रांची : राज्य महिला आयोग में एक साल से अध्यक्ष और सदस्य नहीं रहने से काम-काज ठप है. फिलहाल आयोग सिर्फ कर्मचारियों के भरोसे ही है. पिछले एक साल से सुनवाई नहीं हो रही है. इस दौरान आवेदन तो आ रहे हैं, पर सुनवाई नहीं हो पा रही है. जानकारी के अनुसार, एक वर्ष के अंदर आयोग में 800 नये मामले आये हैं. वहीं पूर्व अध्यक्ष कल्याणी शरण के कार्यकाल में 2374 मामले लंबित रह गये. इस तरह कुल मिलाकर राज्य महिला आयोग में 3174 मामले लंबित पड़े हैं.
लॉकडाउन होने के कारण भले ही महिलाएं संसाधनों के अभाव में राज्य महिला आयोग नहीं पहुंच पायीं, लेकिन न्याय के लिए आयोग में स्पीड पोस्ट के माध्यम से लगातार आवेदन भेज रही हैं. कई मामलों में महिलाएं मौजूदा स्थितिमें भी आयोग तक पहुंची हैं, लेकिन उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा. लेकिन पिछले एक हफ्ते से 33 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ राज्य महिला आयोग के कार्यालय को खोला गया है. इसके बाद से ही स्पीड पोस्ट के माध्यम से न्याय के लिए आवेदन पहुंच रहे हैं. अब तक महिलाओं को न्याय नहीं मिल पाया है. कुछ पीड़ित महिलाएं दर-दर की ठोकरें तक खा रही हैं.
एक मामला बिल नहीं भरने के कारण राज्य महिला आयोग की टेलीफोन लाइन व इंटरनेट कनेक्शन काट दिये गये हैं. अध्यक्ष को ही वित्तीय अधिकार है. ऐसे में इन सभी चीजों का भुगतान बकाया है.
दूसरा मामला नेपाल हाउस में सात साल से कार्यरत सफाई कर्मी महिला पांच दिसंबर को आयोग पहुंची और न्याय की गुहार लगायी. नेपाल हाउस के कंप्यूटर ऑपरेटर पर उसने छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. इसकी शिकायत वरीय संबंधित अधिकारी से करने पर उसे न्याय मिलने की जगह नौकरी से ही हटा दिया गया. वह बेरोजगार हो गयी है. अपने बच्चों का लालन-पालन वह नहीं कर पा रही है. उसके समक्ष खाने के लाले पड़ गये हैं. महिला ने आयोग से न्याय की गुहार लगायी है.
आयोग में अध्यक्ष और सदस्य नहीं होने के कारण यहां काम करनेवाले 14 कर्मचारियों को साल भर से वेतन भी नहीं मिला है. ऐसा इसलिए, क्योंकि कर्मचारियों के वेतन के लिए अध्यक्ष की स्वीकृति जरूरी है. आयोग में वर्तमान में एक अवर सचिव हैं, लेकिन वे भी अतिरिक्त प्रभार में हैं. वहीँ आयोग में लंबित मामलों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. ज्ञात हो कि पिछले वर्ष छह जून को अध्यक्ष कल्याणी शरण समेत चार सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो गया था. वहीं एक अन्य सदस्य आरती राणा 17 जुलाई को आयोग से सेवानिवृत्त हुईं. इसके बाद आयोग पूरी तरह से अध्यक्ष व सदस्य विहीन हो गया है.