Friday, May 17, 2024
HomeDESHPATRAभारत कभी ग्यारह सौ नदियों का देश हुआ करता था-विश्व नदी दिवस

भारत कभी ग्यारह सौ नदियों का देश हुआ करता था-विश्व नदी दिवस

विश्व नदी दिवस के उपलक्ष्य में गंगा रैली का आयोजन। गंगा नदी को बचाने के लिए इनकी सभी सहायक नदियों को भी बचाना होगा, क्योंकि यही छोटी-छोटी नदियाँ गंगा में सालो भर पानी देती है, जिससे गंगा नदी में प्रवाह बना रहता है।

पटना:

विश्व नदी दिवस 2022 के अवसर पर गंगा के किनारे 200 छात्र-छात्राओं ने गंगा यात्रा रैली निकाल कर गंगा की ‘अविरल धारा निर्मल धारा’ को बचाने की मुहीम तेज की।
यह कार्यक्रम जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया,भारत सरकार, पटना एवं “एशियन डेवलपमेंट रेसेर्च इंस्टिट्यूट,पटना (Asian Development Research Institute, Patna) के ENVIS केंद्र” द्वारा आयोजित की गयी। जिसमें कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तथा मुख्य वक्ता जुलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तम मंत्रालय, भारत सरकार) पटना के प्रभारी अधिकारी एवं वरीय वैज्ञानिक डॉ. गोपाल शर्मा थे, जिन्होंने कृष्णा घाट से गंगा शोध केंद्र केंद्र समाहरणालय घाट तक छात्र-छात्राओं के साथ नदी के किनारे किनारे रिवर ड्राइव पर रैली में भाग लिया।
डॉ शर्मा ने कहा कि भारत नदियों का देश कहा जाता है। नदियाँ हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इससे भारत देश की आर्थिक, व्यापारिक एवं सांस्कृतिक मदद मिलती है।

नदियाँ देश की जीवन रेखा के रूप में जानी जाती है

प्राचीन काल से नदियाँ हमारे लिए महत्वपूर्ण रही हैं, नदियों का उल्लेख हमारे पुराणों एवं ग्रंथों में भी देखने को मिलता रहा है। डॉ. गोपाल शर्मा ने गंगा की चर्चा करते हुए कहा कि गंगा ही नहीं देश की जितनी भी नदियाँ हैं, वे देश की जीवन रेखा के रूप में जानी जाती है। गंगा नदी हिमालय अलकनंदा एवं मन्दाकिनी के नाम से निकलकर रूद्र प्रयाग में मिलती है और गंगा कहलाती है और फिर यह नदी बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती है। इसकी लम्बाई 2525 किलोमीटर कही जाती है, लेकिन जब हमने खुद इस नदी की सर्वे में लम्बाई मापी है तब इसकी लम्बाई लगभग 2700 किलोमीटर के आसपास आती है। बिहार में यह नदी बक्सर में प्रवेश करती है तथा साहिबगंज के पास झारखण्ड में प्रवेश करती है। बिहार में गंगा की कुल लम्बाई 480 किलोमीटर है ।
गंगा हिमालय के गौमुख ग्लेसियर से निकलकर ऋषिकेश होते हुए हरिद्वार में जमीन पर उतरती है। यह नदी लम्बाई की दृष्टिकोण से विश्व में 39वां स्थान रखती है, लेकिन एशिया में 15स्थान पर है।

पटना अब घाटों का शहर कहलाने लगा है।
गंगा नदी पटना शहर से सटकर कर बहती है, और इसके किनारे पर जितने भी घाट है, उसे सुन्दर सुसज्जित बनाया गया है, जहां सुबह एवं शाम सैलानियों की भीड़ उमड़ी रहती है। इसलिए पटना अब घाटों का शहर कहलाने लगा है। पटना के गाँधी घाट पर प्रत्येक शनिवार एवं रविवार को गंगा आरती होती है जिसमें गंगा की महिमा की गुणगान होती है। इससे गंगा की महत्ता बढ़ जाती है। इतना ही नहीं अब तो गंगा के किनारे कई घाटों पर गंगा आरती होने लगी है, जिसमें भद्रघाट एवं गुरुगोबिंद सिंह जी घाट प्रमुख है।

