Friday, May 17, 2024
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मीठे पानी में मत्स्यपालन की आधुनिकतम तकनीक से रू-ब-रू हुए अनुसूचित जनजाति के मत्स्य कृषक

तीन दिवसीय प्रशिक्षण का समापन


रांची। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीनस्थ केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान (कोलकाता) सेंटर एवं मत्स्य निदेशालय, झारखंड के संयुक्त तत्वावधान में मत्स्य किसान प्रशिक्षण केंद्र, शालीमार (धुर्वा), रांची के सभागार में कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम जनजातीय उप-योजना के तहत अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए आधुनिक तकनीक से मीठे पानी में मछली पालन विषय पर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में रांची जिले के अनुसूचित जनजाति विशेष के मत्स्यपालकों को मत्स्य पालन के क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर सृजित करने और आधुनिकतम तकनीक से मीठे पानी में मछली पालन के गुर सिखाए गए। प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ 9 मार्च को हुआ था। इसका समापन 11 मार्च गुरुवार को हुआ। मौके पर संयुक्त मत्स्य निदेशक मनोज कुमार ने राज्य सरकार द्वारा मत्स्य पालन के क्षेत्र में संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं सहित मछली पालन के आधुनिक तकनीकों से मत्स्यपालकों को अवगत कराया। वहीं, सहायक निदेशक (अनुसंधान) अशोक कुमार सिंह ने जिलों में प्रगतिशील मत्स्यपालकों से तालाब के उचित प्रबंधन और आधुनिक तकनीकों के प्रयोग करने पर बल दिया। तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, कोलकाता केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. गौरांग विश्वास ने मिश्रित मत्स्य पालन तथा मत्स्य स्वास्थ्य प्रबंधन में नई तकनीकों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए प्रशिक्षणार्थियों को मछली पालन की नई तकनीकों की जानकारी दी। वहीं, केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, कोलकाता केंद्र के वैज्ञानिक डॉ.दिलीप कुमार सिंह ने मत्स्य पालन के लिए पानी की गुणवत्ता के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आहार पर लागत को कम करने के लिए स्थानीय उपलब्ध आहार सामग्री का उपयोग कर मत्स्यपालक विशेष लाभान्वित हो सकते हैं। प्रशिक्षणार्थियों को रांची जिला मत्स्य पदाधिकारी अरुप कुमार चौधरी ने कहा कि मछली उत्पादन में सुधार के लिए आधुनिक तरीकों को अपनाकर आर्थिक रूप से कमजोर मत्स्यपालकों को अपनी आजीविका में सुधार लाने में यह प्रशिक्षण काफी सहायक साबित होगा। इसका मत्स्य पालकों को काफी लाभ पहुंचेगा। वहीं, प्रशिक्षण शिविर में विशेष रुप से उपस्थित मुख्य अनुदेशक प्रदीप कुमार ने मत्स्यपालन प्रशिक्षण एवं इसके महत्व के बारे में बताया। इस अवसर पर मत्स्य किसान प्रशिक्षण केंद्र, शालीमार, धुर्वा के मुख्य अनुदेशक नीलम सरोज एक्का ने मत्स्य विभाग की उपलब्धियों, अनुसूचित मत्स्य कृषकों के उत्थान के लिए संचालित विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी दी। मंच के सफल संचालन में उन्होंने विशेष भूमिका निभाई। तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में विशेष रुप से मत्स्य पदाधिकारी रेवती हांसदा, स्वर्णलता मधु लकड़ा, सुरेंद्र चौधरी, धनराज आर कापसे, रणविजय कुमार, नंदन झा, मनोज कुमार, पंकज प्रमाणिक सहित विभाग के अन्य कर्मियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 50 अनुसूचित जनजाति के मत्स्य कृषकों ने भाग लिया।

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