Friday, May 17, 2024
HomeBIHARक्या आगामी बिहार चुनावों में अहम होगी किंगमेकर की भूमिका ?

क्या आगामी बिहार चुनावों में अहम होगी किंगमेकर की भूमिका ?

2015 के विधानसभा चुनावों में बिहार में तीखा मुकाबला देखने को मिला था। महागठबंधन ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर पर सवार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का डटकर सामना किया। 2014 के बाद विपक्षी दल मोदी की जीत को रोकने के लिए कई बार एक साथ आते दिखाई दिए, लेकिन यह बिहार चुनाव की पिछली लड़ाई ही थी जहां पार्टी के नेताओं के साथ-साथ कैडर ने भी सही मायने में मिलकर काम किया।

नतीजतन राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस से मिलकर बने महागठबंधन ने भाजपा के खिलाफ जीत हासिल की। वादे के अनुसार नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया गया और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साथ उनकी दोस्ती ने काफी सुर्खियां बटोरीं। लेकिन ऊपर से सही दिखाई देने वाला यह रिश्ता लंबे समय तक नहीं टिक पाया और कुछ समय बाद नीतीश आरजेडी और कांग्रेस का साथ छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए। विपक्षी दलों ने उनके इस कदम को बिहार के मतदाताओं के साथ विश्वासघात करार दिया। लेकिन पांच साल बाद गेंद एक बार फिर जनता के पाले में है, जो बदले हुए राजनीतिक समीकरणों के मद्देनजर इन नेताओं के भाग्य का फैसला करेगी।

राज्य की राजनीतिक बिसात की सामान्य समझ और ज्योतिषीय गणना को मिलाकर, बेंगलुरु के पंडित जगननाथ गुरुजी का मानना है कि आगामी बिहार चुनावों के बाद कोई भी पार्टी 122 की जादुई संख्या तक नहीं पहुंच पाएगी और राज्य में त्रिशंकु विधानसभा बनेगी। भारतीय राजनीति में एक बार फिर से वह मौका आएगा जब किंगमेकर निर्णायक भूमिका निभाएगा। उम्मीद है कि इस बार भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस किंगमेकर की भूमिका में होगी। यह सच है कि कांग्रेस पूरे देश में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह इस दौरान कुछ हैरतअंगेज़ नहीं कर सकती। 2019 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों को याद कीजिए।
दो साल पहले कांग्रेस को बिहार में तगड़ा झटका लगा था। उस समय राज्य इकाई के पूर्व प्रमुख अशोक चौधरी और तीन एमएलसी पार्टी छोड़कर नीतीश के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के साथ मिल गए थे। लेकिन लगता है कि पार्टी उस झटके से उबर गई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में दावा किया कि राज्य में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव भारत की ‘दिशा’ और ‘दशा’ को बदल देंगे। हालांकि इसे राजनीतिक नारेबाजी मान कर ख़ारिज किया जा सकता है, लेकिन पार्टी का बिहार में इतने सीट पाना कि वो किसी अन्य पार्टी के नेता को मुख्यमंत्री के पद पर काबिज कर सके असंभव भी नहीं है।

भारत के चुनाव आयोग द्वारा बिहार में चुनाव की घोषणा करने के बाद ही असली परीक्षा शुरू होगी। हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और एनडीए में शामिल एलजेपी के नेता चिराग पासवान ने कोविड-19 की महामारी को देखते हुए मतदान टालने का सुझाव दिया है।

dpadmin
dpadminhttp://www.deshpatra.com
news and latest happenings near you. The only news website with true and centreline news.Most of the news are related to bihar and jharkhand.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments