रांची। क्वारेंटाइन के दौरान शारीरिक दूरी का पालन करते हुए घर पर खुद को सुरक्षित रखना संक्रामक रोग के प्रसार को रोकने में काफी सहायक है। इस वजह से हालांकि सामान्य दिनचर्या थोड़ी प्रभावित जरूर होती है। क्वारेंटाइन के दौरान स्वयं को अलग-थलग महसूस न करें। इस बिंदु पर जब आधिकारिक क्षमता, योग्यता कमजोर हो जाती है, तो आप सोच सकते हैं कि इसकी उत्तरोत्तर कठिनता से अपनी भावनाओं से निपटना, डेटा याद करना आदि कार्यों के निष्पादन में दिक्कतें आती है। ऐसे में व्यथित भावनाओं का सिर्फ अनुभव करना भी ठीक है। जैसे क्रोध, उदासी, सुन्नता, भ्रम, पीटीएसडी, मूड या यहां तक कि तनाव आदि।
यह बहुत आवश्यक है कि इन भावनाओं का ध्यान रखा जाए और ऐसे में सही उपकरणों का उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित किया जाए। इन मुद्दों का सामना करने के कुछ तरीके खुद को विचलित करने से बचाती है। खाना पकाने, पेंटिंग, ड्राइंग आदि जैसे विभिन्न गतिविधियां व्यस्त रखने में सहायक हैं। एक दोस्त, परिवार से बात करना या किसी के बारे में यह सोचना कि आप कैसा महसूस कर सकते हैं। यदि आप वर्तमान परिस्थितियों में अपने आस-पास पेशेवर मददगार की तलाश कर रहे हैं, तो आपको अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। मनोवैज्ञानिक इन कठिन समय के दौरान भी परामर्श के लिए उपलब्ध हैं। याद रखें कि क्वारेंटाइन में सक्रिय रहें, एक दूसरे से संवाद करें और अपने प्रियजनों और आसपास के लोगों की सुरक्षा के लिए आवश्यक सावधानी बरतें।
क्वारेंटाइन के दौरान मानसिक स्वास्थ्य दुरूस्त रखने में मनोवैज्ञानिक सलाह अहम : जैनब रहमान
Sourceनवल किशोर सिंह