बिहार पंचायत चुनाव 2021 में इस बार बड़ा परिवर्तन दिखाई दे रहा है।पंचायत चुनाव 2021 के लिए नामांकन का दौर जारी है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले पंचायत चुनाव की तुलना में इस बार मुखिया से अधिक क्रेज वार्ड सदस्य बनने का दिख रहा है। इस बार पंचायत चुनाव में पिछले चुनाव की तुलना में मुखिया पद के उम्मीदवारों की संख्या घट गई है। वहीं दूसरी ओर वार्ड सदस्य (पंचायत सदस्य) के लिए मुखिया पद से अधिक दावेदारी सामने आयी है । वर्ष 2016 के पंचायत चुनाव की तुलना में इस बार औसतन प्रति प्रखंड 240 उम्मीदवार कम हो गए हैं। इसे सरकारी योजनाओं के विकेंद्रीकरण से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
मुखिया पद से अधिक वार्ड सदस्य पद के दावेदार मैदान में उतरे हैं
पिछली बार के पंचायत चुनाव के तुलना में इस बार प्रत्येक प्रखंड से करीब 240 उम्मीदवार कम खड़े हुए हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव, 2021 के पहले चरण में 10 जिलों के 12 प्रखंडों के उम्मीदवारों से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं। बिहार पंचायत चुनाव2016 (Bihar Panchayat Chunav 2016) में जितने उम्मीदवार मैदान में उतरे थे उससे कम इस बार 2021 के पंचायत चुनाव में देखने को मिल रहा है। पहले चरण के लिए 12 प्रखंडों में सभी छह पदों के लिए कुल 15,328 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है। इस प्रकार, प्रति प्रखंड औसतन 1277 उम्मीदवारों ने नामांकन किया। जबकि वर्ष 2016 में पहले चरण में 37 जिलों के 58 प्रखंडों में सभी छह पदों के लिए करीब 88 हजार नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे। इस प्रकार, वर्ष 2016 में प्रति प्रखंड 1517 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था।
2016 में वार्ड सदस्य के कई पद रिक्त रह गए थे
वर्ष 2016 में मुखिया के पद के लिए दावेदारी अधिक थी जबकि इस बार वार्ड सदस्य बनने की होड़ अधिक है। 2016 के पंचायत चुनाव में वार्ड सदस्य के कई पद खाली ही रह गये थे जिसके कारण उपचुनाव भी कराना पड़ गया था। आयोग के अनुसार पहले चरण के चुनाव में इस वर्ष वार्ड सदस्य के सर्वाधिक 8611 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किया है, जबकि वार्ड सदस्य के कुल 2233 पद हैं।
विभिन्न योजनाओं में वार्ड सदस्यों की भागीदारी बना मुख्य आकर्षण
इस बार मुखिया पद से अधिक वार्ड सदस्य पद की तरफ़ उम्मीदवारों का झुकाव का मुख्य कारण, सरकारी योजना में वार्ड सदस्यों की भागिदारी बढ़ाना भी हो सकता है। ग़ौरतलब है कि राज्य सरकार ने निश्चय योजना के क्रियान्वयन में वार्ड सदस्यों की भागिदारी पंचायतों में बढ़ा दी है।पिछले चुनाव के दौरान पंचायत में मुखिया की मजबूती और भूमिका अधिक होती थी।मुखिया को पंचायत में ग्राम सभा की सहमति लेकर नई योजनाओं के लागू करने सहित कई अधिकार मिले हुए थे। तब, वार्ड सदस्यों की भूमिका नगण्य थी। इसलिए वार्ड सदस्य के पद पर कोइ विशेष रुचि नहीं लेता था। नल-जल योजना में वार्ड सदस्य ही अब अनुरक्षक होंगे, जिन्हें दो हजार रुपये प्रतिमाह मेहनताना भी मिलेगा।