Saturday, May 11, 2024
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संपूर्ण देश ‘प्राण प्रतिष्ठा’ को लेकर राममय हो उठा है

संपूर्ण देश एक अयोध्या नगरी के रूप में तब्दील हो चुका है । पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक भगवा के रंग से सराबोर हो चुका है।

22 जनवरी को अयोध्या में ‘भगवान रामलला प्राण प्रतिष्ठा’ कार्यक्रम को लेकर संपूर्ण देश राम मय हो उठा है। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम ने संपूर्ण देश को एक सूत्र में बांध दिया है ।देश के हर हिस्से में प्राण प्रतिष्ठा को हमेशा हमेशा के लिए यादगार बनाने के लिए तैयारियां जोरों से चल रही है । अयोध्या में भगवान राम लाल को विराजमान करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से बेश कीमती उपहार और अनंत सामग्रियां अयोध्या पहुंच रही है। खबर यह भी है कि सौ फीट के महावीर झंडे भी अयोध्या पहुंच चुके हैं । देश भर में हजारों हजार की संख्या में लोग पैदल यात्रा कर अयोध्या पहुंच रहे हैं। अयोध्या में भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में विभिन्न धर्मावलंबी भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। प्राण प्रतिष्ठा को लेकर खबरें सिर्फ देश की मीडिया में ही नहीं बल्कि विश्व मीडिया में भी इसकी व्यापक चर्चा हो रही है।
सारा देश भगवान राम के झंडे से पटता चला जा रहा है ।जैसे लग रहा है कि भगवान राम 14 वर्षों के वनवास के बाद सकुशल अयोध्या विराज रहे हैं। संपूर्ण देश एक अयोध्या नगरी के रूप में तब्दील हो चुका है । पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक भगवा के रंग से सराबोर हो चुका है। लोग प्राण प्रतिष्ठा के दिन भगवान राम की प्रतिमाएं बनाकर सामूहिक रूप से पूजा अनुष्ठान कार्यक्रम आहूत करने जा रहे हैं । प्राण प्रतिष्ठा को यादगार बनाने के लिए भजन कीर्तन आदि के कार्यक्रम के होने जा रहे हैं।
देश की आजादी के बाद संभवत यह पहला अवसर है, जब देश के हर हिस्से से एक ही आवाज उठ रही है। जय श्री राम ! जय श्री राम। सभी लोग भगवान राम को अयोध्या के राम जन्मभूमि पर प्रतिष्ठित होते देखना चाह रहे हैं । सर्वविदित है कि साढे पांच सौ वर्षों की लंबी लड़ाई के बाद यह अवसर आया है। भगवान राम सभी के आराध्य देव है । ऐसा प्रतीत हो रहा है। हिंदू, मुसलमान, सिख, इसाई सहित विभिन्न विचार पंथ के लोग प प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में बढ़ -चढंकर हिस्सा ले रहे।
इसके साथ ही देश की कुछ राजनीतिक पार्टियों भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर राजनीति करने से भी चूक नहीं रही है। खबरें तो यहां तक आ रही है कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के दिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सर्व धर्म समभाव का जुलूस निकलेगी। वहीं दूसरी ओर दिल्ली में आप पार्टी के मुख्यमंत्री ने राजधानी के कुछ मंदिरों में सुंदरकांड सुंदरकांड के पाठ का भी आयोजन करेंगे । इसी दौरान कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो न्यायायात्रा की भी यात्रा जारी रहेगी। इसके साथ ही देश की अन्य राजनीतिक पार्टियों भी उसे दिन तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित करेंगे। ऐसा करके ये राजनीतिक पार्टियों क्या साबित करना चाहती हैं ? क्या भगवान राम ऐसे राजनीतिक पार्टियों के आराध्य देव नहीं है ? देश की जनता सब कुछ समझ रही है । जान रही है । आने वाले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में देश की जनता इन पार्टियों को मुंहतोड़ जवाब देगी। भगवान राम भारत की संस्कृति, रीति रिवाज, भाषा आदि के प्रणेता के रूप में जाने जाते हैं। होना यह चाहिए था कि देश की सभी राजनीतिक पार्टियों प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले थी। यह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम देश की एकता और अखंडता का परिचायक बन जाताऋ देश की एकता और अखंडता एक सामूहिक संदेश विश्व मंच पर जाता। यह भारत की एकता और अखंडता के लिए बहुत ही बेहतर होता। जिसका लाभ संपूर्ण भारत को मिलता । लेकिन विपक्षी पार्टियां प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का विरोध कर एक बहुत ही बेहतर अवसर को खो दे रही हैं।
वहीं अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर देशवासी अपने-अपने घरों के पूजा स्थलों की सफाई में लगे हुए हैं । मंदिरों में भी सफाई हो रही हैं। जैसे भगवान राम चौदह बरसों का बनवास काटकर अयोध्या पहुंचे थे, तब अयोध्या में जो उल्लास और उमंग देखने को मिला था, आज वही उमंग और उल्लास संपूर्ण देश में देखने को मिल रहा है। विहड़ से विहड़ गांव भी उसी उल्लास और उमंग के रंग में सराबोर हो चुका है। हर चौक चौराहों और घरों में भगवान राम के गीत बज रहे हैं। मानो भगवान घर-घर में पधार रहे हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की जयंती पर चैत्र मास के शुक्ल नवमी के दिन देश के कुछ हिस्सों में रामनवमी जुलूस निकाला जाता है। लेकिन भगवान राम की जयंती के अवसर पर भी इस प्रकार प्राण प्रतिष्ठा वाला उमंग और उल्लास संपूर्ण देश में नहीं रह पाता है। जबकि देश के कई राज्यों में भगवान राम की जयंती पर यादगार जुलूस का आयोजन होता है। इसके बावजूद प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जिस तरह नगर कस्बे को सजाया जा रहा है। यह एक अजीब किस्म का उल्लास और उमंग देखने को मिल रहा है।
हम सबों को कदापि यह नहीं भूलना चाहिए कि भगवान राम इस देश के एक आदर्श रहे हैं । भगवान राम ने राजा और प्रजा के भेद को मिटा दिया था। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन एक जनतांत्रिक राजा के रूप में जिया था। समाज का स्वरूप कैसा होना चाहिए ? एक राजा का अपने राज्यवासियो के प्रति क्या कर्तव्य होना चाहिए ? प्रजा का अपने राजा के प्रति क्या कर्तव्य होना चाहिए ? इन तमाम मुद्दों को उन्होंने न करके दिखाया बल्कि जिया भी था। हम सबों को 22 जनवरी को भगवान राम की मर्यादा के अनुकूल कार्य करना चाहिए । भगवान राम का संपूर्ण जीवन त्याग और बलिदान से ओतप्रोत हैं । जिस उम्र में उन्हें अयोध्या का सम्राट बनना चाहिए था । उस उम्र में उन्हें वन गमन करना पड़ा था । पिता की बात को सच साबित करने के लिए उन्होंने राजतिलक का त्याग कर वन गमन स्वीकार किया था । वन गमन के उनके निर्णय पर माता सीता, अनुज भ्राता लक्ष्मण ने भी उनके साथ वन गमन का निर्णय लेकर एक मिसाल पेश की  थी ।  अनुज भ्राता भरत को जब इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने स्वयं  को अयोध्या का सम्राट बनने से इनकार किया था । तत्पश्चात वे बड़े भ्राता राम से मिलकर उन्हें पुनः अयोध्या का सम्राट बनने का आग्रह किया था।  लेकिन भगवान राम अपने निर्णय पर अडिग रहे थे । अंततः भरत को ही अयोध्या की सत्ता संचालन की जवाबदेही निभानी पड़ी थी । चौदह वर्षों तक भरत अयोध्या की सिंहासन पर नहीं बैठे थे। जमीन पर बैठकर ही उन्होंने सत्ता का संचालन किया था। आज थोड़े से धन के लिए एक भाई दूसरे भाई को  मारने के लिए उतारू है। सकल समाज को भरत और भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए । इधर भगवान राम ने वन गमन के दरमियान ऋषि-मुनियों को दानवों के अत्याचार से मुक्त करवाया था । लंकाधिपति रावण द्वारा माता सीता का अपरहण करने पर भगवान राम ने वानर सेना की मदद से लंका पर आक्रमण किया था। फलस्वरुप लंकाधिपति रावण को भगवान राम के हाथों सद्गति प्राप्त हुई थी । इस युद्ध में भगवान राम विजय हुए थे । भगवान राम ने लंका का शासन लंकाधिपति के भाई विभीषण को सौंप कर एक उदाहरण प्रस्तुत किया था।  इसके पूर्व ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलता है । वनवास से वापस आने के बाद भरत ने भगवान राम को गले लगाया और अयोध्या का सिंहासन उन्हें समर्पित कर दिया था ।भगवान राम सत्य के प्रतीक है । उन्होंने संपूर्ण देशवासियों को त्याग, समर्पण और परोपकार की सीख दिया है । उन्होंने मिलजुल कर रहने का संदेश दिया है । उन्होंने समाज में व्याप्त छोटे बड़े के भेद को मिटाने की बात बताई है । रामराज्य अर्थात सब ओर सुख ही सुख हो । जिस राज्य में कोई दुखी ना हो । राजा और प्रजा में कोई भेद हो । सभी प्रजा को समान अधिकार और समान न्याय मिले । यही रामराज्य है ।

Vijay Keshari
Vijay Kesharihttp://www.deshpatra.com
हज़ारीबाग़ के निवासी विजय केसरी की पहचान एक प्रतिष्ठित कथाकार / स्तंभकार के रूप में है। समाजसेवा के साथ साथ साहित्यिक योगदान और अपनी समीक्षात्मक पत्रकारिता के लिए भी जाने जाते हैं।
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