रांची : झारखंड राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद के सदस्य और शहर के लोकप्रिय समाजसेवी राकेश कुमार सिंह ने कहा है कि निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लासेस शुरू करने का मकसद महज अभिभावकों का शोषण करना है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन क्लासेस का लाभ सभी छात्रों को नहीं मिल पाएगा। अभिभावकों को दिग्भ्रमित करने के लिए लाॅकडाउन के दौरान स्कूल प्रबंधन द्वारा ऑनलाइन क्लासेस की अवधारणा को छात्र हित में बताया जा रहा है। जबकि ऑनलाइन क्लासेस से छात्रों को कुछ भी लाभ होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का शिक्षा विभाग इस दिशा में गंभीरता से विचार करते हुए निजी स्कूलों को ऑनलाइन क्लासेज बंद करने निर्देश जारी करे। श्री सिंह ने कहा कि देशव्यापी लॉकडाउन से खासकर मध्यमवर्गीय परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ऑनलाइन क्लासेस निजी स्कूलों द्वारा पाठ्यक्रम पूरा कराने के नाम पर मात्र खानापूर्ति है, ताकि पढ़ाई के एवज में इस आपदाकाल में भी आर्थिक कठिनाई से गुजरते हुए परिवारों से मनचाहा शुल्क वसूल सकें। उन्होंने कहा कि सूबे के सभी निजी स्कूलों को झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा निर्देशित था कि अपने विद्यालय के पाठ्यक्रम की पुस्तकें 31 दिसंबर तक अपने वेबसाइट पर उपलब्ध कराएं। लेकिन कुछ स्कूलों को छोड़कर अधिकतर विद्यालयों में पाठ्यक्रम की पुस्तकों का उल्लेख अपने वेबसाइट पर नहीं किया गया। यह समझ से परे है कि जिस छात्र के पास किताबें हैं ही नहीं, वह पढ़ाई कैसे करेगा? उन्होंने कहा कि जिन घरों में एक स्मार्टफोन है और दो बच्चे हैं, वे कैसे पढ़ाई करेंगे? इस दिशा में न सरकार सोच रही है और न ही निजी स्कूल प्रबंधन। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने निजी स्कूल प्रबंधन से लॉकडाउन की अवधि का शिक्षण शुल्क नहीं लेने का निर्देश जारी किया है। इसके विपरीत निजी स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों से पूरी अवधि तक का फीस वसूलने की नीयत से ऑनलाइन क्लासेस की अवधारणा लाकर शोषण करने की रणनीति तैयार कर ली है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का शिक्षा विभाग प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने की दिशा में ठोस कदम उठाए, ताकि अभिभावकों का शोषण बंद हो सके।
अभिभावकों का शोषण जारी रखने के लिए निजी स्कूलों ने शुरू किया ऑनलाइन क्लासेज : राकेश सिंह
Sourceनवल किशोर सिंह