- रांची। अखिल भारतीय अनुसूचित जाति महासभा ने हूल दिवस पर बुधवार को राजधानी स्थित सिद्धो-कान्हू पार्क में स्थापित उनकी प्रतिमा स्थल पर पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया।
मौके पर महासभा के राष्ट्रीय महासचिव उपेंद्र रजक, प्रदेश अध्यक्ष रंजन पासवान, संतोष रवि, रामलगन राम,सुरेन्द्र पासवान, रंधीर रजक, छोटू पासवान सहित अन्य उपस्थित थे।
इस अवसर पर भाजपा नेता व राष्ट्रीय महासचिव उपेंद्र कुमार रजक ने सिद्धो-कान्हो के जीवन व संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सिद्धो-कान्हू का जन्म 1815 को भोगनाडीह गांव में हुआ था। 30 जून 1855 को संथाल की धरती से हूल क्रांति की चिंगारी भड़की थी, इसमें आदिवासियों और मूलवासियों ने फिरंगियों के अत्याचार के खिलाफ इनके नेतृत्व में ऐसी जंग लड़ी कि अंग्रेजी हुकूमत के हौसले पस्त हो ग्रे। उस युद्ध में 15 हजार संथाली मारे गाए थे।लेकिन सिद्धो-कान्हो ने अंग्रेजी हुकूमत, जमींदार व लगान के खिलाफ जंग और विद्रोह जारी रखा। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत व जमींदारों को छक्के छुड़ा दिए। श्री रजक ने आजादी के संग्राम में सिद्धो-कान्हो के योगदान को अविस्मरणीय बताते हुए उनके पद चिन्हों पर चलकर देश प्रेम के प्रति समर्पित रहने की लोगों से अपील की।
अखिल भारतीय अनुसूचित जाति महासभा ने मनाया हूल दिवस
सिद्धो-कान्हू ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ फूंका था विद्रोह का बिगुल : उपेंद्र रजक
Sourceनवल किशोर सिंह