हजारीबाग के स्थानीय खजांची तालाब स्थित ‘गायत्री शक्ति पीठ में आयोजित एक समारोह में शांतिकुंज हरिद्वार के प्रतिनिधि सह परिव्राजक रामनाथ भृंगराज एवं उपजोन समन्वयक रघुनंदन प्रसाद ने नगर के जाने-माने साहित्यकार, कथाकार विजय केसरी को ‘ममतामई मां’ जैसी उत्कृष्ट कहानी लेखन के लिए सम्मानित किया। सम्मान स्वरूप इन्हें ‘प्रशस्ति पत्र’, परम पूज्य गुरुदेव श्री राम शर्मा आचार्य की पुस्तक एवं पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया गया। यह सम्मान इन्हें ममता से ओतप्रोत ‘ममतामई मां’ जैसी उत्कृष्ट कहानी लेखन के लिए दिया गया है। आज के बदली स्थिति में जहां चहुंओर वैमनस्यता और हिंसा व्याप्त है ऐसे में वैश्विक समाज से ‘ममता’ दूर होती चली जा रही है। ऐसे समय में ‘ममतामई मां’ जैसी कहानी के प्रकाशन से समाज को एक नई दिशा मिल पाएगी।
इस अवसर पर शांतिकुंज हरिद्वार के प्रतिनिधि सह हजारीबाग के परिव्राजक रामनाथ भृंगराज ने कहा कि विजय केसरी की ‘ममतामई कहानी’ एक मां की ममता को केंद्र में रखकर लिखी गई है। किस तरह एक मां विपरीत परिस्थितियों में भी खुद भूखे रहकर बच्चों और परिवार का पालन पोषण करती है। ऐसी कहानी से समाज से खोती चली जा रही ममता वापस लाई जा सकती है । देश के कहानीकारों को ऐसी कहानियों का सृजन करना चाहिए ताकि समाज में ममता पुनः प्रतिष्ठित हो सके।
गायत्री शक्तिपीठ के उपजोन समन्वयक रघुनंदन प्रसाद ने कहा कि ममतामई मां एक उत्कृष्ट कहानी है । यह कहानी एक मां की ममता पर आधारित है। आज की युवा पीढ़ी को ऐसी कहानी पढ़नी चाहिए। कैसे एक मां अपना संपूर्ण जीवन अपने परिवार के लालन पालन में लगा देती है। बिना किसी से शिकायत किए हंसते हुए इस दुनिया से विदा हो जाती है।
कथाकार विजय केसरी ने कहा कि ममतामई मां हमारे समाज का सच है। एक मां का जन्म उसके अपने माता-पिता के घर में होता है, लेकिन दूसरा जन्म उसके ससुराल में होता है। जहां वह अपना संपूर्ण जीवन लगा कर देती है। आज की बदली परिस्थिति में मां और पिता को एकांकी जीवन जीना पड़ रहा है। यह कहानी एक मां की ममता, संघर्ष और त्याग पर आधारित है।
आयोजित सम्मान समारोह में देवंती देवी, शकुंतला देवी, विमला शर्मा, गीता देवी, पूजा कुमारी, प्रीति भृंगराज, मीना देवी, किरण अग्रवाल, गायत्री पूजा,शशि प्रभा, वासुदेव पुजारी, अभिषेक केसरी, ज्योति कुमारी, मंजू देवी, प्रदीप प्रसाद आदि सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ गायत्री माता की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। विश्व शांति के लिए यज्ञ का अनुष्ठान किया गया।
‘ममतामई मां’ कहानी के लिए विजय केसरी को सम्मानित किया गया
आज के बदली स्थिति में जहां चहुंओर वैमनस्यता और हिंसा व्याप्त है ऐसे में वैश्विक समाज से 'ममता' दूर होती चली जा रही है।