Friday, May 3, 2024
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“कमाल के कलाकार” किशोर कुमार।

क‍िशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को महानायक का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

नवीन शर्मा

जयंती पर विशेष

किशोर कुमार हिंदी सिनेमा के सबसे प्रतिभाशाली हरफनमौला कलाकारों में शुमार हैं। किशोर ने फिल्म इंडस्ट्री में बतौर एक्टर एंट्री की थी। किशोर कुमार की पहली फिल्म #शिकारी’ 1946 में रिलीज हुई थी। फिल्म में किशोर कुमार के बड़े भाई अशोक कुमार लीड रोल में थे। किशोर कुमार को पहली बार देव आनंद की फिल्म ‘#जिद्दी’ (1948) में गाने का मौका मिला।

आपातकाल में लगा था बैन
4 अगस्त को मध्य प्रदेश के #खंडवा शहर में जन्मे #किशोरकुमार ने एक से बढ़कर एक हिट गाने दिए लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब उनके गानों को बैन कर दिया गया था। 1975 में जब इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल लगा दिया था। तो इसके शिकार किशोर कुमार भी हुए थे। दरअसल, आपातकाल के दौरान कांग्रेस चाहती थी कि सरकारी योजनाओं की जानकारी किशोर कुमार अपनी आवाज में गाना गाकर दें।उस दौरान सूचना प्रसारण मंत्री #वीसीशुक्ला थे। उन्होंने किशोर कुमार के पास संदेशा भिजवाया कि वो इंदिरा गांधी के लिए गीत गाएं जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक सरकारी की आवाज पहुंचे लेकिन किशोर कुमार ने गाना गाने से मना कर दिया। किशोर कुमार ने संदेश देने वाले से पूछा कि उन्हें ये गाना क्यों गाना चाहिए तो उसने कहा, क्योंकि वीसी शुक्ला ने ये आदेश दिया है।
आदेश देने की बात सुनकर किशोर कुमार भड़क गए और उन्होंने उसे डांटते हुए मना कर दिया। यह बात कांग्रेस को इस कदर नागवार गुजरी कि उन्होंने किशोर कुमार के गाने ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर बैन कर दिए। यह बैन 3 मई 1976 से लेकर आपातकाल खत्म होने तक जारी रहा। किशोर कुमार के गाने ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर नहीं चलाए जाते थे।
अपनी धुन के पक्के किशोर कुमार ने एक बार कहा था, ‘कौन जाने वो क्यों आए लेकिन कोई भी मुझसे वो नहीं करा सकता जो मैं नहीं करना चाहता। मैं किसी दूसरे की इच्छा या हुकूम से नहीं गाता।’ जी हां, जो सरकार से भी पंगा ले ले वैसा कोई अपनी वसूलों का पक्का ही कर सकता है।

कोई हमदम ना रहा
किशोर कुमार का एक बेहद कर्णप्रिय गीत है, ‘कोई हमदम न रहा, कोई सहारा न रहा’ जो आज 50 साल बाद भी टाइमलेस क्लासिक है।यह गीत उनके व मधुबाला के अभिनय से सजी 1961 में आई ‘झुमरू’ फिल्म का है। जिसमें न सिर्फ इस गीत का फिल्मांकन उन पर हुआ था बल्कि इसका संगीत भी उन्होंने ही दिया था,लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस गीत को सबसे पहले उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने गाया था, ‘झुमरू’ बनने के लगभग 25 साल पहले आई वह फिल्म थी ‘जीवन नैया’ (1936)।

किशोर कुमार से यूं हुआ लगाव

मैं मैट्रिक के समय मुकेश साहब का जबरदस्त फैन था और किसी भी गायक के गाने नहीं सुनता था। कॉलेज में आने पर मेरी एक मित्र अनीता झा ने मुझे अपनी पसंद के किशोर कुमार के रिकार्ड किए हुए करीब आधा दर्जन सोनी के कैसेट दिए। उसके बाद से मैं किशोर को सुनने लगा। वे मुझे काफी अच्छे लगे, लेकिन मुझे उनके रोमांटिक और सैड सांग्स ही ज्यादा पसंद है। हल्ला गुल्ला वाले गाने मुझे नहीं भाते। आंधी फिल्म के सारे गाने मुझे काफी पसंद हैं। सबसे प्यारा गाना है तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं। गोलमाल फिल्म का भी गाना आनेवाला पल बहुत ही सुंदर है। मुकदर का सिकंदर का ओ साथी रे भी लाजवाब है। किशोर साहब के व्यक्तित्व की कुछ बातें ध्यान देने योग्य हैं वे आलराउंडर थे, जिंदादिल थे और कंजूस भी थे ।

