झारखंड के जाने माने समाजसेवी सह राजनीतिज्ञ बटेश्वर प्रसाद मेहता का व्यक्तित्व और कृतित्व सदा लोगों को प्रेरित करता रहेगा । आम जनों की हितों के लिए सदैव संघर्षरत रहते हैं बटेश्वर प्रसाद मेहता। वे लोगों को न्याय दिलाने के लिए चौबीसों घंटे तत्पर रहने के साथ-साथ प्रांत अथवा राष्ट्र की समस्याओं पर अपनी सजग दृष्टि भी रखते हैं। वे अयोध्या में हो रहे प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर बीते एक महीने से जिले के हर मंदिरों का दर्शन और जन जागरण कार्य में सक्रिय हैं। जब भी देश में भीषण आपदा आई, बटेश्वर मेहता बिना किसी स्वार्थ के आपदा से निपटने के लिए घर बार छोड़ कर निकल पड़ते रहे हैं। राजनीतिक एवं सामाजिक मुद्दों पर उनका बयान बहुत ही संतुलित व जागृति पैदा करने वाला होता है। लोकतंत्र के एक सजग प्रहरी के रूप में बटेश्वर प्रसाद मेहता दिन रात लगे रहते हैं। मानो उनका जन्म समाज में शिक्षा का अलख जगाने, सामाजिक कुरीति मिटाने और जन सेवा के लिए ही हुआ हो । आज की बदली परिस्थिति में जहां राजनीति व्यक्तिवादी, पारिवारवाद एवं धन कमाने का एक जरिया बन गया है, वहीं दूसरी ओर बटेश्वर प्रसाद मेहता राजनीति के मार्ग पर चलकर जनसेवा कर रहे हैं। उनका जुझारू एवं संघर्षशील व्यक्तित्व एक नया इतिहास गढ़ने जा रहा है। उनका जन्म हजारीबाग जिला अंतर्गत ग्राम चंदा में हुआ था। स्वतंत्रता सेनानी पिता रामेश्वर महतो ने देश की आजादी में अपना सर्वोच्च न्योछावर कर दिया था। देश की आजादी के बाद रामेश्वर महतो ने समाज सेवा और खेती किसानी को ही अपने जीवन का लक्ष्य बनाया। बटेश्वर प्रसाद मेहता ने अपने पिता के कृतित्व से प्रभावित होकर बाल काल में ही समाज सेवा करने का संकल्प ले लिया था ।
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उन्होंने मध्य विद्यालय करियातपुर, चंदा से माध्यमिक, कामाख्या नारायण उच्च विद्यालय, इचाक से मैट्रिक एवं संत कोलंबा महाविद्यालय, हजारीबाग से स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। पढ़ाई पूरी करने बाद उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी पिता रामेश्वर महतो के पद चिन्हों पर चलने का मन बना लिया था। घरवाले चाहते थे कि बटेश्वर प्रसाद मेहता पढ़ाई पूरी करने के बाद किसी सरकारी नौकरी में जाए। घरवालों की इस बात पर बटेश्वर मेहता ने स्पष्ट कर दिया कि वह सरकारी नौकरी में नहीं जाएगा तथा आजीवन पिता के पद चिन्हों पर चलकर समाज की सेवा करेगा। उन्होंने, अपने पिता एवं बड़े भाई से कहा, ‘मैं समाज सेवा को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया हूं’। बटेश्वर प्रसाद मेहता के समाज सेवा के दृढ़ संकल्प को देखकर पिता और बड़े भाई दोनों ने समाज सेवा करने का आशीर्वाद उन्हें दिया। तब से लेकर अब तक वे बिना रूके समाज सेवा के पथ पर अग्रसर हैं।
उन्होंने छात्र जीवन से ही समाज सेवा प्रारंभ कर दिया था। वे अपने निर्धन मित्रों को स्कूल की किताबें, पुराने और नूतन वस्त्र दिया करते थे । जरूरत पड़ने पर वे अपने साथियों को अनाज भी दिया करते थे। वे गरीब साथियों के बीमार पड़ने पर इलाज भी करवा दिया करते थे । जब वे संत कोलंबा महाविद्यालय से बीए की परीक्षा पूरी कर रहे थे, तब आपसी सहयोग से ठंड के दिनों में जरूरतमंदों के बीच कंबल वितरण किया करते थे । आज भी ठंड में बटेश्वर प्रसाद मेहता गरीबों के बीच कंबल वितरण करते नजर आते हैं। इसी दौरान वे हजारीबाग के सदर अस्पताल में इलाज रत रोगियों के बीच दवा एवं अन्य जरूरी सामान वितरण किया करते थे। मरीजों के इलाज में लापरवाही बरते जाने पर वे अस्पताल के सिविल सर्जन से मिलकर मरीजों के समुचित इलाज की मांग किया करते थे। फलत: मरीजों का समय पर समुचित इलाज हो पाता।
