राँची:
आज 6 जून-2023 को भारतीय ट्रेड यूनियन केन्द्र (सीटू), झारखंड राज्य कमेटी के आह्वान पर , केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीति एवं झारखंड सरकार के नौकरशाहों के कारपोरेट परस्त रवैये से उपजे मुद्दों से जुड़ी 14 सूत्री मांगों को लेकर झारखंड के मजदूर व कर्मचारी ,श्रम भवन , रांची के समक्ष एक विशाल प्रदर्शन किया , इससे पहले श्रीकृष्ण सिंह पार्क से एक एक भव्य रैली निकाली गई थी जिसमें 3000 से भी अधिक कार्यकर्ता शामिल हुए थे । प्रदर्शन के उपरांत सीटू के राज्य नेतृत्व द्वारा श्रम आयुक्त महोदय के माध्यम से माननीय श्रम मंत्री और श्रम विभाग के सचिव महोदय को संबोधित करते हुए दो ज्ञापन सौंपा गया, प्रतिनिधिमंडल में कॉ0 बिश्वजीत देब, कॉ0 भवन सिंह, कॉ0 आरपी सिंह, कॉ0 अनिर्बान बोस एवं पूर्व विधायक कॉम अरूप चटर्जी शामिल थे । रैली प्रतिभागियों को वरिष्ठ श्रमिक नेता कॉम0 प्रकाश विप्लव और किसान सभा नेता कॉ0 सुरजीत सिन्हा ने बधाई दी।
प्रदर्शन में बड़ी संख्या में असंगठित मजदूर, ठेका मजदूर, गिग वर्कर, सरकारी परियोजनाओं में कर्मरत स्कीम वर्कर एवं अनुबंधित कर्मचारी, निर्माण मजदूर, बीड़ी मजदूर, खदान मजदूर, स्व-नियोजित युवा , सुरक्षा कर्मचारी, परिवहन आदि के साथ-साथ कोयला, स्टील, हेवी इंजीनियरिंग, मेकॉन, नर्स, सेल्स प्रमोशन कर्मचारी, डीवीसी कर्मियों जैसे संगठित मजदूर एवं कर्मचारी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
मौके पर झारखंड सीटू के महासचिव कॉम बिश्वजीत देब ने बताया कि,आज जनता के साथ-साथ हमारे देश की स्थिति चिंताजनक एवं गंभीर है और इसके लिए केंद्र सरकार की मौजूदा नीतियां ही जिम्मेदार है; जो न केवल मजदूर विरोधी किसान विरोधी और जनविरोधी हैं, बल्कि राष्ट्रविरोधी भी हैं, ये नीतियां न केवल हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था बल्कि, हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए भी विनाशकारी साबित हुई है। केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के तहत आज देश की मेहनतकश जनता बेरोजगारी एवं मंहगाई के साथ-साथ कल्याणकारी योजनाओं ,सामाजिक सुरक्षा और सब्सिडी के लिए बजटीय आवंटन में लगातार कमी की मार झेल रही है। तथाकथित डबल इंजन वाली पिछली सरकार की नीतियों का प्रभाव झारखंड के मजदूर वर्ग पर अभी भी मंडरा रहा है।
वक्ताओं ने , कारपोरेट प्रभावित नौकरशाहों के मजदूर विरोधी रवैये के कारण, ट्रेड यूनियनों के पंजीकरण एवं पुन: पंजीकरण की प्रक्रिया विभाग की लालफीताशाही का शिकार होना, ठेका मजदूर, अनुबन्धित कर्मचारी, प्रवासी मजदूर,अनौपचारिक आदि कामगारों के बढ़ते संख्या तथा बिगड़ती कामकाजी परिस्थितियों के बावजूद सामाजिक सुरक्षा और कानूनी कवरेज सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक पहल की भारी कमी एवं स्थाई प्रकृति का काम ठेका श्रमिकों के माध्यम से कराया जाना , घोषित कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाना , श्रम कानूनों का सरेआम उल्लंघन के साथ-साथ पीड़ित मजदूरों को न्याय पाने की विलंबित प्रक्रिया पर गहरा रोष व्यक्त किया।
मांग ज्ञापन में उपरोक्त मुद्दों से संबंधित मांगों के अलावा, न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण, सभी श्रेणियों के कामगारों को अनुसूची में सूचीबद्ध करने, कल्याण बोर्डों का पारदर्शी संचालन, श्रम विभाग के अंतर्गत विभिन्न समितियों में श्रमिकों का प्रतिनिधित्व तय करने के पारदर्शी मानदंड और अधिसूचनाओं के सख़्त कार्यान्वयन तथा दोषी नियोक्ताओं के लिए अभियोजन और दंड सुनिश्चित करना संबंधित मांगो भी रखा गया।
माननीय श्रम मंत्री जी को सौंपे गये ज्ञापन में उपरोक्त मांगों के अलावा न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के दायरे में नहीं आने वाले सभी कामगारों के लिए कल्याण बोर्ड गठित करने, मनरेगा के लिये अधिक बजट सुनिश्चित करने, शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू करने, श्रम विभाग में रिक्त पदों में नियुक्ति तथा एन आई एक्ट के तहत मजदूर दिवस (मई दिवस) की छुट्टी का प्रावधान सुनिश्चित करने जैसी मांगों को रखा गया ।
मुख्य वक्ताओं में, मीरा देवी, एस के घोष, संजय पासवान, प्रतीक मिश्रा, अमर उरांव, के के त्रिपाठी, असीम हलदार, बी डी प्रसाद, हरेंद्र यादव, सरीफुल इस्लाम, प्रदीप बिस्वास, सुंदरलाल महतो आदि शामिल थे।