Wednesday, May 15, 2024
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देश का पहला दलित पुजारी का ख़िताब के कारण छिड़ा पटना महावीर मंदिर विवाद ! जानिए क्या है पूरा मामला?

पटना :

28 वर्षों तक महावीर मंदिर पटना के पुजारी रहे सूर्यवंशी दास ने महावीर मंदिर पर हनुमान गढ़ी के अधिकार जताने के मामले में अहम भूमिका निभाई है। वर्ष 1993 में सूर्यवंशी दास को महावीर मंदिर के पुजारी के पद पर नियुक्त किया गया था। अयोध्या स्थित संत रविदास मंदिर के महंत घनश्यामपत दिवाकर महाराज ने फलाहारी सूर्यवंशी दास को महावीर मंदिर के पुजारी के पद पर नियुक्त करते हुए पटना भेजा था । पटना में 28 वर्षों तक सूर्यवंशी दास को पुजारी के रूप में भरपूर सम्मान मिला।

इस दौरान सूर्यवंशी दास को पता चला कि देश में दूसरा दलित पुजारी बनाने का प्रयास किशोर कुणाल द्वारा हो रहा है, तब उन्हें लगा कि देश के एकमात्र दलित पुजारी वे नहीं रह पायेंगे। इसलिए वे आचार्य किशोर कुणाल के विरोध में हो गये। इस बीच रामनवमी के दिन महावीर मंदिर के पुजारी उमाशंकर दास ने कुछ लोगों से पैसा लेकर रात में आरती के बाद मंदिर में लाकर दर्शन कराया। ऐसे में उमाशंकर दास को हटाया गया।

हटाये जाने के बाद उमाशंकर दास ने सूर्यवंशी दास को आगे कर अयोध्या में हनुमानगढ़ी जाकर माहौल बनाया कि महावीर मंदिर में सभी पुजारी हनुमान गढ़ी के हैं, इसलिए महावीर मंदिर पर हनुमान गढ़ी को दावा करना चाहिए। मई में सभी पुजारी और सूर्यवंशी दास बगैर किसी सूचना के चले गये और एक महीना तक नहीं लौटे। इसके बाद किशोर कुणाल ने गुरु रविदास मंदिर के महंत को पत्र लिखकर सूर्यवंशी दास को महावीर मंदिर भेजने का अनुरोध किया। सूर्यवंशी दास ने उमाशंकर दास को बहाल करने की शर्त रख दी। किशोर कुणाल ने उनके नहीं लौटने पर दूसरा दलित पुजारी भेजने का अनुरोध किया। रविदास मंदिर के महंत ने सूर्यवंशी दास की शिकायतें मिलने पर सात जुलाई 2021 को उन्हें महावीर मंदिर के पुजारी पद से हटा दिया। उनके स्थान पर संस्कृत में आचार्य और निष्ठावान ब्रह्मचारी साधु अवधेश दास को नियुक्त किया है।

इस बीच महावीर मंदिर पटना में अयोध्या के गुरु रविदास मंदिर की ओर से नवनियुक्त पुजारी अवधेश दास ने अपना योगदान दे दिया है। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से आचार्य की डिग्री ले चुके अवधेश दास बचपन से ही अयोध्या में हैं। अयोध्या के पड़ोसी जिले अंबेडकर नगर के रहने वाले अवधेश दास अयोध्या के गुरु रविदास मंदिर में छह वर्ष की अवस्था में आये थे। रविदास परंपरा के संतों के इस प्राचीन आश्रम में आने के बाद उन्होंने अपना गृहस्थ जीवन पूरी तरह से त्याग दिया।

आचार्य अवधेश दास ने बताया कि आश्रम के तत्कालीन महंत घनश्यामपत दिवाकर जी महाराज ने उनका दाखिला अयोध्या के योगीराज संस्कृत श्रीराम महाविद्यालय में कराया था। वहीं उन्होंने संस्कृत के जरिये भारतीय संस्कृति और शास्त्रों का अध्ययन किया। गुरु रविदास मंदिर के गद्दीनशीं महंत को ही अपने माता-पिता मानने वाले आचार्य अवधेश दास ब्रह्मचारी साधु हैं।महावीर मंदिर में पुजारी के रूप में अपना योगदान देने के बाद उन्होंने कहा कि हनुमान जी की सेवा करने का अवसर उन्हें मिला है। इसके लिए आचार्य किशोर कुणाल का हृदय से आभार है। देश के किसी मंदिर में दलित को पुजारी बनाने वाला पटना का महावीर मंदिर अकेला है।

अपने पूर्ववर्ती दलित पुजारी फलहारी सूर्यवंशी दास के संबंध में उन्होंने बताया कि गुरु रविदास मंदिर के गद्दीनशीं महंत बनवारी पति उर्फ ब्रह्मचारी ने कई बार बुलाकर और दूरभाष से भी समझाने की भरसक कोशिश की, लेकिन उनके आचरण में कोई सुधार नहीं हुआ।

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