Saturday, May 18, 2024
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स्मृति शेष : जुझारू व्यक्तित्व की अद्भुत मिसाल थे शिव नारायण जायसवाल

विनीत कुमार की रिपोर्ट

रांची। “तुम न जाने किस जहां में खो गए, हम भरी दुनिया में तनहा हो गए”। इस गाने को आज गुनगुनाने के लिए शहर के प्रतिष्ठित जायसवाल परिवार ही नहीं, उनके परिजन, शुभचिंतक व आम नागरिक भी विवश हैं। क्योंकि
रांची के प्रथम मेयर, प्रतिष्ठित व्यवसायी व कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता शिव नारायण जायसवाल नहीं रहे। डिस्टीलरी पुल,कोकर स्थित आवास “घड़ी महल” में बीते देर रात उन्होंने अंतिम सांसें ली। उनके निधन की खबर पूरे शहर में फैल गई। सूचना मिलते ही उनके आवास पर हर वर्ग,समुदाय के लोगों का तांता लग गया। ऐसा होता भी क्यों नहीं? क्योंकि स्वर्गीय जायसवाल सभी वर्ग, समुदाय के लोगों के बीच खासे लोकप्रिय थे। सर्वधर्म-समभाव के सिद्धांतों पर चलना उन्होंने अपनी जिंदगी का मकसद बना रखा था। स्व.जायसवाल समाज के एक सजग प्रहरी ही नहीं, बल्कि मानवता की प्रतिमूर्ति भी थे। पीड़ित मानवता की सेवा करना उनकी दिनचर्या में शुमार था।
देश की आजादी के लिए लड़ाई में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई। वह हमेशा कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़कर देश एवं पार्टी की सेवा में लगे रहते थे।
जमालपुर (उत्तर प्रदेश) के राजपरिवार में जन्मे शिव नारायण जायसवाल की पढ़ाई-लिखाई बिशप स्कॉट स्कूल से हुई। वे सीनियर कैम्ब्रिज पास हुए थे। हिन्दी व अंग्रेजी के अच्छे ज्ञाता थे।
जनहित में नीति निर्धारण करने में उन्हें विशेषज्ञता हासिल थी। अंग्रेजी भाषा पर उनकी इतनी पकड़ थी कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा की सरकारें भी नीति निर्धारण के मसले पर उनसे समय-समय पर सलाह लिया करती थी।
सकारात्मक सोच रखते हुए जनहित में दूरदर्शितापूर्ण निर्णय लेना स्व.शिवनारायण जायसवाल की खासियत थी। उनका सपना झारखंड(एकीकृत बिहार के समय छोटानागपुर) को इंडस्ट्रियल हब बनाने का था। इस दिशा में प्रयासरत रहते हुए उन्होंने काफी हद तक सफलता भी हासिल की। वर्ष 1962 में जब स्व. जायसवाल रांची के मेयर चयनित हुए, उस समय से धीरे-धीरे उनके सामाजिक कार्यों का दायरा भी बढ़ता गया। बतौर मेयर उन्होंने अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन किया। उनके कार्यकाल में किए गए कार्य मील का पत्थर साबित हुए हैं। समाज सेवा के क्षेत्र में भी उन्होंने कई ऐसे उल्लेखनीय कार्य किए जो अनुकरणीय ही नहीं प्रेरणा स्रोत भी बने हैं। धार्मिक-आध्यात्मिक समारोहों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना उनकी विशेषता थी। धर्म-अध्यात्म के प्रति लोगों को प्रेरित किया करते थे। उन्होंने अपने स्तर से कई मंदिरों का निर्माण कराया। स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। शिक्षा से वंचित समाज के लोगों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से उन्होंने कई स्कूल-कॉलेज भी खोले। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कई अस्पतालों का भी निर्माण करवाया। शिव नारायण जायसवाल सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक कार्यक्रमों में अपने स्तर से हरसंभव सहयोग करने में जुटे रहते थे। दान-पुण्य करना इनकी आदतों में शुमार था। कोकर डिस्टलरी पुल स्थित भगवान बिरसा मुंडा समाधि निर्माण के लिए अपनी पुश्तैनी जमीन दान कर उन्होंने दानशीलता की मिसाल पेश की। पीड़ित मानवता की सेवा और समाज सेवा के क्षेत्र में उनके कार्यों की रांची सहित पूरे झारखंड में सराहना की जाती है।
