विशेष संवाददाता
रांची। अखिल विश्व गायत्री परिवार, राष्ट्रीय प्रज्ञा मंडल,महिला मंडल प्रतिनिधित्व में शामिल उपासकों-साधकों द्वारा रविवार को सुबह व दोपहर में गायत्री सहस्रनाम का श्रद्धापूर्वक सस्वर पाठ हुआ। इस संदर्भ में साधकों द्वारा स्वाध्याय मंडल प्रतिनिधि समूह ने गुरुवर श्रीआचार्य के विशिष्ट विचार और उनके द्वारा प्रतिपादित गायत्री सहस्त्रनाम विज्ञान की उपयोगिता, गुणवत्ता व विशेषता पर प्रकाश डाला। साधकों ने बताया कि गायत्री ईश्वरीय दिव्य शक्तियों का पुंज है। इस पुंज में जितनी शक्तियां निहित हैं, उसके गर्भ में शक्तियों का भंडार है,इसमें ईश्वर का सहस्र शीर्ष की मंगलमय प्रार्थना है। यूं तो अर्थ में सहस्र एक हजार को कहा जाता है। पर धर्म अध्यात्म में या अन्यत्र यह अनन्त संख्या में भी प्रयुक्त होता है। इन हजार शक्तियों के नाम,उनके गुणों के अनुसार ही रखे गए हैं, उन हजार नामों का वर्णन प्राचीन ग्रंथों में गायत्री सहस्त्रनाम रूप में मिलता है।सुबह में यजुर्वेद संहिता, गायत्री का स्वरूप व रहस्य, युग निर्माण सत्संकल्प सूत्र,उसका भावार्थ यम नियम और अपने अंग अवयव से अपेक्षाएँ जैसे सद्चिन्तन व सद्विचार के संवर्धन आदि अनेक गुह्य विषयों पर भी चर्चाएं और विश्लेषण हुए। गुरुवर श्रीआचार्य द्वारा गायत्री महाविज्ञान में प्रतिपादित गायत्री सहस्रनाम,गायत्री महामंत्र जप,गायत्री चालीसा पाठ और गायत्री सहस्रनाम विज्ञान के पाठ में वर्णित नामों की महत्ता, वैज्ञानिकता, वास्तविकता, विशेषता और उपयोगिता पर विचार रखते हुए मूर्धन्य साधिकाओं द्वारा श्रद्धापूर्वक पाठ हृदयंगम होकर किया गया। इस कार्यक्रम में शामिल सभी श्रोता साधकों ने अनूठा आनंदमय अनुभव का परस्पर विवेचन किया। इसमें लगभग पचास साधक भाई-बहन भागीदारी कर लाभान्वित हुए। इस पाठ को अगले कुछ समय तक साप्ताहिक स्तर पर आॅनलाइन चलाने का प्रस्ताव व समर्थन किया गया। अंत में सर्व मंगलमय शान्ति पाठ कर लोकहित समाज हित व सबके स्वस्थ-सुखद व मंगलमय जीवन की प्रार्थना की गई। उपरोक्त जानकारी गायत्री के उपासक जय नारायण प्रसाद ने दी।
साधकों ने किया गायत्री सहस्रनाम का ऑनलाइन सस्वर पाठ
Sourceदेशपत्र डेस्क