खादी और ग्रामोद्योग आयोग, भारत सरकार के खादी और ग्रामोद्योगी कार्यक्रमों का संचालन करने के साथ ही साथ प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) का राष्ट्रीय नोडल अभिकरण के रूप में संचालन करता है। जिसका लक्ष्य ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के बेरोजगार जो स्वयं से उद्योग लगाना चाहते हैं, को सहायता प्रदान करना है। वर्तमान में इस योजना के अन्तर्गत बैंक से ऋण के रूप में राशि 50 लाख तक विनिर्माण क्षेत्र में तथा 20 लाख तक की राशि सेवा क्षेत्र में दिए जाने का प्रावधान है। उक्त ऋण राशि में 15 से 35 प्रतिशत तक की राशि भारत सरकार से मार्जिन मनी सब्सिडी के रूप में सहायतार्थ प्रदान की जाती है। प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर भारत एवं स्वावलंबी भारत बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम मुख्य भूमिका निभा रही है।
विदित हो कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसपर MSME मंत्रालय के साथ प्रधानमंत्री के कार्यालय से निगरानी की जाती है। प्रधानमंत्री मोदी जी का देश को स्वावलंबी बनाने की दिशा में जो प्रयास है, उसमें इस योजना की महती भूमिका रही है। पिछले पांच वर्षों 2018-19 से 2022-23 तक PMEGP योजना के तहत झारखण्ड प्रदेश में कुल 8392 नई इकाइयों की स्थापना हेतु कुल मार्जिन मनी सब्सिडी रु. 210.46 करोड़ के रूप में वितरित की जा चुकी है, जिससे लगभग 67,136 बेरोजगारों को नये रोजगार के अवसर प्रदान किए गए। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 में मार्जिन मनी राशि का लक्ष्य 1532 परियोजनाओं की स्थापना हेतु रु. 51.10 करोड़ निर्धारित किया गया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में लगभग 65 प्रतिशत आबंटित लक्ष्य की प्राप्ति हो चुकी है, जो एक शुभ संकेत है। सबों के संयुक्त प्रयास से इस वर्ष शतप्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किए जाने हेतु कार्य योजना पर विचार-विमर्श हेतु इस कार्यशाला सह निरीक्षण बैठक का आयोजन किया गया है।
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वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 में पी.एम.ई.जी. के तहत निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने तथा अभी तक की उपब्धियों पर विचार-विमर्श करने हेतु सभी स्टेक होल्डर्स के साथ दिनांक 19 जनवरी, 2023 को होटल कैपिटल हिल, मेन रोड, रांची के सभागृह में PMEGP की एक कार्यशाला सह निरीक्षण बैठक का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता जितेन्द्र कुमार सिंह (IAS, सचिव -उद्योग, झारखण्ड सरकार) द्वारा की गई। इसके मुख्य अतिथि मनोज कुमार सिंह, सदस्य (पूर्वी क्षेत्र), खादी और ग्रामोद्योग आयोग थे। इसमें खादी और ग्रामोद्योग आयोग के सहायक निदेशक राजीव मल्होत्रा (DGM-SLBC बैंक ऑफ इंडिया) रांची, DGM (RBI, रांची), DGM (इंडियन बैंक, रांची), AGM (नाबार्ड, रांची), AGM (सीडबी) के साथ ही साथ सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों के आंचलिक/क्षेत्रीय प्रमुख, सभी जिला उद्योग केन्द्रों के महाप्रबन्धक, अग्रणी जिला बैंकों के प्रबन्धक उपस्थिति थे।
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बैठक की शुरुआत करते हुए सहायक निदेशक, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, राज्य कार्यालय, रांची ने अपने स्वागत भाषण में PMEGP की अद्यतन स्थिति की जानकारी दी, साथ ही साथ वर्ष 2023-24 के लिए निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने की सभी बैंकों से अपील की एवं सबों को साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया। क्योंकि, लक्ष्य प्राप्त न करने की स्थिति में हमारे प्रदेश के हिस्से की मार्जिन मनी सब्सिडी के रूप् में केन्द्र सरकार से प्राप्त राशि दूसरे प्रदेश को दे दी जाती है, जो लक्ष्य प्राप्त करने की स्थिति में हमारे बेरोजगारों के हिस्से में आनी थी।
