Tuesday, May 14, 2024
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पशुधन संरक्षण और संवर्द्धन के लिए संकल्पित शख्सियत हैं राकेश कुमार सिंह

सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को पशुपालन और मत्स्यपालन के लिए कर रहे प्रेरित

  • रांची। सकारात्मक सोच के साथ जीवन में कुछ बेहतर करने का जज्बा और जुनून हो, तो मुश्किल राहें भी आसान हो जाती हैं। पीड़ित मानवता की सेवा के यूं तो कई मिसाल मिल जाएंगे, लेकिन बेजुबान जानवरों की पीड़ा समझते हुए उसकी सेवा में जुटे रहने का उदाहरण विरले ही मिलेगा। पशुधन संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे राजधानी रांची के एचईसी आवासीय परिसर स्थित गांधी आश्रम निवासी राकेश कुमार सिंह ऐसी ही एक शख्सियत हैं।
    पशु प्रेमी व पर्यावरण प्रेमी श्री सिंह का बेजुबान जानवरों के प्रति लगाव बचपन से ही रहा। वह फिलवक्त स्वयंसेवी संस्था भारतीय जन कल्याण परिषद ट्रस्ट के बैनर तले किसान भाग्यमणि योजना संचालित कर रहे हैं। इसके तहत वह पश्चिम बंगाल के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों और पशुपालकों को पशुधन संवर्द्धन और संरक्षण के लिए निरंतर प्रेरित कर रहे हैं। श्री सिंह का नारा है “बछड़ा बचाएं, देश को सशक्त बनाएं”।
    श्री सिंह सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में पशुधन संरक्षण और संवर्द्धन के लिए ग्रामीणों को प्रेरित करने में जुटे हैं। बेजुबान जानवरों के प्रति दया और करुणा का भाव रखते हुए पशुपालन व मत्स्यपालन के क्षेत्र में ग्रामीणों को सशक्त बनाने की दिशा में श्री सिंह विगत तकरीबन डेढ़ दशक से जुटे हैं। किसान भाग्यमणि योजना के अंतर्गत श्री सिंह अपने सहयोगियों संग गरीब ग्रामीणों के बीच पशुपालन और मत्स्यपालन को बढ़ावा देने संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत कराते हैं। यही नहीं, इस दिशा में किसानों को आगे बढ़ाने के लिए वे यथासंभव आर्थिक सहयोग भी करते हैं।
    श्री सिंह का मानना है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में पशुपालन और मत्स्यपालन काफी सहायक है। इससे न सिर्फ ग्रामीणों को रोजगार प्राप्त होता है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति में भी आशातीत सुधार होता है। श्री सिंह गौ माता की सेवा के संकल्प के साथ इस दिशा में सतत प्रयासरत हैं। किसान भाग्यमणि योजना के तहत उन्होंने अब तक 19000 गाय के बछड़े और तकरीबन 22000 बकरी के बच्चों को जंगलमहल क्षेत्र में वितरित किया है। गाय-बछड़ों और बकरी के बच्चे के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए किसान भाग्यमणि योजना के तहत उन्होंने ग्रामीण स्तर पर लगभग 330 पशुधन सहायकों (पशु मित्र कार्यकर्ताओं) की टीम तैयार की है, जो किसानों, पशुपालकों और मत्स्य पालकों को हर संभव सहयोग करने को सदैव तत्पर रहते हैं
    श्री सिंह का मानना है कि पशुधन संवर्द्धन से खासकर ग्रामीण किसानों की दशा और दिशा में सुधार संभव है। पशुपालन और मत्स्यपालन से ग्रामीण रोजगार सृजन की भी अपार संभावनाएं हैं। राकेश सिंह मानते हैं कि इस दिशा में सरकारी स्तर से किए जा रहे प्रयासों के अलावा गैर सरकारी स्तर पर भी स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से व्यापक जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। तभी ग्रामीण सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार संभव है।
    (प्रस्तुति : विनीत कुमार)
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