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बटेश्वर प्रसाद मेहता का मत है, ‘जब तक समाज के हर वर्ग के लोग शिक्षित नहीं होंगे, समाज का काया कल्प नहीं होगा’। इसे उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने अपने पिता रामेश्वर महतो के नाम से ग्राम चंदा में ‘रामेश्वर महतो उच्च विद्यालय’ की स्थापना की। इस विधालय के स्थापना के कुछ ही सालों के बाद इसका सरकारी करण हो गया । आज इस विद्यालय में एक हजार से अधिक छात्र-छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इस विद्यालय के कई छात्र एवं छात्राएं देश के प्रतिष्ठित कंपनियों में सेवा दे रहे हैं । कई छात्रों ने सिविल सर्विसेज की भी परीक्षा उत्तीर्ण किया। ग्रामीण वासियों को उच्च शिक्षा प्राप्त हो, इस निमित्त उन्होंने ग्रामीण वासियों से सहयोग लेकर ‘जगरनाथ महतो इंटर महाविद्यालय’ की स्थापना की। उन्होंने ग्रामीणों के सहयोग ग्राम बोंगा में ‘नवोदय विद्यालय’ की स्थापना की । उनके अथक प्रयास से बोंगा के ग्रामीणों ने 32 एकड़ जमीन नवोदय विद्यालय को दान किया ।
झारखंड में शिक्षा का अलख जगाने के लिए प्रांत भर में नियमित गोष्ठियों का आयोजन करना । समाज को दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, डायन बिसाही, रूढ़िवादिता, अंधविश्वास से को मुक्ति दिलाने के लिए नियमित जन जागरण बैठकों का आयोजन करना उनके दैनंदिन चर्या में शामिल है। उन्होंने समाज को जाति प्रथा से मुक्त करने के लिए कुशवाहा समाज, जो विभिन्न उपजातियों में बंटा हुआ था,उसे एक पंगत में लाकर अद्वितीय कार्य किया।उन्होंने पच्चास से अधिक शादियां बिना दहेज की करवाई । वे हर वर्ष कन्यादान के निमित्त गरीब कन्या के पिता को आपसी सहयोग से धन उपलब्ध कराते रहते हैं। हाथियों के आतंक से कई ग्रामीणों के घर टूट गए । इस दुःखद घड़ी में उन्होंने गरीबों के बीच चावल, कंबल, दवा आदि का वितरण किया । प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत उन्होंने कई गरीब जरूरतमंदों को आवास भी बनवाया। इस संबंध में उन्होंने कहा, ‘मुझे समाज सेवा करने में बहुत ही आनंद की प्राप्ति होती है’।
समाज सेवा के साथ उन्होंने समाज के दबे कुचले वर्ग के लोगों को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए राजनीति का भी दामन थामा। 1981 में वे युवा कांग्रेस ,इचाक प्रखंड के अध्यक्ष बने। 1984 में उन्होंने एजुकेशन प्लानिंग कमिशन के सदस्य के रूप में सराहनीय सेवा दी। उन्होंने दूर संचार विभाग, के सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में यादगार सेवा दी। रेलवे परामर्श दात्री समिति, धनबाद के सदस्य के रूप में उनकी सेवा सदा याद की जाएगी। उन्होंने 1984 में कांग्रेस पार्टी की दिशा हीनता के कारण समता पार्टी का दामन थामा। समाजवादी नेता नीतीश कुमार के साथ संपूर्ण बिहार में समाजवाद का अलख जगाया। उन्होंने समता पार्टी के टिकट पर 1995 में बरकट्ठा विधानसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन पराजय का मुंह देखना पड़ा । समता पार्टी का जदयू में विलय के पश्चात उन्होंने 2014 में जनता दल यू के टिकट पर बरकट्ठा से विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन इस बार भी उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा । इस पराजय के बाद भी उनकी सक्रियता में कोई कमी नहीं आई। वे निरंतर समाज सेवा और राजनीति में गतिशील बने हुए हैं। उन्होंने 2019 में झारखंड विकास मोर्चा का दामन थामा। उन्होंने झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के साथ राजनीति की नई पारी की शुरुआत की। झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के भाजपा में शामिल होने के साथ ही बटेश्वर प्रसाद मेहता भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए । तब से लेकर अब तक वे भाजपा के एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय हैं। वे बिना जनप्रतिनिधि होते हुए भी झारखंड के किसी भी विधायक और सांसद से कहीं ज्यादा सक्रिय रहते हैं। प्रांत के विधायकोंऔर सांसदों को बटेश्वर मेहता की जन सक्रियता से सीख लेनी चाहिए। उनका व्यक्तित्व और कृतित्व समाज के लिए अनुकरणीय है ।