेने और समुचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। ताजातरीन मामला गिरिडीह में पत्रकार अजीत साव से संबंधित है। इस संबंध में श्री भाटिया ने ट्विटर पर मुख्यमंत्री को अविलंब मामले को संज्ञान में लेने का अनुरोध किया है। इसके अलावा सांसद,विधायक, डीआईजी,एसपी समेत राज्य की सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियों को भी टैग कर संज्ञान लेने का आग्रह किया गया है।
विदित हो कि गिरिडीह में जमीन विवाद के एक मामले में पत्रकार सुजीत कुमार, उनके पिता व भाई पर भी मारपीट और छेड़खानी का झूठा केस दर्ज कर दिया गया है। श्री भाटिया का मानना है कि इस मामले में पुलिस ने बगैर सच्चाई जाने पत्रकार को झूठे केस में फंसा दिया है। इस मामले में एसोसिएशन के सुझाव पर सुजीत ने आॅनलाईन शिकायत की है।
एसोसिएशन के मुताबिक ऐसा ही हाल राज्य में कुछ अन्य थानेदारों का भी है। जो पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर बेवजह पत्रकारों को झूठे मामले में फंसाने की साजिश में जुटे रहते हैं। धनबाद जिलांतर्गत झरिया के थानेदार पंकज झा ने भी एक निर्दोष पत्रकार नागेश सिंह को झूठे मामले में फंसा कर जेल भेज दिया है। डीआईजी, बोकारो द्वारा जांच के बावजूद सुपरविजन के नाम पर मामले को लटकाया जा रहा है। उन्हें जेल भेजने का विरोध करने पर थानेदार ने टारगेट कर पत्रकार अंकित झा को भी साजिश के तहत फंसाने की कोशिश की। लेकिन पत्रकारों का भारी विरोध और थाने का घेराव होने पर थानेदार अपने नापाक मंसूबे में कामयाब नहीं हो सके।
धनबाद में विभिन्न आंदोलनों और धरना-प्रदर्शन के नेतृत्वकर्ता पत्रकार बंटी जयसवाल को एक दलाल के माध्यम से धमकाया जा रहा है। इसके विरोधस्वरूप पत्रकारों द्वारा झरिया थाने का बहिष्कार किया गया है।
फर्जी मामलों और प्रताड़ना पर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रामप्रवेश सिंह ने कहा कि कुछ ऐसा ही देवघर में भी एक थानेदार ने पत्रकार से कहा कि थाना आए तो केस कर देंगे। मानो थाना उनकी जागिर हो। हजारीबाग में कभी पत्रकारों को गांजा रखने के आरोप में जेल भेजा जाता है, तो कभी छेड़खानी के मामले में, तो कभी हक के लिए न्याय मांगने पर पत्रकारों को टारगेट किया जाता है। इस संबंध में मुख्यमंत्री और डीजीपी को ट्वीट कर जानकारी दी जाती है। लेकिन प्रायः उस सूचना पर ट्वीट का जवाब ही नहीं आता है।
प्रदेश महासचिव सुनील पांडेय ने कहा कि आखिर राज्य में यह कैसी परंपरा का पिछले कुछ सालों से पत्रकार सामना कर रहें हैं, यह समझ से परे है। इससे भी शर्मनाक है कि पत्रकारों का ऐसी मुसीबतों में कुछेक अपवादों को छोड़ दें, तो अखबार/चैनल भी सहयोग नहीं कर रहें हैं।
एसोसिएशन के प्रदेश सचिव जीतेंद्र ज्योतिषी ने कहा कि सरायकेला में भी चार पत्रकारों के खिलाफ झूठी शिकायत आदित्यपुर थाने को मिली है। उन्होंने कहा कि अधिकतर फर्जी मामलों में जयचंदों का ही हाथ होता है, जो किसी न किसी अन्य पत्रकार संगठनों के बतौर पदाधिकारी कार्यरत है। पुलिस-प्रशासन और जिले के एसपी को पत्रकारों के खिलाफ ऐसी फर्जी शिकायतों पर भी कार्रवाई करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की गुटबाजी का लाभ लेकर थानेदार आपसी रंजिश का बदला लेना छोड़ दें, अन्यथा ऐसे मामलों के साजिशकर्ता पुलिस अधिकारियों के खिलाफ ही सबसे बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे।

dpadmin
dpadminhttp://www.deshpatra.com
news and latest happenings near you. The only news website with true and centreline news.Most of the news are related to bihar and jharkhand.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments