झारखंड में एक के बाद एक मंत्रियों, नेताओं, अधिकारियों, भूमि माफियाओं, ठीकेदारों, आपूर्तिकर्ताओं, रियलस्टेट से जुड़े व्यवसयियों, सरकारी कर्मचारियों आदि के यहां पड़ रहे छापेमारी में नगदी करोड़ों रुपए सहित करोड़ों की चल अचल संपत्तियां बरामद हो रही हैं । ये सारे बरामद रुपए और चल अचल संपत्तियां झारखंड की गरीब जनता के हक के पैसें है। इन रूपयों से झारखंड के विकास को एक नया मूर्त रूप दिया जाना था । झारखंड की गरीबी दूर करनी थी। झारखंड से पलायन रोकना था। झारखंड में उद्योग धंधों का जाल बिछाना था। लेकिन इस प्रांत के रक्षक ही इसके भक्षक बन गए हैं । पिछले दिनों ईडी ने जब झारखंड प्रांत के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल के घरेलू नौकर जहांगीर आलम के घर पर छापा मारा तो उनके घर से बरामद इकतीस करोड रुपए नगदी देखते ही सभी हतप्रभ रह गए गए ।
जहांगीर आलम के घर से बरामद पांच सौ रुपए के नोट विभिन्न सूटकेस में बंद थे । इन रूपों के बाबत जब जहांगीर लाल से पूछा गया तब उन्होंने कहा कि कमीशन और रिश्वत से जुटाई गई रकम है। इस रकम का वह सिर्फ एक केयरटेकर है । इस काम के बदले उसे हर महीने पन्द्रह हजार रुपए मिलते हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि ये रुपए झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास के मंत्री आलमगर आलम के पीएस संजीव लाल के हैं । इस छापामारी के अलावा ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री और पीएस संजीव लाल से जुड़े कई अन्य लोगों के यहां भी छापामारी की गई। इन सबों के यहां भी छापेमारी में करोड़ों रुपए नकदी बरामद हुए ।
अब सवाल यह उठता है कि ये बरामद रुपए किनके हैं ? वहीं दूसरी ओर झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास के मंत्री आलमगीर आलम आलम कह रहे हैं कि इस बरामद रुपए से उनका कोई ताल्लुक नहीं है। तब जहांगीर आलम के यहां ये रुपए आए कहां से ? इन रूपयों को किन-किन माध्यमों से कैसे और किन लोगों ने पहुंचाया ? गंभीर छानबीन की जरूरत है। दोषियों पर कार्रवाई करने की जरूरत है।
विचारणीय यह है कि देशभर में लोकसभा का चुनाव चल रहा है। कहीं ये रुपए झारखंड प्रांत में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों तक तो नहीं पहुंचाया जाना नहीं था ? जिस तरह अलग-अलग सूटकेस में इतनी बड़ी राशि मिली, इस और इशारा करती है। आदि कई सवाल उठ रहे हैं । जिस पर ईडी सहित हर एक झारखंडियों को विचार करने की जरूरत है ।
आज झारखंड में भ्रष्टाचार जिस ऊंचाई तक पहुंच चुका है । इस विषय पर हर एक झारखंड वासी को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है । अगर झारखंड में भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाया गया तो झारखंड की स्थिति दिन-ब-दिन और भी खराब होती चली जाएगी। एक ओर झारखंड की सत्ता से जुड़े नेता गण, अधिकारी और कर्मचारी मालामाल हो रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर झारखंड की जनता बेहाल है। झारखंड के प्रांत के लिए यह कितनी शर्म की बात है कि भ्रष्टाचार के आरोप में प्रांत के कई नेता ,अधिकारी और सरकारी कर्मचारी जेल में बंद हैं ।
झारखंड अलग प्रांत का गठन सन् 2000 में हुआ था । लंबे संघर्ष के बाद झारखंड अलग प्रांत का गठन हो पाया था। लेकिन झारखंड निर्माण के साथ ही नेताओं के आपसी कलह के कारण 14 वर्षों तक राजनीतिक अस्थिरता बनी रही थी। इसके बाद रघुवर दास की सरकार आई, जिसने अपना पूरा 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा किया । लेकिन उनके मंत्रियों और अधिकारियों पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे। ईडी उनके विरूद्ध भी कार्रवाई करने में जुटी हुई है। ईडी उन पर कार्रवाई करने में इतना विलंब क्यों कर रही है ? यह ईडी ही जाने।
उम्मीद थी कि हेमंत सोरेन की सरकार एक नई पहचान और झारखंड के चतुर्दिक विकास में अहम भूमिका निभाएगी । लेकिन यह एक सपना ही बनकर रह गया । खुद इस राज्य के मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन मनी लांड्रिंग और जमीन घोटाले के मामले में जेल में बंद है । वहीं एक बार फिर झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल के नौकर के यहां से इतनी बड़ी राशि के बरामद होने से भ्रष्टाचार पर फिर से चर्चा होने लगी है। सर्वविदित है कि ईडी ने यह कार्रवाई बहुत ही सूझबूझ के साथ अंजाम दिया है। ईडी, ग्रामीण विकास विभाग के निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम से इस छापामारी की जानकारी ली थी। ग्रामीण विकास विभाग के निलंबित इंजीनियर जिनके यहां से करोड़ों रुपए बरामद हुए थे । वीरेंद्र राम पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप में जेल में बंद हैं। विचारणीय यह है कि जब राज्य के एक मंत्री से जुड़े अधिकारी और नौकर के पास इतनी बड़ी राशि मिल सकती है, तो अन्य मंत्रियों के पास कितनी बड़ी राशि मिल सकती है ? इस पर विचार करने की जरूरत है ।
झारखंड खनिज संपदा से भरा एक प्रांत है। देश का लगभग 40% खनिज संपदा झारखंड के गर्भ में छुपा हुआ है। इसके बावजूद झारखंडियों को दो समय की रोटी जुगाड़ करने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ रही हैं । इस राज्य में निवास करने वाले कई लोगों को भरपेट भोजन भी नसीब नहीं हो रहा है । रोजी-रोटी के लिए इस प्रांत से लाखों लोग पलायन कर चुके हैं। लाखों की संख्या में हमारे प्रांत के झारखंडी भाई और बहनें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मुंबई आदि महानगरों में घर के नौकर और दुकान के नौकर के रूप में काम करने को दिवस हैं । जिस प्रांत में देश का 40% खनिज संपदा उपलब्ध है। उस प्रांत के निवासियों का यह हाल है ?
