गया । भारत के विकास में बिहार प्रदेश का प्रमुख स्थान है इसके दो कारण है पहला हम परिश्रम पर विश्वास करते है चाहे वो खेत में हो या उद्योग के क्षेत्र में हो और दूसरा हम अपने प्रदेश तक हीं नहीं अपितु भारत के हर कोने में अपने श्रम से देश को विकसित बनाने में लगे हुए है।
बिहार वैश्विक स्तर तक पहुंचकर यह साबित किया है की हम आबादी को समस्या नहीं अपितु समाधान के रुप में देखते है। कुशल श्रमिक के नाते हम विकास का वह पहिया बने है जिससे देश को हमने तरक्की के राह पर लाया है।
इसके कारण हमें राजनीतिक उत्पीडन भी वक्त बेवक्त हमने सहा है किंतु हम अपने श्रम में अडिग रहे आज इसी का परिणाम है की “श्रममेव जयते” जैसे आत्मिक स्लोगन से भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी ने देश के सभी श्रम करने वाले लोगों का सम्मान बढाया।
किंतु हमें सिर्फ मजदूर समझकर हमारा मूल्य लगाया गया जबकि हम विकास के वो पहिया है की वह एक गीत है “न हम मेहनतकश जब अपना हिस्सा मांगेगें तो एक खेत नहीं एक देश नहीं सारी दुनिया मांगेगें”। इसलिए मानव संसाधन के नीति एंव नियम में बहुत सारे कानून होने चाहिए और उसमें भी बिहार के लिए प्रमुख स्थान होना चाहिए।
हर राज्य की अपनी अपनी संपदा है और यदि हमारे पास मानव संपदा है और वह भी कुशल मानव संपदा है तो हमारा जो अधिकार है उससे वंचित कर गुमराह करना अच्छी बात नहीं बल्कि इस संपदा को कौशल युक्त शिक्षा युक्त कर हमें भी विकास की वही गती देने का काम प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार को करना चाहिए।
अब बिहारी को बिमारी समझने का भूल न करे क्योंकि बिहारी विकास के पहिये का वो पहिया जो अपने कुशल श्रम से विकास के गति को दिन रात एक कर देश को विकसित बनाने में जुटा है।