Wednesday, May 15, 2024
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जानिए पोर्टब्लेयर की 300 साल पुरानी “राँची” को, यहाँ के निवासी “राँचीवाला” कहलाते हैं

युवा संगम अभियान के तहत झारखंड के युवाओं की टीम ने विभिन्न पर्यटन स्थलों और भारत के वीर शहीदों के स्मारकों का किया भ्रमण

रांची/जमशेदपुर:

भारत सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘युवा संगम’ अभियान के दूसरे चरण में झारखंड के युवाओं का दल पोर्टब्लेयर की रांची बस्ती पहुंचा। जहां बड़ी संख्या में झारखंड के विभिन्न इलाकों के लोग रहते हैं। बताया जाता है कि पोर्टब्लेयर की रांची बस्ती 300 साल पुरानी है।

रोमांचक अनुभव है पोर्टब्लेयर की संस्कृति और विरासत को जानना
युवा संगम अभियान के तहत झारखंड के 45 युवा पोर्टब्लेयर की यात्रा कर रहे हैं। पोर्ट ब्लेयर में अपनी यात्रा के दौरान युवाओं ने बलिदान वेदी, नेता जी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, साइंस सेंटर, नया टर्मिनल हवाई अड्डा, कंस्ट्रक्शन/ओएफसी लैंडिंग केबल साइट, ऐेंथ्रोपोलॉजिकल व ज़ैड एस आई म्यूज़ियम, समुद्रिका ऐम्पोरियम, माउंट मणिपुर, कारबाइंस कोव समुद्र तट का भ्रमण के साथ साथ समुद्र तट पर उन्होंने सफाई अभियान भी चलाया। युवाओं ने चाथम सॉ मिल और डेसिकेटिड कोकोनट इंडस्ट्रीज़ आदि स्थानों को भी देखा। युवाओं के इस प्रतिनिधिमंडल ने बारातांग आईलैंड में रांची बस्ती में रह रहे लोगों से मुलाकात की, जो स्थानीय तौर पर रांचीवाला के नाम से मशहूर हैं।

ब्रिटिशकाल से ही रह रहे हैं

विद्यार्थियों ने रांची बस्ती में स्थानीय लोगों के दैनिक जीवन, संस्कृति और परम्पराओं को करीब से देखा व समझा। ये लोग ब्रिटिश काल में छोटा नागपुर इलाके से यहां आकर बस गए थे और तब से इन्होंने छोटा नागपुर की अपनी संस्कृति व परम्पराओं को कायम रखा है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में बसे रांची वाले झारखंड व बिहार के छोटा नागपुर इलाके के आदिवासी हैं। 19वीं सदी में जब भारत पर अंग्रेज़ों का राज था तब ईसाई मिशनरियां इन लोगों को श्रमिक कार्यों के लिए यहां ले आए थे। ये रांची वाले कई पारंपरिक सामाजिक समूहों से नाता रखते हैं जैसे मुंडा, बरैक, ओरांव, गोंड, लोहार, खारिया और कुम्हार।

भारत तथा राज्य सरकार एवं निजी संगठन में काम करते हैं

अंडमान और निकोबार प्रशासन की पुनर्वास योजनाओं के अंतर्गत इन लोगों की बड़ी तादाद उत्तरी व मध्य अंडमान के बारातांग इलाके में बस गए। बारातांग द्वीप पोर्ट ब्लेयर के उत्तर में 150 किलोमीटर दूर है। यहां पर चूना पत्थर की गुफाएं, मिट्टी के ज्वालामुखी तथा मैंग्रोव खाड़ियां जैसे आकर्षण हैं। ये लोग वन एवं सार्वजनिक कार्य विभाग में बतौर निजी श्रमिक काम करते हैं। सन् 1960 के दशक के बाद के वर्षों में इनमें से ज्यादातर लोग मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसिस, जनरल रिज़र्व इंजीनियरिंग फोर्स और सरकारी व निजी संगठनों के लिए काम करने लगे।

देश की विविध संस्कृतियों का संगम है युवा संगम

एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत युवा संगम एक यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम है, जो भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य देश के लोगों का आपस में जुड़ाव मजबूत करना है, खासकर विभिन्न प्रदेशों के युवाओं के बीच और उन्हें भारत की विविधतापूर्ण संस्कृतियों एवं मूल्यों से परिचित भी कराना है। एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की है और जिसका ध्येय भारत के विभिन्न राज्यों के मध्य एक सांस्कृतिक जुड़ाव कायम करना है।

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