- रांची। दी इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया की वीमेन मेंबर्स एम्पावरमेंट डायरेक्टरेट, नई दिल्ली द्वारा शुक्रवार को महिला सशक्तिकरण विषय पर आयोजित सेमिनार में बोलते हुए आईआरएस – भावना गुलाटी ने कहा कि महिलाएं मेहनत और कौशल में किसी भी प्रकार पुरुषों से कम नहीं होती हैं। जीवन में सफलता के लिए कठिन परिश्रम करनी चाहिए और सफलता के लिए किये जा रहे प्रयास के प्रति विश्वास भी होनी चाहिए। चाहे असफलता भी मिले, लेकिन तब तक परिश्रम नहीं छोड़नी चाहिए जब तक कि हम सफल नहीं हों।
इंस्टिट्यूट के वीमेन मेंबर्स एम्पावरमेंट डायरेक्टरेट के कन्वेनर सीए केमिशा सोनी ने अपने सम्बोधन में बताया कि देश में कुल तीन लाख सोलह हजार चार्टर्ड एकाउंटेंट्स में 26 प्रतिशत से ज्यादा महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स हैं। कुल सीए के विधार्थियों में लगभग आधे विधार्थी लड़कियां हैं। इसका कारण सीए प्रोफेशनल के रूप में महिलाओं के लिए शानदार कैरियर उपलब्ध होना है । उन्होंने बताया कि महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को प्रोफेशनली सुदृढ़ बनाने के लिए इंस्टिट्यूट ने सेतु नामक पोर्टल बनायीं हुई है | इसके अलावा कोई भी महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टिट्यूट के विभिन्न कार्यों जैसे परीक्षा से सम्बंधित कार्य – प्रश्न पत्र तैयार करना, कॉपी चेकर बनकर, आब्जर्वर बनकर या इंस्टिट्यूट द्वारा संचालित विभिन्न पोस्ट क्वालिफिकेशन कोर्स या इंस्टिट्यूट के बोर्ड ऑफ़ स्टडीज में सीए कोर्स के विभिन्न विषयों में, सॉफ्ट स्किल और आई टी ट्रेनिंग कोर्स में फैकल्टी बनकर, इंस्टिट्यूट के क्वालिटी रिव्यु बोर्ड में रिव्युवर बनकर सालाना घर बैठे लाखों कमा सकते हैं, इसके अलावा इंस्टिट्यूट के द्वारा प्रकाशित जर्नल या अन्य पुस्तकों में लेख के लिए भी अच्छी भुगतान की जाती
रांची के वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट सीए अंजलि जैन ने कहा कि हमारे भारतीय परंपरा के मुताबिक शक्ति, बुद्धि और धन की स्वामी महिला ही हैं, लेकिन वर्तमान समय में हम यह भूल चुके हैं इस कारण समाज में महिला उधमी कम नजर आते हैं। उन्होंने कहा कि सफल महिला उधमी बनने के लिए सिर्फ पैसा कमाना नहीं होता बल्कि खुद फैसला लेने का सामर्थ्य भी होना चाहिए।
पल्स हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक सीए रिंकू खेमका ने कहा क़ि उनकी सफलता में उनकी मां का काफी योगदान रहा है। जिन्होंने हमेशा उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने एक सफल उधमी बनने के लिए अपने पसंद के अनुसार व्यवसाय चुनने का सुझाव दिया।
ए बी बेवरेज की संचालिका ज्योति कुमारी ने कहा क़ि महिला सशक्तिकरण के लिए यह आवश्यक है क़ि सिर्फ हम लीडर बनें, बल्कि यह जरुरी है क़ि हम दूसरों को भी लीडर बनने में मदद करें। उन्होंने कहा क़ि हमें अपनी प्राचीन ग्रंथो का भी अध्ययन करके यह सीखना चाहिए क़ि भारत वर्ष में हर समय समाज को महिलाओं ने मार्गदर्शन दिया है।
इलेरिया की संस्थापिका सीए वन्या वस्तल ने स्टार्ट अप और महिला सशक्तिकरण पर बोलते हुए कहा क़ि कोई भी स्टार्ट अप शुरू करने से पहले हमें लोगों की समस्याओं का अध्यन करना चाहिए। फिर उसके लिए रिसर्च आदि के द्वारा सही समाधान लेकर आना चाहिए तभी हमारा स्टार्ट अप सफल हो सकता है।
बीकानेर से आयी सीए ऋचा लुनिया जो इंस्टिट्यूट के बीकानेर ब्रांच की सचिव भी हैं, उन्होंने बताया क़ि महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स कैसे अपने आप को डिजिटल बना सकते हैं और इसका क्या फायदा है। उन्होंने विभिन्न सॉफ्टवयेर जो क़ि सीए के प्रैक्टिस में काफी मददगार है।
इससे पूर्व उद्धघाटन भाषण में इंस्टिट्यूट की रांची शाखा की अध्यक्षा सीए मनीषा बियानी ने कहा कि आगे बढ़ने और सफल होने की शक्ति हर महिला में होती है, सिर्फ इससे जगाने की जरुरत होती है। अपने रांची में ही काफी सारी महिलाएं सफल उधमी बनकर विभिन्न संस्थानों के संचालन कर रही है। इन्ही विषयों पर जानकारी हेतु इस सेमिनार का आयोजन किया गया है।
वेबिनार का समापन इंस्टिट्यूट के रांची शाखा के सी पी इ कमिटी के अध्यक्ष सीए पंकज मक्कड़ के समापन भाषण से हुआ। इस सेमिनार को ज़ूम के माध्यम से पूरे देश में संचालित किया गया।
सेमिनार के आयोजन में इंस्टिट्यूट के रांची शाखा के उपाध्यक्ष सीए प्रवीण शर्मा, सचिव सीए प्रभात कुमार कार्यकारिणी सदस्य सीए निशा अग्रवाल, सीए विनीत अग्रवाल और सीए संदीप जालान का महत्वपूर्ण योगदान रहा।