Saturday, May 4, 2024
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चलिए भानगढ़ के रहस्यमयी सफ़र पर ,कहानीकार सुधांशु राय की दिल दहला देने वाली नई कहानी के साथ।

भारत में ऐसी जगहों की कोई कमी नहीं है, क्‍योंकि यहां कितने ही किले हैं जिनमें आज कोई नहीं रहता, ऐसे कई गांव हैं जो बरसों से निर्जन पड़े हैं और यहां तक कि ऐसे होटल भी हैं जिन्‍हें भूत-प्रेतों के पसंदीदा ठिकानों के तौर पर जाना जाता है।

सदियों से भूत-प्रेतों और आत्‍माओं के अस्तित्‍व को लेकर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन ऐसी ज्‍यादातर चर्चाएं बेनतीजा रही हैं। जो लोग नई जगहों पर घूमना पसंद करते हैं और जिन्हें परालौकिक रहस्‍यों की छानबीन करने में भी मज़ा आता है, वे उन जगहों पर जाना पसंद करते हैं जो भूतहा मानी जाती हैं। भारत में ऐसी जगहों की कोई कमी नहीं है, क्‍योंकि यहां कितने ही किले हैं जिनमें आज कोई नहीं रहता, ऐसे कई गांव हैं जो बरसों से निर्जन पड़े हैं और यहां तक कि ऐसे होटल भी हैं जिन्‍हें भूत-प्रेतों के पसंदीदा ठिकानों के तौर पर जाना जाता है। लेकिन अगर यह पूछा जाए कि ऐसे स्थानों में सबसे अव्‍वल नंबर पर कौन है तो निश्चित ही भानगढ़ के किले का नाम हरेक की जुबान पर आता है। यह राजस्थान में अलवर के नज़दीक और देश की राजधानी से महज़ 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहानीकार सुधांशु राय की नई हॉरर स्‍टोरी हमें भानगढ़ के किले, जिसे 1631 में माधो सिंह ने बनवाया था,कि रहस्मयी दुनिया की तफ्तीश पर ले जाती है|

कहानी के मुख्य किरदार सिद्धार्थ मिश्र हैं जो एक जाने-माने फिल्मनिर्माता हैं और अपने कॅरियर की सबसे बेहतरीन फिल्म का निर्माण करने की धुन उन्हें भानगढ़ के किले तक ले आयी है। सिद्धार्थ और उनकी टीम के सदस्यों ने पहले से ही इस किले से जुड़ी कितनी ही दंतकथाओं और भूतहा कहानियां सुन रखी हैं। अपनी कहानी के लिए एक असल अहसास जुटाने के लिए सिद्धार्थ अपने टीम के साथ पहुंच जाते हैं भानगढ़ के किले पर। उनके साथ हैं बॉलीवुड अभिनेता कबीर और फैसला होता है रात के अंधकार में शूटिंग करने का। फिल्म निर्माण टीम के वहां पहुंचने के बाद से ही कुछ न कुछ अनहोनी घटनाएं महसूस होने लगती हैं। टीम के बार-बार अनुरोध के बावजूद सिद्धार्थ इस बात पर अड़े रहते हैं कि एक दृश्‍य तो रात के वक़्त किले के अंदर ज़रूर शूट किया जाएगा।

लेकिन जब वे किले के अंदर जाते हैं, तो उन्हें नहीं मालूम होता कि उनके सामने क्या आने वाला है। सिद्धार्थ अपनी धुन में इतने रमे हैंकि वे किले के गार्ड की चेतावनी को भी अनदेखा करते हैं जिसने उन्हें प्रवेश बिंदु से 500 मीटर आगे जाने से रोकना चाहा था। क्याहोता है जब फिल्म क्रू इस किले के काफी नज़दीक पहुंचकर शूटिंग शुरू करता है? क्या सचमुच कोई है जो उनके पीछे चुपचाप आकर खड़ा हो गया है और जिसकी गरम सांसे वे अपनी गर्दन पर महसूस भी कर रहे हैं? आखिर वे विकृत प्राणी कौन थें जो पेड़ों पर टंगे थें? क्या जासूस बूमराह इस रहस्य को सुलझा सकते हैं?

इन सभी सवालों के जवाब आपको मिलेंगे यह कहानी सुनकर जो रौंगटे खड़ी कर देने वाली है। बेशक, पहले भी भानगढ़ की पृष्ठभूमिमें कई कहानियां लिखी जा चुकी हैं और कई फिल्मों की शूटिंग यहां हो चुकी है, लेकिन शायद ही कोई इस किले की असली तस्वीर और सिहरन पैदा कर देने वाले माहौल को इतनी शिद्दत से दिखला पाया हो। लेकिन कहानीकार सुधांशु राय की भानगढ़ के किले पर लिखी कहानी की बात ही कुछ और है। इसे महसूस करने के लिए आपको खुद कहानी सुननी होगी!

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