निरीक्षण बैंठक में सचिव उद्योग, झारखण्ड सरकार ने बैंकों द्वारा आवेदन के रिजेक्शन पर चिंता जताई तथा बैंकों को अपने पास आवेदन 30 दिन से ज्यादा पेंडिंग न रखने की आवश्यकता पर बल दिया, साथ ही उन्होंने सलाह दिया कि अगर बहुत ही आवश्यक हो तभी आवेदन रिजेक्ट करें और रिजेक्शन का रिर्माक विस्तृत होना चाहिए जिससे वास्तविक कारण का पता लग सके। आवेदन करने वाले लोग अक्सर गरीब एवं बेरोजगार लोग होते हैं और उन्हें इस बाबत सहायता की आवश्यकता है। उनसे व्यक्तिगत संपर्क स्थापित कर उनके आवेदन में संभवतया सुधार करवा कर उनका आवेदन प्रोसेस करें। सभी बैंकों के वरीय पदाधिकारीगण ने भी इस पर अपनी सहमती जताई। उनका सुझाव था कि हमें ऋण डिस्वर्स करने के लिए अंतिम त्रैमास तक का इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि पूरे साल की कार्ययोजना के अनुसार काम करना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री का संकल्प कि “देश की इकोनॉमी को मजबूत करना है” इस बाबत पी.एम.ई.जी.पी. के माध्यम से छोटे-छोटे उद्योगों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्य अतिथि मनोज कुमार सिंह, सदस्य (पूर्वी क्षेत्र), खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने सभी स्टेक होल्डर्स को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम द्वारा प्रधानमंत्री जी के सपने को पूरा करने के साथ ही साथ सभी जुड़े हुए अधिकारियों/कर्मचारियों को समाजोत्थान करने का एक सुअवसर बताया, जिससे देश का न केवल विकास होगा साथ ही साथ वे स्वयं के लिए भी एक नेक कार्य करेंगे। झारखण्ड एक पिछड़ा प्रदेश है, इसलिए यहां छोटी-छोटी परियोजनाएं ज्यादा आती हैं, जिसपर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाना चाहिए। छोटे-छोटे उद्योगों के माध्यम से स्थापित इकोनॉमी देश के लिए ज्यादा इकोनॉमिक स्थायित्व प्रदान करती है। मुख्य अतिथि ने पी.एम.ई.जी.पी. को स्वरोजगार का एक अमोघ अस्त्र बताया, जिसका सही प्रकार से उपयोग करने की आवश्यकता है, ताकि हमारे ग्रामीण क्षेत्रों के कुटीर उद्योग पुनर्जीवित हो सकें। उन्होंने इस योजना को बेरोजगारों को स्वयं मालिक बनने का अवसर एवं नौकर वाली मानसिकता से बाहर निकलने का एक अवसर बताया जो हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या को रोजगार प्रदान करने में महती भूमिका निभा सकती है। सभी बैंकों के वरीय पदाधिकारीगण ने इस वित्तीय वर्ष में अपने-अपने बैंकों के निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने का भरोसा दिलाया। इस बाबत यह सुझाव दिया गया कि सभी बैंक अपने स्तर से जरूरतमंद लोगों की पहचान कर पोर्टल में PMEGP के तहत आवेदन सृजित करें ताकि उनके एन.पी.ए. के स्तर में कमी आए और गैर-पारंपरिक उद्योग न लगवाकर वैसे उद्योगों पर बल दिया जाय जिसका कच्चा माल इस प्रदेश में बहुलता में उपलब्ध है। PMEGP योजनान्तर्गत यहां के अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को आगे आने की अपील की गई ताकि जनसंख्या अनुरुप उनकी समुचित भागीदारी इस योजना में हो सके। पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 की तरह इस वर्ष भी निजी बैंकों की भागीदारी को लेकर चिन्ता जाहिर की गई और यह अपील की गई कि सभी निजी बैंक PMEGP योजना के तहत अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें ताकि लक्ष्य प्राप्ति का दबाव राष्टीयकृत बैंकों पर कम हो सके एवं शतप्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। सभी निजी बैंक के प्रतिनिधियों ने इस वित्तीय वर्ष में निर्धारित लक्ष्य में अपनी सकारात्मक भागीदारी का आश्वासन दिया। साथ-ही-साथ सचिव उद्योग ने सभी वरीय बैंक पदाधिकारीगण से अपील की कि बैंको को दिए गए लक्ष्य सिर्फ इन्डिकेटिव हैं, बैंकर्स लक्ष्य से अधिक भी कर सकते हैं, इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अंत में सुनील कुमार मिश्रा, सहायक निदेशक, राज्य कार्यालय, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, रांची ने उपस्थित सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया एवं कार्यशाला सह निरीक्षण सभा की समाप्ति की घोषणा की।