बेंगलुरु:
हिजाब विवाद के बाद राज्य में आज से 9वीं और 10वीं के स्कूल फिर से खुल गए हैं। CM बसवराज बोम्मई ने भरोसा जताया है कि राज्य में हालात फिर से सामान्य हो जाएंगे और शांति के साथ छात्र पढ़ाई कर सकेंगे। इस मामले में उन्होंने शिक्षा मंत्री बीसी नागेश से स्कूल और कॉलेजों की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है।
उडुपी जिला प्रशासन ने सभी हाई स्कूलों के आसपास के इलाकों में सोमवार से लेकर 19 फरवरी तक धारा 144 लागू कर दी है। आदेश के अनुसार, स्कूलों के इस दायरे के भीतर पांच या इससे अधिक लोगों के एकत्रित होने, प्रदर्शन, रैलियों, नारेबाजी, भाषण देने पर सख्त पाबंदी रहेगी।
कर्नाटक हिजाब विवाद पर 14 फरवरी को हाई कोर्ट में फिर सुनवाई होगी। अगले आदेश तक राज्य के स्कूल – कॉलेजों में हर तरह के धार्मिक पोशाकों पर रोक लगा दी। कहा जा रहा है कि कोर्ट इस पूरे मामले को लेकर जल्द से जल्द फैसला सुना सकता है। इस पूरे मामले को समझने के लिए हम आपको हिजाब विवाद से जुड़ी अहम बातें शुरू से बता रहे हैं।
- कैसे शुरू हुआ विवाद
- हिजाब विवाद की शुरुआत देश की राजधानी नई दिल्ली से लगभग 2 हजार किलोमीटर दूर कर्नाटक के उडुपी जिले से हुई । अक्टूबर 2021 में सरकारी पीयू कॉलेज की कुछ छात्राओं ने हिजाब पहनने की मांग शुरू कर दी । इसके बाद 31 दिसंबर को 6 छात्राओं को हिजाब पहनने के कारण कॉलेज में नहीं जाने दिया गया। छात्राओं ने कॉलेज के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया। कॉलेज प्रशासन ने 19 जनवरी 2022 को छात्राओं, उनके माता-पिता और अधिकारियों के साथ बैठक की थी। लेकिन इस बैठक का कोई परिणाम नहीं निकला था। इसके बाद 26 जनवरी को एक बार फिर बैठक की। उडुपी के विधायक रघुपति भट ने कहा कि जो छात्राएं बिना हिजाब के स्कूल नहीं आ सकती हैं वो ऑनलाइन पढ़ाई करें। 3 फरवरी को पीयू कॉलेज में हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं को फिर से रोका गया। इसके बाद 5 फरवरी को कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी हिजाब पहनकर स्कूल आने वाली मुस्लिम छात्राओं के समर्थन में आए। छात्राओं ने कर्नाटक हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
- 05 फरवरी को यूनिफॉर्म का आदेश जारी हुआ
- 05 फरवरी को राज्य सरकार ने कर्नाटक शिक्षा अधिनियम 1983 की धारा 133(2) लागू कर दी। इसके अनुसार सभी छात्र-छात्राओं के लिए कॉलेज में तय यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य कर दिया गया। यह आदेश सरकारी और निजी, दोनों कॉलेजों पर लागू किया गया। कई राजनीतिक दलों ने राज्य सरकार के इस फैसले की आलोचना भी की।
- 08 फरवरी को विवाद ने हिंसक रूप ले लिया
- 08 फरवरी को विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। कर्नाटक में कई जगहों पर झड़पें हुईं। कई जगहों से पथराव की खबरें भी सामने आईं। शिवमोगा का एक वीडियो सामने आया जिसमें एक कॉलेज छात्र तिरंगे के पोल पर भगवा झंडा लगा रहा था। मांड्या के रोटरी स्कूल की टीचर ने छात्राओं को स्कूल में एंट्री करने से पहले हिजाब उतारने के लिए कहा। कुछ पेरेंट्स ने इसका विरोध किया। वहीं, कुछ लोगों का कहना था कि लड़कियों को हिजाब के साथ स्कूल में एंट्री दी जाए, वे क्लास में इसे उतार देंगी, लेकिन उन्हें स्कूल के अंदर नहीं जाने दिया गया। इसको लेकर पेरेंट्स और टीचर्स के बीच कहासुनी हो गई। मांड्या में बुरका पहने हुई एक लड़की के साथ अभद्रता की गई। फिलहाल यह मामला हाईकोर्ट में है।
- हिजाब बनाम भगवा शॉल
- उडुपी जिले के एमजीएम कॉलेज में हिजाब और भगवा की लड़ाई शुरू हो गई। कुछ हिजाब पहने छात्राएं कॉलेज में पहले आईं। दूसरा पक्ष भगवा पगड़ी और शॉल डालकर कॉलेज आया।
- हाईकोर्ट की बड़ी बेंच के पास भेजा गया मामला
- हाईकोर्ट में गुरुवार (10 फरवरी) को जस्टिस कृष्णा दीक्षित की एकल पीठ ने मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया । इससे पहले मंगलवार (8 फरवरी) को हाई कोर्ट ने पहली सुनवाई की। सीएम बसवराज बोम्मई ने राज्य में सभी हाईस्कूलों और कॉलेजों को तीन दिनों के लिए बंद करने का आदेश जारी किया था। उन्होंने छात्रों और स्कूल-कॉलेज प्रबंधन से शांति बनाए रखने की अपील की थी।
- हिजाब विवाद पर तुरंत सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
- हिजाब विवाद का मसला शुक्रवार 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा, जहां शीर्ष अदालत ने इस मामले में तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई ‘उचित समय’ पर की जाएगी।
- हिजाब को लेकर प्रदेश सरकार की क्या राय है ?
