Wednesday, May 15, 2024
HomeDESHPATRAदेश में ऐसा भी है एक निजी संस्थान, जहां कर्मियों के अभिभावकों...

देश में ऐसा भी है एक निजी संस्थान, जहां कर्मियों के अभिभावकों को भी मिलता है सम्मान

काम के अलावा संस्कार भी जरूरी: अतुल मलिकराम

इंदौर:

अमूमन किसी संस्थान में नियोक्ता (इंप्लायर) और कर्मियों (इंप्लाई) के बीच सिर्फ प्रोफेशनल रिश्ते होते हैं। कर्मियों के व्यक्तिगत जीवन से एंप्लॉयर का कोई वास्ता नहीं रहता है। लेकिन एक ऐसा भी निजी संस्थान है, जो अपने कर्मियों के अभिभावकों को भी समुचित सम्मान देता है। अपने यहां कार्यरत कर्मियों के पर्सनल लाइफ से जुड़े महत्वपूर्ण बातों का भी ध्यान रखता है।

कहते हैं परिवर्तन ही संसार का नियम है। जब हम पर्सनल लाइफ में बदलाव कर सकते हैं, तो प्रोफेशनल लाइफ में क्यों नहीं? ऐसा ही एक क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली संस्थाओं में इंदौर स्थित “पीआर 24×7” ने अपना नाम शुमार किया है। हमेशा यही देखने में आया है कि कॉर्पोरेट्स में प्रोफेशनल लाइफ की बेहतरी को लेकर ही बात की जाती है, इसके लिए तमाम नियम बनाए जाते हैं, उनका पालन भी किया जाता है। यह सब कुछ हद तक सही भी है। लेकिन इन सबसे परे कॉर्पोरेट्स को एम्प्लॉयज की उस लाइफ को भी बेहतर बनाए रखने पर काम करना चाहिए, जिनसे एम्प्लॉयज का असली मोल है।

हम बात कर रहे हैं, एक ऐसे अमूल्य और अतुल्य व्यक्तित्व की, जिन्होंने हमें आज इस मुकाम तक पहुंचाया है। हम बात कर रहे हैं माता-पिता की, जिनके प्रति समर्पण और पीछे छूटी ढेरों यादों को सहेजने के लिए कुछ दिनों पहले देश की अग्रणी पीआर संस्था, पीआर 24×7 ने फैमिली डे का आयोजन किया। संस्था द्वारा आयोजित अपने पारम्परिक उत्सव “उड़ान 2022” के दसवें संस्करण के अंतर्गत बच्चों को पेरेंट्स के अद्भुत टैलेंट्स देखने को मिले। बच्चों द्वारा भी पेरेंट्स को समर्पित इस दिन को यादगार बनाने के सार्थक प्रयास किए गए। इसके अंतर्गत पेरेंट्स ने उन लम्हों को जिया, जो जीवन की उलझनों और जिम्मेदारियों के बोझ तले वर्षों से कहीं दबे हुए थे।

इस पहल को सर्वोपरि रखते हुए पीआर 24×7 के फाउंडर अतुल मलिकराम कहते हैं, “माता-पिता बच्चों का बचपन संवारने, उन्हें संस्कार देने, और कई जिम्मेदारियों के चलते अपनी अनगिनत खुशियां कुर्बान कर देते हैं। तो एक दिन ही क्यों? क्यों नहीं उन्हें वर्ष का हर एक दिन समर्पित किया जाए? कॉर्पोरेट्स को चाहिए कि यह संस्कार वे अपने एम्प्लॉयज को दें, समय-समय पर ऐसी गतिविधियां कराएं, जो पूरी तरह पेरेंट्स के लिए हों।”

गौरतलब है कि संस्था पहले भी इस तरह की कई सराहनीय गतिविधियां कर चुकी है, जिसकी लम्बी सूची में वन डे लीव (माहवारी के दौरान महिलाओं को दी जाने वाली एक दिन की छुट्टी), दीदी काम वाली (घर में काम करने वाली दीदी का सम्मान), आई लव बर्ड्स (पक्षियों के लिए दाना-पानी), हम होंगे कामयाब (कोरोना से जंग), नानी की पाठशाला (दादी-नानी से मिलने वाला ज्ञान का भण्डार), नो प्लास्टिक फ्लैग्स जैसे कई बड़े अभियान शामिल हैं। इस बार लक्ष्य है “हर एक दिन माता-पिता को समर्पित”। कहने का अर्थ यह है कि तरीका कोई भी हो, लेकिन हर दिन कुछ विशेष समय माता-पिता को समर्पित हो, जो उन्हें सबसे खास महसूस कराए। पीआर 24×7 की इस अनोखी पहल की चहुंओर सराहना की जा रही है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments