Monday, May 13, 2024
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भारत में बाघों की संख्या दोगुणी हुई ,अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की बधाई – PM MODI

टाइगर रिजर्व के स्थान परिवर्तन और पर्यावरण विभाग द्वारा संपन्न प्रयासों के साथ, भारत ने 2022 के लक्ष्य से पहले बाघों की आबादी को सफलतापूर्वक दोगुना कर दिया है।

बाघों को संरक्षण देने और उनकी प्रजाती को विलुप्त होने से बचाने के लिए विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है। आज की तारीख़ विश्व पटल पर अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के रूप में अंकित है। आज ही के दिन यानि 29 जुलाई 2010 को दुनिया के कई देशों ने रूस में आयोजित सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और इस तारीख़ को ऐतिहासिक बना दिया था। दुनियाभर में 29 जुलाई के दिन विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है। यह समझौता विश्व स्तर पर बाघों की घटती आबादी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बाघों के प्राकृतिक आवास के संरक्षण के बारे में था। साथ ही, विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने घोषणा की कि बाघ-आबादी वाले देश वर्ष 2022 के अंत तक बाघों की आबादी को दोगुना कर देंगे।विश्व बाघ दिवस (International Tiger Day) मनाना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि विश्व वन्यजीव कोष (WWF) के अनुसार, विश्व स्तर पर केवल 3900 जंगली बाघ मौजूद हैं।

विश्व बाघ दिवस के मौक़े पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर बधाई दी और कहा कि“InternationalTigerDay पर, वन्यजीव प्रेमियों, विशेष रूप से बाघ संरक्षण के प्रति उत्साही लोगों को बधाई। विश्व स्तर पर बाघों की 70% से अधिक आबादी का घर, हम अपने बाघों के लिए सुरक्षित आवास सुनिश्चित करने और बाघों के अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र को पोषित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं। बाघ संरक्षण की भारत की रणनीति स्थानीय समुदायों को शामिल करने को सर्वोच्च महत्व देती है। हम सभी वनस्पतियों और जीवों के साथ सद्भाव में रहने के हमारे सदियों पुराने लोकाचार से भी प्रेरित हैं, जिनके साथ हम अपने महान ग्रह को साझा करते हैं।भारत 18 राज्यों में फैले 51 बाघ अभयारण्यों का घर है। 2018 की अंतिम बाघ गणना में बाघों की आबादी में वृद्धि देखी गई। भारत ने बाघ संरक्षण पर सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा की अनुसूची से 4 साल पहले बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल किया।”

भारत में बाघों की संख्या दोगुणी हुई ,अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की बधाई – PM MODI

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2021: थीम (International Tiger Day 2021: Theme)

इस साल अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस का विषय है ( International Tiger Day theme 2021) “उनका जीवन रक्षा हमारे हाथों में है (Their Survival is in our hands)”। चूंकि भारत में लगभग 70%   वैश्विक बाघ आबादी है इसलिए, भारत वार्षिक उत्सव में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। टाइगर रिजर्व के स्थान परिवर्तन और पर्यावरण विभाग द्वारा संपन्न प्रयासों के साथ, भारत ने 2022 के लक्ष्य से पहले बाघों की आबादी को सफलतापूर्वक दोगुना कर दिया है। 

भारत का राष्ट्रीय पशु होने के बावजूद भारत में साल 2010 तक बाघ विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए थे। 2019 में आई रिपोर्ट के अनुसार भारत में मौजूद बाघों की कुल संख्या 2967 है। हमें इस बात पर गर्व होनी चाहिए की पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बाघ हमारे देश (भारत) में पाए जाते हैं। वर्तमान समय में देश में कुल 52 टाइगर रिजर्व हैं जिसमें जिम कार्बेट भारत का पहला बाघ रिजर्व है।नागार्जुन सागर श्रीशैलम भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है जो आंध्र प्रदेश में स्थित है। जबकि महाराष्ट्र के पेंच में देश का सबसे छोटा टाइगर रिजर्व स्थित है। देश के कुल 18 राज्यों में बाघ पाए जाते हैं।जिसमें मध्य प्रदेश में सबसे ज़्यादा 526 बाघ मौजूद हैं। सबसे ख़ुशी की बात यह है कि देश में केरल, उत्तराखंड, बिहार और मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है।

बाघों के प्रकार

बाघ विभिन्न रंगों के होते हैं जैसे सफेद बाघ, काली धारियों वाला भूरा बाघ, काली धारियों वाला सफेद बाघ और गोल्डन टाइगर। बाघों की और भी कई आकर्षक प्रजातियाँ हुआ करती थी जो अब विलुप्त हो चुकी है।अब तक विलुप्त हो चुकी बाघ की ये चार प्रजातियां, जिनमें बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर, जावन टाइगर और टाइगर हाइब्रिड शामिल हैं।

बाघ और प्रकृति के सम्बंध

बाघ एक शाही और राजसी जानवर है जो एक पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक शीर्ष शिकारी है और खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर बैठता है। बाघ जंगल की आबादी को नियंत्रित करने में योगदान देता है। बाघ-शिकार-शाकाहारी-वनस्पति के भोजन ऋंखला से पर्यावरण का संतुलन बना रहता है। बाघों की आबादी में गिरावट के पीछे कुछ प्रमुख कारक हैंं जैसे- पेड़ों की कटाई, जो बाघ के निवास स्थान, शिकार और अवैध व्यापार की ओर ले जाते हैं। जिसके कारण इनकी आबादी दिनों दिन गिरती ही जा रही है। 

दुर्भाग्य से, बाघ उन प्रजातियों में से एक हैं जो विलुप्त होने के कगार पर हैं। इसलिए, बाघ संरक्षण पर जागरूकता फैलाने के लिए, हर साल 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) या वैश्विक बाघ दिवस मनाया जाता है।

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