Wednesday, May 15, 2024
HomeDESHPATRAहमारी भी सुनें सरकार,निजी स्कूल दे रहे दुख अपार"

हमारी भी सुनें सरकार,निजी स्कूल दे रहे दुख अपार”

झारखंड अभिभावक संघ का तीसरे चरण का आंदोलन 26 जुलाई से होगा शुरू


  • रांची। झारखंड अभिभावक संघ द्वारा निजी स्कूलों के मनमानी के खिलाफ शुरू किए गए चरणबद्ध आंदोलन के तहत राज्य सरकार से गुहार लगाने का निर्णय लिया गया है। आंदोलन के तीसरे चरण में प्राइवेट स्कूलों की हर तरह की फीस वसूली के खिलाफ “हमारी भी सुनो हेमंत सरकार ,निजी स्कूल दे रहे हैं दुख अपार” कार्यक्रम के तहत आंदोलन की घोषणा की गई है । संघ ने की मांग की है कि पिछले साल निकाले गए विभागीय पत्रांक 1006 दिनांक 25/06/2020 का शत-प्रतिशत अनुपालन सत्र 2021-22 में भी सुनिश्चित किया जाय। शुल्क के अभाव में छात्रों को ऑनलाइन क्लास से वंचित रखने वाले निजी स्कूल प्रबंधन पर यथोचित कार्रवाई की जाए।
    सम्बद्धता प्राप्त निजी विद्यालयों की मनमर्जी पर सरकार नकेल कसे, विद्यालय स्तरीय पारदर्शी शिक्षण शुल्क समिति का गठन सुनिश्चित हो।
    श्री राय ने कहा कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 को राज्य के सभी जिले में पूर्णतया पारदर्शी तरीके से लागू करने की भी मांग की है। साथ ही
    शिक्षण के अनुपात में ही शिक्षण शुल्क का निर्धारण करने, एक्ट के तहत पेरेंट्स टीचर एसोसिएशन का गठन हर स्कूल में करने का निर्देश सरकार द्वारा जारी करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि निजी विद्यालयों की पिछले पांच साल के ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा राज्य सरकार करें, ताकि जिस स्कूल के आर्थिक स्थिति सही है, वहां विभिन्न मदों में लिए जाने वाले शुल्क पर रोक लगे और जिन स्कूलों की आर्थिक हालात खराब है, उन्हें आपदा राहत कोष से आर्थिक पैकेज की व्यवस्था की जाए।
    उन्होंने कहा कि स्कूलों में चलने वाली बसों के टैक्स ,इंश्योरेंस माफ करने को लेकर सरकार घोषणा करे। स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक , शिक्षकेतर कर्मचारियों का वेतन पूर्व की तरह सुनिश्चित हो।
    उपरोक्त सभी मांगों को लेकर झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष अजय राय ने आंदोलन की घोषणा करते हुए कहा कि क्या इस राज्य में कोई जिम्मेदार नीति निर्धारक , शिक्षाधिकारी , शासन , प्रशासन स्पष्ट कर सकता है कि पिछले 16 महीने से स्कूल बंद है तो फिर किस आधार पर अभिभावक स्कूलो की फीस दे? बावजूद अभिभावक ट्यूशन फीस देने के लिए तैयार हैं।
    श्री राय ने कहा कि जिस राज्य मे 77 प्रतिशत बच्चों के पास ऑन लाइन क्लास लेने के लिए संसाधन मौजूद नही है, जो सरकार और निजी स्कूल बच्चों को मोबाइल / लेपटॉप और टीवी स्क्रीन से दूर रहने के लिए संदेश देते थे, आज उन्ही ने हमारे बच्चों के स्वास्थ्य को ताक पर रखकर ऑन लाइन क्लास से पढ़ाई करने के लिए विवश कर दिया है, वो भी अभिभावकों की बिना अनुमति के। क्या वाकई इनका उद्देश्य समान शिक्षा के अधिकार का पालन करते हुये प्रत्येक बच्चे को इस महामारी में शिक्षा देने का था या सिर्फ फीस इकट्ठा करने का ?
    अजय राय ने कहा कि क्या ऑन लाइन क्लास के अनुसार फीस निर्धारण की मांग गलत है। क्या सरकार को समझ नही आता कि जितनी सर्विस ली जाती है उतने ही पैसे दिए जाते है। सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधियों को मालूम है। बावजूद सब चुप्पी साधे बैठे हैं।
    श्री राय ने कहा कि क्या सरकार को पता नही कि निजी स्कूलों का रजिस्ट्रेशन सोसाइटी एक्ट के तहत होता है। जिसके माध्य्म से शिक्षा देने को समाज सेवा बताया गया है “नो प्रॉफिट, नो लॉस” के फार्मूले पर संबद्धता ली जाती है, जबकि सरकार की आंखों के सामने ही निजी स्कूलों ने शिक्षा देने के कार्य को व्यवसाय बना दिया और एक स्कूल से अनेक स्कूल खोलकर करोड़ों की संपति इकट्ठा कर ली। सरकार में बैठे लोगों को सब कुछ पता है, पर वो बोलते नहीं, क्योकि अधिकतर निजी स्कूल इन्ही लोगों के हैं। जब सूबे के कांग्रेस के मंत्री ने बयान दिया कि हम निजी स्कूलों का अहित नही होने देंगे और कहा कि सक्षम अभिभावक फीस जमा करें । प्रदेश के मंत्री जी को अभिभावक फीस जमा करने के लिए सक्षम दिखाई देते हैं, लेकिन निजी स्कूल फीस माफ करने के लिए सक्षम दिखाई नही देते और इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है ।

उन्होंने कहा कि स्कूल कहती है कि स्कूलों को टीचर्स की सैलरी देनी है इसलिये अभिभावको को पूरी फीस देनी होगी । सरकार की ओर से कभी समीक्षा की गई की इस कोविड महामारी में 90 प्रतिशत स्कूलो ने 50प्रतिशत टीचर्स को निकाल दिया है। और जो हैं, उनको आधे से भी कम सैलरी दी जा रही है। आखिर क्यों सरकार हिम्मत नही दिखाती है कि निजी स्कूलों की पिछले 5 साल की बैलेंस शीट जांच करे और उसके आधार पर फीस माफी का निर्णय करे और फिर भी अगर सरकार को निजी स्कूलों की इतनी ही चिंता है तो फिर क्यो नहीं सरकार आपदा राहत कोष से स्कूलो को फंड अलॉट करती है। क्या सरकार में बैठे नीति निर्धारक बता पाएंगे कि आखिर वो कौन सा फार्मूला है जिसके आधार पर अभिभावक पिछले 16 महीने से बंद निजी स्कूलों की फीस दे।

अजय राय ने कल से शुरु हो रहे आंदोलन “हमारी भी सुनो हेमंत सरकार निजी स्कूल दे रहे हैं दुख अपार” कार्यक्रम के तहत 26 जुलाई को हस्ताक्षर अभियान, 27 जुलाई को मौन धरना, 28 जुलाई को उपवास, 29 जुलाई को हेमंत सरकार को सद्बुद्धि दे भगवान कार्यक्रम के तहत हवन का कार्यक्रम किया जाएगा।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments