Wednesday, May 8, 2024
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मजलिस-ए-गम की चौथी मजलिस में बोले मौलाना तहजीबुल

दूसरों की भलाई करने वाले मर कर भी अमर रहते हैं


रांची : हजरत इमाम हुसैन ने लोगों को जीने और मरने का फर्क बता दिया कि कुछ ऐसे लोग हैं जो जीते तो जरूर हैं, लेकिन वह चलती-फिरती लाश की तरह हैं। वहीं, कुछ वैसे भी लोग हैं, जो मर कर भी जिंदा (अमर) रहते हैं। उक्त बातें मस्जिद जाफरिया रांची के इमाम व खतीब हजरत मौलाना हाजी सैयद तहजीब उल हसन रिजवी ने कही। वह सोमवार को दस दिवसीय मजलिस-ए-गम की चौथी मजलिस को संबोधित कर रहे थे। मौलाना ने कहा कि जिन लोगों ने अपनी जिंदगी में लोगों की भलाई ही की है, जिनका जीवन दूसरों की सेवा और सहायता में बीता, वैसे हस्तियों को लोग मरने के बाद भी नहीं भूलते हैं। वैसे लोग मर कर भी जीवित रहते हैं। उन्होंने कहा कि हजऱत इमामे हुसैन ने फरमाया कि किसी को पहचानना है, तो देखो उसके अंदर भलाई का जज्बा पाया जाता है या नहीं। जो भलाई का काम करता है, उसके दुश्मन भी ज्यादा होते हैं। एक दिन ऐसा भी आता है कि दुश्मन जलील और रुसवा हो जाता है। भलाई नेमत और इबादत दोनों है। इसीलिए कहा गया है कि कर भला तो, हो भला। दूसरों के साथ भलाई करो, ताकि जमाने में पहचाने जाओ। हजऱत हुसैन ने पूरी जिंदगी इंसानों की भलाई में लगा दी और भलाई का काम करते शहीद हो गए। उन्होंने कहा कि शहादत के बाद भी हजऱत इमाम हुसैन जिंदा हैं। इस मजलिस का आयोजन डॉ.मुबारक अब्बास द्वारा किया गया।

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