Thursday, May 9, 2024
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मेरी बाढ़, मेरा गौरव

आलोक पुराणिक:

एक सरकारी अफसर को कहा मैंने कि एक घंटे की बरसात में शहर बीस घंटे डूबा रहता है, और कई दशकों से ऐसा हो रहा है, तुम्हारे बस की नहीं है हालात को बेहतर बनाना। सो एक काम करो, इसे गर्व-गौरव का विषय का विषय बना दो, मामला फिट हो जाये। यह अद्भुत रणनीति है, जिन मसलों पर शर्म आनी चाहिए उन्हे गर्व का विषय बना दिया जाये, तो प्राबलम साल्व हो जाती है।

एक मंत्री को मैंने कहा कि आप इश्तिहार देकर अखबार में बताओ कि मेरी बाढ़-मेरा गर्व टाइप की सेल्फी लेकर भेजें, जिसकी सेल्फी सबसे बेहतरीन होगी, उसे अवार्ड दिया जायेगा।

मंत्री ने चकरायमान होकर पूछा-मतलब बाढ़ पर, डूबी हुई सड़क पर गर्व कैसे किया जा सकता है।

मैने बताया-आप बतायें जिजीविषा, संघर्ष, बारिश में तीन फुट डूबी हुई सब्जी की रेहड़ी वाला जा रहा है, यह फोटो दिखाकर आप बतायें कि आपके नेतृत्व में आम जनता में ऐसी जिजीविषा जागृत हो गयी है कि लोग तीन फुट पानी में डूबकर भी काम-धंधे पर जा रहे हैं।

मैंने बताया-बालक बालिका जिन्हे काम धंधे की फिक्र नहीं है, वो बारिश में, सड़क पर भरे हुए पानी में तीन फुट डूबकर डांस मचाते हुए वह बना रहे हैं, जिसे कई लोग बेहूदगी कहते हैं पर बालक उन्हे रील कहते हैं। तो नेतागण बनायें कि ऐसी रचनात्मकता को बढ़ावा देनेवाली डुबाऊ सड़कों के लिए सरकार को

बधाई दीजिये, मेरी बाढ़ मेरा गर्व।

मंत्रीजी मुझे अचंभित होकर देखने लगे-तुम बहुत बेहूदी पर अक्लमंदी की बातें कर रहे हो।

मैंने निवेदन किया-जी अब बेहूदगी से बड़ी अक्लमंदी कोई नहीं है। यूं भी करें कि रपट-डांस प्रतियोगिता की घोषणा कर दें। सड़कों पर पानी भर रहा है, पब्लिक फिसल रही है, रपट रही है,वहां नमक हलाल फिल्म का अमिताभ बच्चन-स्मिता पाटिल वाला गीत चलवा दें-आज रपट जायें, तो हमें ना उठईयो। पब्लिक रपटे और फिर डांस मचाये-जिसका रपट-डांस सबसे बेहतर हो, उसे कुछ अवार्ड वगैरह दे दिया जाये, एकाध चाकलेट टाइप। फिर मंत्रीजी आप अपना इश्तिहार दें कि डांस को बढ़ावा देनेवाली सरकार को

बधाई दी जाये।

स्कूलों के बाहर दस –दस फुट पानी भर गया, बच्चे स्कूल ना जा पा रहे हैं। कई बच्चे दिल से दुआएँ दे रहे हैं कि स्कूल बंद हो गये, अच्छा है। स्कूल बंद हो जायें, तो आप अपने ज्ञान के द्वार खोल दें-मसि कागज छूयो नहीं, कलम गह्यो नहीं हाथ, यानी कागज कलम छूए बगैर भी ज्ञानी बनिये। ऐसे ज्ञानियों, बादशाहों की सूची जारी कीजिये, जो बहुत कामयाब हुए, बिना पढ़े लिखे। अकबर कहां किसी स्कूल में गये और मुगल सल्तनत के सबसे कामयाब बादशाह हुए। मंत्री जी को मैंने आश्वस्त किया कि आप चिंता ना करें, मैं ऐसे इश्तिहार बना सकता हूं जिनमें यह साबित किया जा सकता है, स्कूल जाना तो ज्ञान के लिए घातक है। स्कूल जाने से कामयाबी की राह में रोड़े आ जाते हैं। कुछ भी साबित किया जा सकता है, इन फेक्ट सब कुछ साबित किया जा सकता है। बाढ़ को हम गौरव का विषय बनाकर पेश कर सकते हैं।

मंत्रीजी ने मुझे अचंभे से देखा-और कहा कि वाह कमाल तुम बुद्धिजीवी लोग कुछ भी साबित कर देते हो।

मैंने कहा-अमीर खुसरो ने अपने सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की शान में कहा था कि चंद्रमा और बुध ग्रह भी सुल्तान की नौकरी में रहते हैं, हम भी बुद्धिजीवी हैं, छोटे मोटे अमीर खुसरो टाइप।

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