गंगा नदी से कई प्रमुख नहरें निकलती है जिससे सिंचाई का काम होता है, लेकिन बिहार में और अधिक नहरें बनाने की आवश्यकता है। अब तो गंगा की जलधारा को राजगीर एवं बोध गया जैसे तीर्थ स्थलों एवं पर्यटन स्थलों पर भी भेजी जा रही है, जिससे गंगा जल की महत्ता बनी रहे तथा सालों भर इन तीर्थ स्थलों पर गंगा जल मिलता रहे।
भारत कभी ग्यारह सौ नदियों का देश हुआ करता था, लेकिन पर्यावरणीय चुनौतियों एवं प्राकृतिक आपदाओं के साथ साथ मानवीय भूलों के कारण हम अपनी नदियों को खोते जा रहे हैं, इन नदियों का दिन प्रतिदिन बहुत ज्यादा दोहन हो रहा है। आज मात्र दो सौ नदियों का देश रह गया है, जिसमें छोटी एवं बड़ी नदियां शामिल हैं। इन ग्यारह सौ नदियों में सालों भर पानी रहता था, लेकिन आज के दिनों में मात्र आठ से दस नदियों में ही सालो भर पानी रहता है, गंगा उनमें से एक हैं। अब तो इन नदियों को सड़क मार्ग जैसा जल-मार्ग के रूप में उपयोग हो रहा है जिससे नदी के साथ-साथ इसमें रहने वाले जैव-विविधताओं पर भी बुरा असर पड़ रहा है। मेरी राय में बरसात के दिनों में जब नदियों में ज्यादा पानी रहे तब इस तरह से इसका उपयोग होना चाहिए, अन्यथा नहीं।
गंगा नदी न केवल सांस्कृतिक विरासत एवं अध्यात्मिक महत्व की नदी है, बल्कि देश की 40% आबादी गंगा नदी पर निर्भर है। हम पटना वासी आज भाग्यशाली हैं कि हमारे शहर तीन तीन नदियों से घिरी हुई है जिसमें सोन, पुनपुन एवं गंगा प्रमुख रूप से हमारे लिए जीवन दायिनी का काम करते हैं। हमें गंगा की अविरल धारा को बनाए रखना है तथा इसकी पवित्रता को बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास करने की आवश्यकता है। जिसमें हमारी एवं आपकी भागीदारी आवश्यक है।

नदी रैली में शहर के लगभग दो सौ छात्र-छात्राओं ने भाग लिया
आज की नदी रैली (रिवर रैली दिवस ) में शहर के लगभग दो सौ छात्र-छात्राओं ने भाग लिया एवं गंगा की पवित्रता एवं इसकी जैव विविधता को बचाए रखने के लिए प्रण लिया।
गंगा की जैव-विविधता की चर्चा करते हुए डॉ. गोपाल शर्मा ने कहा कि इन नदियों में माइक्रोस्कोपिक जंतु से लेकर डॉल्फिन जैसे बड़े जंतु पाए जाते हैं। सभी जंतुओं की अपनी जीवन शैली होती है। नदी को बचाने में इन सभी जंतुओं की अपनी भूमिका होती है । इसलिए इन्हें बचाना होगा तभी हम अपनी गंगा को बचा पायेंगे, तभी पूरी जैव-विविधता बच पाएंगे। माइक्रोस्कोपिक जंतुओं को अगर नहीं बचायेंगे तो बड़े जंतु (जो उन छोटे-छोटे जंतुओं पर निर्भर करते हैं) को भी जान पर ख़तरा उत्पन्न होगा। अत: समग्रता के साथ गंगा नदी को बचाना होगा। गंगा नदी को बचाने के लिए इनकी सभी सहायक नदियों को भी बचाना होगा, क्योंकि यही छोटी-छोटी नदियाँ गंगा में सालो भर पानी देती है, जिससे गंगा नदी में प्रवाह बना रहता है। इस प्रकार गंगा एवं इसकी जैव-विविधता (जो एक बड़े प्राकृतिक संसाधन को बचाए रखता है) तथा इसमें किसी भी प्रकार के कोई सॉलिड वेस्ट एवं प्रदूषित जल नहीं डालना है। तभी हम अपने विरासत को बचा पायेंगें।
डॉल्फिन की चर्चा करते हुए डॉ, गोपाल शर्मा ने कहा कि यह प्राणी दस हजार करोड़ वर्ष से गंगा में रह रही है। यानि यह कहें की जब से गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ है तब से यह प्राणी गंगा में विराजमान है क्योंकि पहले तो यहाँ टेथिस सागर हुआ करता था और ये जो डॉल्फिन गंगा में रह रही है वे पहले समुद्रों में निवास करती थी।
रैली सुबह 6.30बजे श्री कृष्णा घाट से शुरू हुई जो 7.30 बजे पटना समाहरणालय घाट पर नव निर्मित गंगा शोध केंद्र में जाकर सभा में तब्दील हो गयी। जिसमें डॉ. गोपाल शर्मा एवं श्री नवीन कुमार ने गंगा, डॉल्फिन एवं गंगा की जैव-विविधता पर प्रकाश डाला। सभी छात्र-छात्राओं ने गंगा पथ पर प्लास्टिक एवं अन्य सॉलिड वेस्ट को साफ करने का काम किया। पटना नगर निगम का भी सहयोग रहा।
ADRI से प्रो. पी.के.घोष, मेम्बर सेक्रेटरी, विवेक तेजस्वी- कोऑर्डिनेटर, अजित कुमार प्रोग्राम ऑफिसर शारदा, शुश्री देव् रूपा, निशा कटारिया संजीव कुमार रूपा (टेक्नीकल औफिसर) भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। पटना के लगभग 10 विद्यालय विश्व विद्यालय एवं महाविद्यालय जिसमें NIT पटना के NSS के छात्र, BHUMI-NGO के वालंटियर्स, NCC राजेंद्र नगर के कैडेट्स, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ़ जूलॉजी के छात्र-छात्राओं एवं किलकारी के लगभग 200 छात्र छात्राओं ने इस रैली में भाग लेकर ज्ञानवर्धन किया ।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments