Friday, May 10, 2024
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अद्भुत चित्रकार हैं भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त अमरनाथ सिंह, श्रीरामचरितमानस के मार्मिक दृश्यों के चित्रण में है महारत हासिल


   नवल किशोर सिंह की रिपोर्ट

-कहावत है “जहां चाह, वहां राह”। कहते हैं कि जिंदगी में कुछ बेहतर करने का जज्बा और जुनून हो तो हर राहें आसान हो जाती है। ईश्वर भी उन्हें पग-पग पर साथ देते हैं और भगवान की अदृश्य प्रेरणा शक्ति से प्रेरित होकर इंसान कुछ ऐसे अद्भुत कार्य करने में भी सफल हो जाता है, जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की। ऐसे ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी एक शख्सियत हैं एचईसी आवासीय परिसर स्थित आवास संख्या ए- 149, (सेक्टर 2,पंचमुखी हनुमान मंदिर के समीप) निवासी अमरनाथ सिंह।श्री सिंह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा डालमियानगर (डेहरी-ऑन-सोन, बिहार) में हुई। तत्पश्चात औरंगाबाद स्थित एक कॉलेज से उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर किया। श्री सिंह झारखंड राज्य खनिज विकास निगम से सेवानिवृत्त कर्मी हैं।  फिलवक्त वे विभिन्न धार्मिक -आध्यात्मिक संस्थाओं से जुड़कर धर्म-अध्यात्म के क्षेत्र में लोगों को जागरूक करने में जुटे हैं। श्री सिंह धुर्वा स्थित श्रीराम दरबार विकास परिषद द्वारा निर्मित राम मंदिर की संचालन समिति में पदधारी हैं। इसके अलावा सेक्टर दो स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर सेवा समिति सहित अन्य धार्मिक संस्थाओं से भी जुड़े हैं।  भगवान श्रीराम की भक्ति में लीन रहकर उनके आदर्शों को समाज में स्थापित करने की दिशा में सतत प्रयासरत रहना उनकी दिनचर्या में शुमार है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के प्रति विशेष लगाव -जुड़ाव होने और रामचरितमानस के विभिन्न मार्मिक व रोचक प्रसंगों के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि झारखंड सरकार की सेवा से रिटायर होने के बाद खाली समय का सदुपयोग करने के उद्देश्य से  रामचरितमानस में वर्णित विभिन्न मार्मिक एवं रोचक प्रसंगों का गहराई से अध्ययन करने में जुट गए। प्रतिदिन रामायण का गहन अध्ययन करने लगा। इससे रामायण में वर्णित विभिन्न मार्मिक प्रसंगों का चित्रण करने की उनमें अभिरुचि जगी। नतीजतन कैनवास पर उन मार्मिक प्रसंगों का चित्रण करना शुरू कर दिया।  भगवान श्रीराम का अदृश्य आशीर्वाद और उनके पिता स्वर्गीय रामचंद्र सिंह की प्रेरणा उन्हें चित्रकला के क्षेत्र में पारंगत बनाने में काफी सहायक साबित हुई। वे रामचरितमानस में वर्णित कई मार्मिक प्रसंगों को कैनवास पर उकेरने लगे। उनके इस कार्य में उनकी पत्नी कुमकुम सिंह भी पूरा सहयोग करने लगी। एक कुशल गृहिणी के रूप में घर के कामकाज और अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करते हुए अपने पति को धर्म-अध्यात्म के कार्यों में कदम-कदम पर वह सहयोग करती हैं।  श्री सिंह बताते हैं कि उनके  पिता स्व.रामचंद्र सिंह आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। घर में अक्सर रामायण व अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ किया करते थे। इससे रामचरितमानस के अध्ययन के प्रति उनमें रुचि जगने लगी।  अपने सेवाकाल के दौरान भी समय निकाल कर वे रामचरितमानस का अध्ययन करने में जुटे रहे। धर्म ग्रंथों में वर्णित संदेशों  का गहराई से अध्ययन करने और उसे अपने जीवन में आत्मसात करने में उन्होंने कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखा। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में शामिल होना अपने दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण अंग बना लिया।  रामचरितमानस के  कई मार्मिक प्रसंगों का चित्रण कर उन्होंने चित्रकारी की अद्भुत कला प्रदर्शित की है।उनके द्वारा कैनवास पर उकेरे गए भगवान श्रीराम, उनके भक्त वीर हनुमान और माता सीता सहित रामायण के अन्य प्रमुख पात्रों की तस्वीरें कई मंदिरों में भी प्रदर्शित की गई हैं। भगवान श्रीगणेश, शंकर-पार्वती के चित्रों को भी कैनवास पर उकेर कर उन्होंने अपनी विलक्षण प्रतिभा का  परिचय दिया है।उनके द्वारा बनाई गई तस्वीरें धुर्वा स्थित श्रीराम मंदिर के दीवारों पर भी लगी हुई हैं, जो आगंतुकों/श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनी है।श्री सिंह द्वारा रामचरितमानस के विभिन्न प्रसंगों/दृश्यों से संबंधित तस्वीरें राम मंदिर की शोभा बढ़ा रही हैं। जो भी श्रद्धालु उन तस्वीरों को देखते हैं, दांतो तले उंगलियां दबाने को विवश हो जाते हैं।उन्होंने रामचरितमानस के  कई ऐसे प्रसंगों की दुर्लभ तस्वीरें भी बनाई है, जो अन्य चित्रकारों/कलाकारों से उन्हें अलग करती है। भगवान श्री राम के जीवन से संबंधित उनकी कलाकृतियां चित्रकारिता में अद्भुत मिसाल है।  समाज के प्रति अपने संदेश में श्री सिंह कहते हैं कि लोगों को अपनी दिनचर्या में से थोड़ा समय निकाल कर धर्म-अध्यात्म के प्रति भी अभिरुचि रखने की आवश्यकता है। धार्मिक और आध्यात्मिक शक्तियों से शरीर और मन-मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे हमें बेहतर तरीके से जीवन जीने की शक्ति मिलती |

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