Saturday, May 11, 2024
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ISRO Chandrayaan-3 की लांचिंग, भारत बनेगा विश्व में चौथा देश, जानिए पूरे मिशन को

चांद की सतह पर रासायनिक तत्वों और मिट्टी, पानी के कणों जैसे प्राकृतिक संसाधनों को देखेगा. यह अभियान चांद की बनावट को लेकर हमारी जानकारी में महत्वपूर्ण इज़ाफ़ा करेगा.

LVM3 लांचर के चौथे परिचालन मिशन (M4) के लिए भारत का तीसरा चंद्र अन्वेषण मिशन चंद्रयान-3 उड़ान भरने के लिए तैयार है । इस मिशन के ज़रिए चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही चंद्र भूभाग पर चंद्रयान3 के मॉड्यूल द्वारा चंद्रमा की सतह पर घूमना और इसका प्रदर्शन कर इसरो नई सीमाएं पार कर रहा है। यह अंतरग्रहीय मिशन इसरो के भविष्य को विश्वपटल पर आकर्षित करेगा और देश का मान बढ़ाएगा। चंद्रमा पर रोवर और इन-सीटू वैज्ञानिक की तैनाती के साथ यह प्रयोग चंद्र अभियानों में नई ऊंचाइयों पहुँच जाएगा। जी हां, इसरो चंद्रमा को हमारे करीब ला रहा है।

चंद्रयान3 की लॉन्चिंग के लिए ISRO अपनी तैयारियों को आखिरी रूप देने में लगा है। शुक्रवार यानि 14 जुलाई की दोपहर 2.35 बजे चंद्रयान3 की लॉन्चिंग होनी है। इसरो को पूरा विश्वास है कि वो चंद्रयान को इस बार चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कराने में सफल रहेंगे।

चंद्रयान-3, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक उतारने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान लॉन्चिंग के करीब एक महीने बाद चंद्रमा की कक्षा में पहुंचेगा। वहीं लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने की उम्मीद है।

अंतरिक्ष यान को श्रीहरिकोटा में SDSC SHAR से LVM3 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा। अंतरिक्ष यान अधिक ईंधन, कई असफल-सुरक्षित उपायों और चंद्रयान -2 की तुलना में बड़े लैंडिंग साइट से भरा हुआ है। इसरो के अनुसार, प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन को 100 किमी की चंद्र कक्षा में ले जाएगा, जहां लैंडर अलग हो जाएगा और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा। प्रोप्लसन मॉड्यूल अपने साथ पृथ्वी के शेप का पेलोड का एक स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री भी ले जाएगा, जो चंद्र कक्षा से पृथ्वी का अध्ययन करेगा।

श्रीहरिकोटा लॉंचिंग स्टेशन
चंद्रयान- 3 का लक्ष्य :

चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का फॉलो अप मिशन है जिसका उद्देश्य चंद्रमा पर एक अंतरिक्ष यान को सुरक्षित रूप से उतारने और एक रोवर को चंद्रमा की सतह पर घुमाने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करना है। साथ ही ये रोवर चंद्रमा की संरचना और भूविज्ञान पर जानकारी एकत्र करेगा। इसके अलावा, यह चंद्रमा के इतिहास, भूविज्ञान और संसाधनों की क्षमता सहित चंद्रमा के पर्यावरण का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक प्रयोग भी करेगा। यह अभियान चांद की सतह पर रासायनिक तत्वों और मिट्टी, पानी के कणों जैसे प्राकृतिक संसाधनों को देखेगा। यह अभियान चांद की प्रकृति और संरचना की जानकारी एकत्र करेगा। वैज्ञानिक परीक्षण के लिए यह अंतरिक्ष यान अपने साथ कई उपकरणों को ले जा रहा है, जिसमें सिस्मोमीटर भी शामिल है ताकि चांद की सतह के तापमान और वहां के वातावरण के अन्य तत्वों की जानकारी मिल सके। चंद्रयान-3 पर स्पेक्ट्रो-पोलारिमेट्री ऑफ़ विजेटेबल प्लैनेट अर्थ (एसएचएपीई) भी लगा होगा चंद्रमा की कक्षा के छोटे ग्रहों और हमारे सौरमंडल के बाहर स्थित ऐसे अन्य ग्रहों के बारे में जानकारी मिल सकेगी सकेगा जहां जीवन संभव है।

चंद्रयान- 3 को लांचिंग के लिए स्थापित किया गया
चंद्रयान- 3 अभियान :

चंद्रयान-3 का कुल बजट क़रीब 615 करोड़ रुपया है। चंद्रयान- 2 की तरह चंद्रयान- 3 के पास भी एक लैंडर (वो अंतरिक्ष यान जो चांद की सतह पर सॉफ़्ट लैंडिंग करेगा) और एक रोवर होगा (वो अंतरिक्ष यान जो चांद की सतह पर घूमेगा)। जैसे ही यह चांद की सतह पर पहुंचेगा, लैंडर और रोवर अगले एक लूनर डे या चंद्र दिवस यानी धरती के 14 दिनों के समान समय के लिए सक्रिय हो जाएंगे। इसरो के इस चंद्र अभियान का प्रमुख लक्ष्य चांद के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में सॉफ़्ट लैंडिंग करने का है।

चंद्रयान- 3 लांचिंग की तैयारी अंतिम चरण में
चंद्रयान- 2 से ज़्यादा एडवांस है चंद्रयान- 3

सितंबर 2019 में इसरो ने चंद्रयान- 2 को चांद पर उतारने का प्रयास किया था लेकिन तब उसका विक्रम लैंडर क्षतिग्रस्त हो गया था। तब इसरो प्रमुख ने कहा था, “ऑर्बिटर से मिली तस्वीर से लगता है कि विक्रम लैंडर की चांद पर हार्ड लैंडिंग हुई है। चांद का चक्कर लगा रहे आर्बिटर ने विक्रम लैंडर की थर्मल इमेज ली है।” किसी अंतरिक्ष यान के चांद पर दो तरह से लैंडिंग हो सकती है। एक है सॉफ़्ट लैंडिंग जिसमें अंतरिक्ष यान की गति कम होती जाती है और वो धीरे-धीरे चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतर जाता है। वहीं दूसरी लैंडिंग हार्ड लैंडिंग होती है इसमें अंतरिक्ष यान चांद की सतह से टकरा कर क्रैश हो जाता है। ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि इस बार किसी तरह की कोई गड़बड़ी ना इसे ध्यान में रखते हुए ISRO ने चंद्रयान-3 को अधिक ईंधन के साथ डिजाइन किया गया है, जो इसे दूर तक यात्रा करने, डिस्पर्सन को संभालने या यदि आवश्यक हो तो वैकल्पिक लैंडिंग साइट पर जाने की क्षमता भी प्रदान करेगा।

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