पालघर/मुंबई : 17 अप्रैल को जूना अखाड़े के दो साधु अपने ड्राइवर के साथ मुंबई से गुजरात के सूरत में अपने साथी के अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे। तभी पालघर के एक गांव में गांव वालों ने इन्हें डकैत समझ कर पीट-पीट कर मार डाला। ये तीनों मुंबई के कांदिवली इलाके से मारुति ईको कार में सवार होकर सूरत निकले जहां उनके साथी की मौत हो गई थी। दोनो साधुओं को ही उनका अंतिम संस्कार करना था। जब इनकी गाड़ी महाराष्ट्र-गुजरात बॉर्डर पर पहुंची तो पुलिस ने उन्हें रोक कर वापस भेज दिया। इसके बाद तीनों ने अंदरूनी जंगल वाले रास्ते से होकर आगे बढ़ना तय किया।
इस बीच पालघर जिले के कई गांवों में अफवाह फैल गई कि लॉकडाउन का फायदा उठाकर अपराधी तत्व बैखौफ होकर चोरी डकैती को अंजाम दे रहे हैं। लोगों का अपहरण कर उनकी किडनी निकाल रहे हैं। इस अफवाह के चलते गांव वालों ने बिना कुछ सोचे समझे इनकी गाड़ी देख इन पर हमला कर दिया और गाड़ी को पलट दिया।
पुलिस को इस घटना की सूचना दी गई। पुलिस ने वहां पहुंचकर इन तीनों को अपनी गाड़ी में बैठाया लेकिन गांव वालों की भारी भीड़ के सामने पुलिसकर्मियों की संख्या काफी कम थी, इसलिए तीनों घायलों को छोड़कर पुलिसकर्मी भाग खड़े हुए। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने इन्हें पीट-पीट कर मार डाला।
पालघर की घटना को लेकर मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा, ‘हमने दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है और मामले की जांच के लिए एडीजी सीआईडी अपराध अतुलचंद्र कुलकर्णी को नियुक्त किया गया है। इस पूरी घटना में कुछ भी सांप्रदायिक नहीं है। मैंने आज सुबह अमित शाह से इसपर बात की।
पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए ग्रामीणों और 110 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जिनमें से 101 को 30 अप्रैल तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है और नौ नाबालिगों को एक किशोर आश्रय गृह में भेज दिया गया है।
पालघर के एसपी गौरव सिंह का कहना है कि पलाघर की घटना को लेकर कासा पुलिस थाने के दो पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है। यहां गांववालों ने चोर समझकर तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। गांववालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और 110 को गिरफ्तार किया गया है।
पालघर घटना को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बात की। मंत्रालय ने राज्य सरकार से इस मामले में रिपोर्ट मांगी है।