- इस मामले के तूल पकड़ने के बाद मुख्यमंत्री बसावराज बोम्मई और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीवी नागेश ने एडवोकेट जनरल के साथ बैठक की। इसके बाद मंत्री बीवी नागेश ने कहा कि मामला पहले ही हाई कोर्ट के समक्ष है और सरकार फैसले का इंतजार कर रही है। तब तक सभी स्कूल और कॉलेजों को अपना यूनिफॉर्म कोड फॉलो करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कर्नाटक एजुकेशन ऐक्ट के तहत सभी शैक्षिक संस्थानों को अपना यूनिफॉर्म तय करने का अधिकार दिया गया है। शर्त बस इतनी है कि यूनिफॉर्म कोड की घोषणा सत्र शुरू होने से काफी पहले करनी होगी और उसमें पांच साल तक बदलाव नहीं होना चाहिए।
- उडुपी जूनियर कॉलेज प्रशासन ने क्या कहा?
- जहां से इस विवाद की शुरुआत हुई, वहां प्रिंसिपल रुद्र गौड़ा ने स्थानीय मीडिया को बताया कि लड़कियां परिसर में हिजाब पहन सकती हैं। लेकिन कक्षाओं में नहीं। प्रिंसिपल गौड़ा ने कथित तौर पर दावा किया है कि छात्राएँ पहले भी कक्षाओं में प्रवेश करने के बाद हिजाब और बुर्का हटाती रही हैं। इस मामले में स्थानीय विधायक और कॉलेज विकास समिति के अध्यक्ष रघुपति भट्ट ने कहा कि जो लड़कियां कॉलेज के बाहर बैठ कर हिजाब के लिए प्रोटेस्ट कर रही हैं वो कॉलेज छोड़कर जा सकती हैं। उन्हें किसी ऐसे कॉलेज में दाखिल ले लेना चाहिए जहां यूनिफ़ॉर्म के साथ हिजाब पहनने की इजाज़त हो। हमारे नियम स्पष्ट हैं कि उन्हें हिजाब पहनकर क्लास में बैठने की अनुमति नहीं मिलेगी।
- हिजाब के पक्ष में छात्राओं का क्या तर्क है?
- उडुपी कॉलेज में हिजाब के पक्ष में प्रदर्शन कर रहीं छात्राओं का कहना है कि उन्होंने बीते साल दिसंबर में ही हिजाब पहनना शुरू किया था। कॉलेज ज्वाइन करते वक्त उन्हें लगा था कि उनके अभिभावकों ने हिजाब न पहनने को लेकर कोई फॉर्म साइन किया है, इस वजह से वो हिजाब नहीं पहनती थीं। हालांकि, जो फॉर्म इन छात्राओं के पेरेंट्स ने साइन किया था उसमें हिजाब का कोई जिक्र नहीं था। छात्राओं का ये भी कहना है कि कॉलेज में बीते साल हिंदू त्योहार मनाए गए थे। हिंदू लड़कियों को बिंदी लगाने से नहीं रोका जाता है, तो फिर मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने से क्यों रोका जा रहा है? छात्राओं का कहना है कि दो महीने में उनकी परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी, उन्हें उसकी भी तैयारियां करनी हैं। लेकिन फिलहाल तो उन्हें पढ़ने से ही रोका जा रहा है।
- कर्नाटक में हिजाब विवाद नया नहीं
- कर्नाटक में हिजाब पहनने को लेकर विवाद नया नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2009 में बंटवाल के SVS कॉलेज में ऐसा मामला सामने आया था। उसके बाद 2016 में बेल्लारे के डॉ. शिवराम करांत सरकारी कॉलेज में भी हिजाब को लेकर विवाद हुआ था। 2018 में भी सेंट एग्नेस कॉलेज में बवाल हुआ था। उडुपी जैसा विवाद बेल्लारे में भी हुआ था। उस समय कई छात्रों ने हिजाब पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर भगवा गमछा पहनकर प्रदर्शन किया था।