इस प्रांत में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि जिन आईपीएस और आईएएस अधिकारियों को राज्य की सुरक्षा और विकास की जवाब देही सौंपी जाती है, वे ही झारखंड को लूटने में लगे हैं। सूत्र बताते हैं कि इन अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग पर लाखों करोड़ों वसूले भी जाते हैं। जब राज्य सरकार ही कटघरे में खड़ी है, तब जनता किससे सवाल करें ?
मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल के घरेलू नौकर जहांगीर आलम के यहां से जब इतनी बड़ी राशि निकाली, इस पर ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम ने कितना हास्यास्पद बयान दिया है। आलमगीर आलम ने कहा कि उन्होंने भी टीवी पर न्यूज़ देखा है कि मेरे आप्त सचिव के घर छापामारी चल रही है । उन्होंने कहा कि मेरा इस मामले में कोई लेना-देना नहीं है। संजीव एक सरकारी अधिकारी है। इससे पहले भी वह दो दो मंत्री के यहां काम कर चुके हैं। इसे देखते हुए उन्होंने संजीव को अपने पास रखा था। पैसे किसके हैं, कहां से आए इसकी जानकारी संजीव या जहांगीर आलम ही दे सकते हैं । उन्होंने कहा कि जब तक पूरी जांच नहीं हो जाती है, तब तक कोई भी निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। मंत्री आलमगीर आलम की बातों से झलकता है कि उन्हें इस भ्रष्टाचार से कोई लेना देना है ही नहीं । इस तरह के जवाब से आलमगीर आलम साहब बच नहीं सकते हैं । झारखंड की साढ़े तीन करोड़ जनता आपसे सीधे यह सवाल पूछ रही है कि आपके पीस संजीव लाल के घरेलू नौकर जहांगीर आलम के पास इतने रुपए आए कहां से ? आप कुछ भी बोलकर इस नैतिक जवाब नहीं से नहीं बच सकते हैं।
एक ओर आलमगीर आलम जिस पार्टी से आते हैं, उन्हीं की पार्टी के नेता यह रोना रो रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में पैसे की कमी के कारण बैनर, पोस्टर, होर्डिंग और अन्य चुनावी प्रचार कार्य में होने वाले खर्च के पैसे जुट नहीं कर पा रहे हैं । कांग्रेस पार्टी से सीधा सवाल यह है कि जहांगीर आलम के यहां से पकड़ी गई इतनी बड़ी राशि आई कहां से ?
अब तक बीते 24 वर्षों में झारखंड में जिस पार्टी व दल की सरकारें बनी, अपने को भ्रष्टाचार से अलग नहीं कर पाई । यह झारखंड प्रांत के लिए सबसे दुर्भाग्य पूर्ण बात है । ईडी ने मंत्री के पीएस संजीव लाल और घरेलू नौकर जहांगीर आलम को सात दिनों के लिए रिमांड पर लिया है। उम्मीद है कि ईडी इन दोनों से भ्रष्टाचार से जुड़े कई अन्य रहस्यों पर से पर्दा उठा पाने में सफल होगी।
झारखंड में भ्रष्टाचार किस ऊंचाई तक पहुंचा हुआ है ?
एक ओर झारखंड की सत्ता से जुड़े नेता गण, अधिकारी और कर्मचारी मालामाल हो रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर झारखंड की जनता बेहाल है। झारखंड के प्रांत के लिए यह कितनी शर्म की बात है कि भ्रष्टाचार के आरोप में प्रांत के कई नेता ,अधिकारी और सरकारी कर्मचारी जेल में बंद हैं ।