नवल किशोर सिंह :
झारखंड की दशा और दिशा सुधारने के प्रति मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का संकल्प सराहनीय है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 29 दिसंबर को अपने कार्यकाल के चार वर्ष सफलतापूर्वक पूरे कर लिए। इस मौके पर राजधानी के मोरहाबादी मैदान में हुए राज्यस्तरीय कार्यक्रम के दौरान उन्होंने विभिन्न नई कल्याणकारी योजनाओं का भी शुभारंभ किया। इसके अतिरिक्त कई विकास कार्यक्रमों का शिलान्यास एवं उद्घाटन भी किया गया। युवाओं को नियुक्ति पत्र और लाभुकों के बीच परिसंपत्तियों का वितरण किया गया।
मुख्यमंत्री ने वृद्धा पेंशन की आयु 60 वर्ष से 10 वर्ष घटाकर 50 वर्ष से ही आदिवासियों और दलित समाज के लोगों को इसका लाभ देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री की इस पहल की चहुंओर सराहना की जा रही है। निसंदेह राज्य सरकार के इस निर्णय से राज्य के गरीबों,आदिवासियों और वंचितों को राहत पहुंचेगी। बुजुर्गों को पेंशन की व्यवस्था किया जाना कल्याणकारी कदम है।
निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री के इस कदम की सराहना की जानी चाहिए।
झारखंड जैसे गरीब राज्य में हजारों परिवार पेंशन पर ही आश्रित रहते हैं। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री की इस पहल से गरीबों को काफी हद तक राहत मिलेगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने युवाओं को रोजगार से जोड़ने की दिशा में भी ठोस कदम उठाया है, ताकि अधिक से अधिक लोग उद्यमिता विकास के प्रति आकर्षित हों, उद्यमी बनें।
मुख्यमंत्री की ओर से रोजगार सृजन के लिए फूलो-झानो समेत विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई है। इस दिशा में सरकार की सोच सराहनीय है। सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना, छात्रों को शिक्षा के लिए ऋण उपलब्ध कराने के लिए गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना, विदेशों में आदिवासी छात्र-छात्राओं के शिक्षा के लिए मरांग गोमके पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना सहित राज्य सरकार ने कई ऐसी योजनाओं को धरातल पर उतारने में सफलता पाई है, जिससे राज्य की जनता लाभान्वित हो रही है। इन योजनाओं का भरपूर लाभ लोगों को मिल रहा है।
जनहित के प्रति मुख्यमंत्री के समर्पण को देखते हुए निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं से राज्य की दशा और दिशा बदलेगी।
राज्य सरकार सफलतापूर्वक अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
इस दौरान विकास की जो लंबी लकीरें खींची गई है, मील का पत्थर साबित हो सकती है।