काफी कम उम्र से ही स्वर्गीय जायसवाल राजनीति के क्षेत्र में भी बढ़
-चढ़कर हिस्सा लेने लगे थे। उनकी व उनके परिवार की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वर्ष 1940 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन के दौरान उनके कोकर स्थित आवास पर आए और उनके पिता व अन्य परिजनों के साथ उन्हीं की फोर्ड कार में सवार होकर रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
अंग्रेजी शासनकाल में भी अपने देश के प्रति असीम प्रेम रखनेवाले स्वर्गीय जायसवाल का परिवार देश सेवा के प्रति सदैव समर्पित रहा है। उनकी व्यवहारकुशलता और सभी समुदायों के बीच लोकप्रियता को देखते हुए अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें राजा की उपाधि दी थी। वहीं, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी उनकी उपलब्धियों और देश सेवा के प्रति उनके जज्बे और जुनून को देखते हुए ताम्र पत्र प्रदान किया था।
स्व.जायसवाल का बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री केबी सहाय, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, अर्जुन सिंह सरीखे वरिष्ठ नेताओं के साथ काफी घनिष्ठ और मधुर संबंध था।
पार्टी के प्रति भी उनके समर्पण का इस बात से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने चुनाव के समय एक हेलीकॉप्टर कांग्रेस पार्टी के चुनावी प्रचार-प्रसार के लिए खरीदा था, जिसका उपयोग बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री केबी सहाय उस समय किया करते थे।
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  • रांची में स्व.जायसवाल ने बतौर मेयर अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्य किए।
    पुराने नगर निगम भवन का निर्माण, रांची टाउन हॉल (जहां चेंबर ऑफ कॉमर्स की पहली बैठक हुई थी),
    पहला पेड सार्वजनिक शौचालय,
    जयपाल सिंह स्टेडियम,
    शहर में तीन हजार स्ट्रीट लाइट,
    रोटरी क्लब के चैप्टर मेंबर के रूप में शहर में योगदान,
    रेन वाटर हार्वेस्टिंग की शुरुआत आदि कई ऐसे कार्य हैं, जो मील का पत्थर बने हैं।
    इसके अलावा वे रांची, लखीसराय, उज्जैन, भोपाल, यूपी, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश आदि जगहों पर डिस्टलरी प्लांट चलाते थे। इसके माध्यम से रोजगार सृजन के क्षेत्र में काम करते थे। वे वर्ष 1962 से 1976 तक रांची के मेयर रहे।
  • जीवन का 96वां बसंत देख चुके स्व.जायसवाल ने बुधवार 2 जून,2021 को इस संसार को अलविदा कह दिया। इस दौरान उन्होंने अपना सुखद जीवन राजशाही अंदाज में जिया। वे अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। स्व.जायसवाल के पांच पुत्र एवं तीन पुत्रियां हैं। ज्येष्ठ पुत्र मनोरंजन जायसवाल एवं प्रथम सुपौत्र आदित्य विक्रम जायसवाल उनके पदचिन्हों पर चलते हुए सामाजिक,धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्रों में सक्रिय हैं। आदित्य विक्रम प्रदेश कांग्रेस के सक्रिय नेता हैं और राजधानी में एक सेवक के रूप में सेवारत हैं।
    बहरहाल, शिव नारायण जायसवाल के निधन से जायसवाल परिवार का एक सशक्त स्तंभ धराशाई हो गया। अब तो उनकी स्मृतियां ही शेष रह गई हैं।
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