रांची। राजधानी के अपर बाजार में वर्षों पूर्व निर्मित भवनों को रांची नगर निगम द्वारा तोड़ने के आदेश से भवन मालिकों के समक्ष उत्पन्न कठिनाईयों को लेकर बुधवार को व्यापारियों ने झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ बैठक कर मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया। यह कहा गया कि 1950-60 में बने भवनों को तोड़ने का आदेश अव्यावहारिक है। यह चिंतनीय है कि कई भवनों का होल्डिंग नंबर हैं, बिजली बिल, म्युनिसिपल टैक्स भी दे रहे हैं, ऐसे में निगम द्वारा किस आधार पर भवनों को अवैध निर्माण बताते हुए तोड़ने का आदेश दिया जा रहा है? यदि कुछ अतिरिक्त निर्माण हुए हैं, तो इसे उचित शुल्क और पेनाल्टी लेकर नियमितीकरण करना चाहिए। वर्षों से बने हुए निर्माण को पूरी तरह ध्वस्त किया जाना राष्ट्रीय संपत्ति की क्षति है। यह भी कहा गया कि यदि भवन अवैध है, तो फिर म्युनिसपल टैक्स, होल्डिंग टैक्स क्यों लिया जाता है।
व्यापारियों ने यह भी कहा कि अनधिकृत आवासीय निर्माण को नियमितीकरण करने हेतु वर्ष 2011 में लाई गई योजना के तहत काफी संख्या में लोगों ने निर्धारित शुल्क एवं नक्शा के साथ आवेदन जमा कराया था, लेकिन उन सभी नक्शों की बिना जांच किये समस्त आवेदनों को निरस्त कर दिया गया। लोगों द्वारा जमा कराई गई राशि भी निगम द्वारा अब तक वापस नहीं की गई है। राज्य सरकार से यह मांग की गई कि राज्य सरकार को पूर्व के नियमितीकरण योजना को व्यावहारिक बनाते हुए पुनः रेगुलराईजेशन बिल लाना चाहिए।
व्यापारियों की समस्याओं को देखते हुए चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा ने कहा कि वैश्विक महामारी के कारण व्यापारी वर्ग चुनौतियों के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में रांची नगर निगम द्वारा वर्षों पूर्व बने हुए भवनों को तोड़ने का आदेश न्यायसंगत नहीं है। यदि राजधानी में अवैध निर्माण हुए हैं, उसे रेगुलराइज करना चाहिए। कई दूसरे शहरों में भवनों को रेगुलराइज करने की प्रक्रिया अपनाई गई है। निगम को संवेदनशीलता दिखाते हुए तब तक निर्गत किये गये सभी नोटिसों को शिथिल करना चाहिए। यह सहमति बनाई गई कि शीघ्र ही फेडरेशन चैंबर द्वारा मुख्यमंत्री, विभागीय अधिकारी एवं नगर आयुक्त के साथ मिलकर इस समस्या के समाधान का प्रयास किया जायेगा।
बैठक में चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा, उपाध्यक्ष किशोर मंत्री, महासचिव राहुल मारू, सह सचिव राम बांगड, पूर्व अध्यक्ष विनय अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य अमित शर्मा, को-ऑर्डिनेशन विद पॉलिटीकल उप समिति चेयरपर्सन महुआ माजी, रोहित पोद्दार, व्यवसायी श्यामसुंदर मोदी, सुनिल सरावगी, बिनोद मोदी, विकास मोदी, निषांत सरावगी, भानु प्रकाश जालान, निर्मल मोदी, सौरव जालान, नारायण मुरारका, राजीव खंडेलवाल, अरविंद सोमानी, मुकेश काबरा, उमाशंकर कनोडिया, मनमोहन मोहता, शिवशंकर साबू सहित अन्य व्यवसायी उपस्थित थे।
वर्षों पूर्व बने भवनों को तोड़ने का आदेश अव्यावहारिक : चैंबर
Sourceनवल किशोर सिंह