रांची : शुक्रवार शाम 8 बजे 8 मिनट के लिए छठी जेपीएससी के मेरिट लिस्ट के विरोध में छात्रों ने सम्पूर्ण राज्य में दिया जलाओ अभियान चला करके विरोध प्रदर्शन में सम्पूर्ण राज्य के छात्रों ने एक साथ दिया जलाकर ऐतिहासिक चट्टानी एकता का परिचय दिया, जेपीएससी आंदोलनकारी छात्र नेता देवेन्द्र नाथ महतो, अजय चौधरी,मनोज यादव, उमेश प्रसाद, इमाम सफी, ने बताया कि जब छात्र कोरोना वायरस के महामारी से विवश होकर घर के अंदर है तब लॉकडाउन का फायदा उठाते हुए विवादित छठी जेपीएससी का घोटाला करते हुए मुख्य परीक्षा मेरिट लिस्ट जारी किया गया।
छठी जेपीएससी रद्द करने की मांग को लेकर राज्य के संपूर्ण छात्रों ने किया प्रदर्शन
विवादित छठी जेपीएससी के नियुक्ति प्रक्रिया में कहीं भी आरक्षण नियमावली, आयोग का नियमावली तथा सुप्रीम कोर्ट के गाईड लाईन का पालन नहीं किया गया है। आयोग के भ्रष्ट अधिकारियों ने सीट घोटाला करने के लिए नियम का पालन किए बिना पूरी प्रक्रिया में भाई- भतीजा- वाद किया है।
विवादित छठी जेपीएससी का पिछले चार वर्षों से सत्ता पक्ष तथा विपक्ष दोनों द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन करने के बावजूद मेरिट लिस्ट जारी करके आयोग ने साबित कर के दिखा दिया कि कैसे नियमावली पालन किए बिना अपने मर्जी से झारखंड को सिर्फ अधिकारी पदाधिकारी चला रहे हैं ।
विवादित छठी जेपीएससी का प्राप्तांक आयोग के नियम विरूद्ध जारी किया गया है विज्ञापन और सिलेबस दोनों में लिखा गया है कि पेपर वन अनिवार्य विषय के रूप में हिंदी और अंग्रेजी दो खंड में 50-50 अंक के कुल 100 पूर्णांक की परीक्षा होगी जो क्वालीफाइंग पेपर है इसमें सिर्फ 30 अंक लाना है जो पांचवीं जेपीएससी में पालन भी किया गया था तथा ये यूपीएससी समेत पूरे देश के सभी राज्यों के लोक सेवा आयोग में यही नियम का पालन किया जाता है,परन्तु पहली बार छठी जेपीएससी में सीट का घोटाला करते हुए अनिवार्य विषय हिंदी और अंग्रेजी क्वालीफाइंग विषय के कुल प्राप्तांक को भी मेरिट लिस्ट में जोड़ा गया जो नियम के विरोध है तथा ये किसी भी छात्र को मालूम नहीं रहने के कारण इस विषय की तैयारी भी किसी ने नहीं किया था , इससे वैसे छात्रों को दोहरी लाभ पहुंचाया गया जो छात्र क्षेत्रीय भाषा के रूप अंग्रेजी तथा हिन्दी विषय का चयन किया था वैसे छात्रों को एक ही विषय पढ़कर पेपर टू तथा पेपर वन दोनों विषय में कुल 250 अंक का सीधे लाभ मिला ऐसे स्थिति में झारखंड के क्षेत्रीय तथा जनजातीय भाषा पढ़ने वाले छात्र मेरिट लिस्ट से वंचित हो गए हैं इससे महाघोटाला प्रतीत होता है।
इसके अलावा अन्य गड़बड़ी के रूप में बीसी – टू के अभ्यार्थी राज्य सरकार के कर्मचारी जिसका क्रमांक 68015920 है आरक्षण नियमावली के अनुसार इसका चयन अनारक्षित वर्ग के प्रशानिक पद में होना था परन्तु आयोग ने इसका परीक्षाफल आरक्षित वर्ग में ही पुलिस सेवा के रूप में किया है, चूंकि विज्ञापन के कंडिका में साफ लिखा है कि राज्य सरकार के वैसे कर्मी जिन्होंने तीन वर्ष लगातार सेवा पूरी कर ली हो उनको पांच वर्ष की उम्र सीमा का लाभ दिया जाएगा।
इसके अलावा आयोग ने कुछ परीक्षार्थियों जिसका कटऑफ मार्क्स से कम अंक आया है उनका भी मेरिट लिस्ट में रिजेल्ट जारी किया है तथा कुछ परीक्षार्थी जो कटऑफ मार्क्स के बराबर अंक प्राप्त किए हैं परन्तु उनको फैल किया गया है।
