Monday, May 6, 2024
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प्राचीन धरोहर पहाड़ी मंदिर का जीर्णोद्धार व संरक्षण जरूरी : धर्मेन्द्र तिवारी

रांची। भारतीय जनता मोर्चा के केन्द्रीय अध्यक्ष धर्मेंन्द्र तिवारी ने सिदरौल (नामकुम) स्थित केन्द्रीय कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्राचीन धरोहरों में एक रांची का गौरव पहाड़ी मंदिर का जीर्णोद्धार और संरक्षण जरूरी है। उन्होंने बताया कि पालकोट के राजा ने वर्ष 1908 में इस पहाड़ी मंदिर को अंग्रेज सरकार के शासनकाल में दान में दिया था। पहाड़ी मंदिर में आरंभ काल से ही नाग देवता का भी मंदिर है, जिसमें जनजाति समाज के लोग नाग देवता की पूजा-अर्चना करने आते थे। पाहन द्वारा पूजन क्रिया की जाती थी, जो आज भी अनवरत जारी है। मान्यताओं के अनुसार यहां विभिन्न प्रजातियों के सांप भी पाये जाते हैंं। ऐसी मान्यता है कि नाग देवता के मंदिर में निःसंतान दंपति अपने लिए संतान की मन्नत मांगने आते थे और उनकी मन्नतें पूरी भी होती थीं।
श्री तिवारी ने बताया कि आजादी के बाद 1951 में स्थानीय नागरिकों एवं बुद्धिजीवियों ने पहाड़ पर एक शिव मंदिर बनवा दिया। उस समय तक यह पहाड़ उपेक्षित ही था, केवल नाममात्र का एक नीम का पेड़ यहां मौजूद था। रांची के तत्कालीन फाॅरेस्ट आॅफ सराय, श्री सक्सेना ने इस पहाड़ पर और इसके आस-पास के क्षेत्र में सघन वृक्षारोपण करवा दिया था। जिससे कुछ ही वर्षाें में यह पहाड़ी परिसर एक लघु जंगल की तरह नजर आने लगा। वृक्षों से आच्छादित पहाड़ी मंदिर की छटा अत्यंत मनोहारी थी। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के कार्यकाल के दौरान इस मंदिर को उजाड़ने और तहस-नहस करने का जो सिलसिला आरंभ हुआ, वह आज भी जारी है। रघुवर दास ने अपनी हठधर्मिता से वशीभूत होकर फ्लैग टावर लगाने के नाम पर पहाड़ी मंदिर को कंक्रीट का जंगल बना दिया। जबकि भूगर्भशास्त्री, भूतत्ववेत्ता ने मंदिर परिसर का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जांच एवं विश्लेषण कर स्पष्ट तौर से चेताया था कि किसी भी तरह का लौह एवं कंक्रीट आधारित संरचना का निर्माण पहाड़ के लिए नुकसानदायक होगा। शहर के अनेक पर्यावरणविद्, बुद्धिजीवीगण, प्रकृतिप्रेमी भी पहाड़ी मंदिर पर किसी प्रकार की कंक्रीट आधारित संरचना के निर्माण के सख्त खिलाफ थे।
श्री तिवारी ने हेमंत सरकार से मांग की है कि मंदिर परिसर का पुनः सीमांकन करते हुए वहां पर किसी भी तरह के निर्माण को तत्काल रोका जाय। वृहत पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाय। साथ ही नाग देवता के मंदिर का संरक्षण किया जाय तथा पाहन को भी पहाड़ी मंदिर ट्रस्ट की ओर से वेतनादि का भी भुगतान किया जाय।

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