रांची: कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए किए गए लॉकडाउन से इंसान तो इंसान, जानवरों की भी परेशानियां काफी बढ़ गई है। गली-मोहल्लों में विचरण करते लावारिस गाय-बैल, बकरियों और कुत्तों को निवाला नहीं मिल पा रहा है। सड़कों पर छुट्टा घूमते जानवर भूख और प्यास से बिलबिलाते नजर आते हैं। सबसे बुरी स्थिति तो लावारिस कुत्तों की हो गई है। लाॅकडाउन के पूर्व शहर के विभिन्न होटलों और मुहल्लेवासियों द्वारा फेंके गए जूठन आदि से कुत्ते भोजन कर तृप्त हो जाया करते थे। लेकिन वर्तमान समय में जो परिस्थितियां उत्पन्न हुई है, उसके तहत सभी छोटे-बड़े होटल व रेस्टोरेंट आदि बंद हैं। घरों से भी जूठन नहीं के बराबर निकल रहा है। इससे खासकर स्ट्रीट डाॅग के समक्ष भूखों मरने की नौबत आ गई है। इसे देखते हुए शहर के कई पशु प्रेमियों ने लावारिस कुत्तों को रात्रि में खाना देना शुरू किया है।
इस दिशा में राजधानी के निवारणपुर मोहल्ला निवासी समाजसेवी और पशु प्रेमी राकेश कुमार सिंह व तुषार कांत शीट ने सराहनीय पहल की है। उक्त दोनों समाजसेवियों ने अपने परिवार के अन्य सदस्यों के सहयोग से रात्रि में मुहल्ले के लावारिस कुत्तों को रोटी-सब्जी व अन्य प्रकार का भोजन देना शुरू किया है। इससे भूखे-प्यासे बेजुबान लावारिस कुत्तों को काफी राहत मिल रही है। इस संबंध में पर्यावरण प्रेमी और पशु प्रेमी श्री सिंह व श्री शीट ने कहा कि बेजुबान जानवरों को निवाला देना भी पुण्य का काम है।
लाॅकडाउन में लावारिस जानवरों की भी बढ़ी परेशानी
SourceNawal kishore singh