कटऑफ मार्क्स से कम अंक प्राप्त करने के बाद भी आयोग द्वारा प्रकाशित फाइनल रिजल्ट में महेंद्र महतो का नाम आता है जिसका क्रमांक 68017146 जो पिछड़ा वर्ग वन के सदस्य हैं। जिसको पेपर वन का 48 नम्बर मिलाकर लिखित परीक्षा में 539 मिला है तथा इंटरव्यू में उन्हें 54 नम्बर प्राप्त हुआ है इस तरह कुल मिलाकर इन्हें 593 अंक प्राप्त हुआ है जबकि आयोग ने पिछड़ा वर्ग वन के लिए कटऑफ मार्क्स 594 जारी किया है इस प्रकार महेंद्र महतो को कटऑफ से एक नम्बर कम मिला है फिर भी आयोग ने वित्त सेवा के लिए चुना है हालांकि इस गंभीर मामले में अभी आयोग ने लीपापोती कर रही है।
इसी तरह आयोग ने अन्य गड़बड़ी करते हुए एक सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी अल साईद को कटऑफ मार्क्स के बराबर 600 अंक लाने पर भी फैल घोषित किया है जिसका क्रमांक 68075752 है, उन्होंने पेपर वन का 60 अंक मिलाकर लिखित परीक्षा में 545 अंक प्राप्त करता है तथा इंटरव्यू से 45 अंक प्राप्त होता है इस प्रकार इन्हें कुल 600 अंक कटऑफ अंक के बराबर अंक प्राप्त होता है परन्तु इसका रिजल्ट जारी नहीं होता है जिसका आयोग के पास कोई जवाब नहीं है।
इसके अलावा अन्य गड़बड़ी भी हैं बीसी -1 क्षेणी के प्रशानिक पद में 607 अंक प्राप्त करने वाले टॉपर तथा बीसी-1 के ही 621 अंक प्राप्त करने वालों को प्रशानिक पद तक नहीं मिला आयोग ने प्रिफरेंस नियमावली का भी पालन नहीं किया है,अनारक्षित क्षेणी में उत्तीर्ण आरक्षित वर्ग के सफल अभ्यार्थियों का प्रिफरेंस के आधार पर पद आवंटित नहीं किया गया है बीसी-1 के अभ्यार्थी संजय कुमार महतो क्रमांक 68018230 है जिसका कुल प्राप्तांक 621 है इनका पुलिस सेवा के बाद दूसरा प्रिफरेंस प्रशानिक सेवा था जिन्हें बीसी-1 क्षेणी से प्रशासनिक सेवा पद के लिए टॉपर होना था परन्तु आयोग के लापरवाही से इन्हें दूसरा प्रिफरेंस प्रशानिक पद के जगह तीसरा प्रिफरेंस वित्त सेवा का पद दिया गया जबकि इनका प्राप्तांक आयोग द्वारा घोषित प्रशानिक सेवा अन्तर्गत बीसी-1 क्षेणी से टॉपर श्री सेवा राम साहू क्रमांक 68030012 जिसका प्राप्तांक 607 से ज्यादा है ।
इसके अलावा क्रमांक 68038675, 68075830, 68016453, 68016155, 68026224, एवं 6801087 को क्रमशः दूसरा, तीसरा, चौथा, पांचवा, एवं छठा रैंक दिया जाना भी त्रुटिपूर्ण है बीसी-1 के प्रथम रैंक श्री सेवा राम साहू क्रमांक 68030012 का प्राप्तांक 607 से कम है जबकि बीसी-1 क्षेणी के अभ्यार्थी संजय कुमार महतो क्रमांक 6808230 प्राप्तांक 621 जिसका प्रिफरेंस पुलिस से के बाद दूसरा प्रिफरेंस प्रशासनिक सेवा था।
इस तरह से आयोग ने सभी आरक्षित वर्गों के दर्जनों अभ्यार्थियों के साथ गड़बड़ी किया है जिसका रिजल्ट अनारक्षित क्षेणी में जारी हुआ था उनका प्रिफरेंस पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है। इसलिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग किया कि छात्रों के प्रतिभा का सम्मान करते हुए छात्रहित को देखते हुए विवादित छठी जेपीएससी को तत्काल रद्द करते हुए पांच वर्षो का उम्र सीमा का लाभ देते हुए छठी ,सातवीं आठवीं और नवीं जेपीएससी ओबीसी का 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ पिटी में भी आरक्षण के साथ एक साथ निकाला जाय।