तीन महानायकों की आवाज बने

क‍िशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को महानायक का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उनकी आवाज के जादू से देवआनंद सदाबहार हीरो कहलाये और राजेश खन्ना को सुपर स्टार बनाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। कहा जाता है कि किशोर की आवाज के कारण ही अमिताभ बच्चन महानायक कहलाने लगे।

पांच रुपया बारह आना

किशोर कुमार इन्दौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़े थे और उनकी आदत थी कॉलेज की कैंटीन से उधार लेकर खुद भी खाना और दोस्तों को भी खिलाना। वह ऐसा समय था जब 10-20 पैसे की उधारी भी बहुत मायने रखती थी। किशोर कुमार पर जब कैंटीन वाले के पांच रुपया बारह आना उधार हो गए और कैंटीन का मालिक जब उनको अपने पांच रुपया बारह आना चुकाने को कहता तो वे कैंटीन में बैठकर ही टेबल पर गिलास, और चम्मच बजा बजाकर पाँच रुपया बारह आना गा-गाकर कई धुन निकालते थे और कैंटीन वाले की बात अनसुनी कर देते थे। बाद में उन्होंने अपने एक गीत में इस पांच रुपया बारह आना का बहुत ही खूबसूरती से इस्तेमाल किया। शायद बहुत कम लोगों को पाँच रुपया बारह आना वाले गीत की यह असली कहानी मालूम होगी।

उन्होंने 1951 में फणी मजूमदार द्वारा निर्मित फिल्म ‘आंदोलन’ में हीरो के रूप में काम किया मगर फिल्म फ्लॉप हो गई। 1954 में उन्होंने बिमल राय की ‘नौकरी’ में एक बेरोजगार युवक की संवेदनशील भूमिका कर अपनी ज़बर्दस्त अभिनय प्रतिभा से भी परिचित किया।
इसके बाद 1955 में बनी “बाप रे बाप”, 1956 में “नई दिल्ली”, 1957 में “मि. मेरी” और “आशा”, और 1958 में बनी “चलती का नाम गाड़ी” जिस में किशोर कुमार ने अपने दोनों भाईयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ काम किया और उनकी अभिनेत्री थी “मधुबाला”। यह भी मजेदार बात है कि किशोर कुमार की शुरुआत की कई फिल्मों में मोहम्मद रफी ने किशोर कुमार के लिए अपनी आवाज दी थी। मोहम्मद रफी ने फिल्म ‘रागिनी’ तथा ‘शरारत’ में किशोर कुमार को अपनी आवाज उधार दी, तो मेहनताना लिया सिर्फ एक रुपया। काम के लिए किशोर कुमार सबसे पहले एस डी बर्मन के पास गए थे। जिन्होंने पहले भी उन्हें 1950 में बनी फिल्म “प्यार” में गाने का मौका दिया था। एस डी बर्मन ने उन्हें फिर “बहार” फिल्म में एक गाना गाने का मौका दिया “कुसुर आप का” और यह गाना बहुत हिट हुआ।
शुरू में किशोर कुमार को एस डी बर्मन और अन्य संगीत कारों ने अधिक गंभीरता से नहीं लिया और उनसे हल्के स्तर के गीत गवाए गए, लेकिन किशोर कुमार ने 1957 में बनी फिल्म “फंटूस” में दुखी मन मेरे गीत अपनी ऐसी धाक जमाई कि जाने माने संगीतकारों को किशोर कुमार की प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा। इसके बाद एसडी बर्मन ने किशोर कुमार को अपने संगीत निर्देशन में कई गीत गाने का मौका दिया।

आरडी बर्मन के साथ बनी जोड़ी
आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने ‘मुनीम जी’, ‘टैक्सी ड्राइवर’, ‘फंटूश’, ‘नौ दो ग्यारह’, ‘पेइंग गेस्ट’, ‘गाईड’, ‘ज्वेल थीफ़’, ‘प्रेमपुजारी’, ‘तेरे मेरे सपने’ जैसी फिल्मों में अपनी जादुई आवाज से फिल्मी संगीत के दीवानों को अपना दीवाना बना लिया।
एक अनुमान के किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने करियर के दौरान करीब 574 से अधिक गाने गाए।किशोर कुमार ने हिन्दी के साथ ही तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़िया फिल्मों के लिए बी गीत गाए। किशोर कुमार को आठ फिल्म फेयर अवार्ड मिले, उनको पहला फिल्म फेयर अवार्ड 1969 में अराधना फिल्म के गीत रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना के लिए दिया गया।
किशर कुमार ने 81 फ़िल्मों में अभिनय भी किया था। इसके साथ ही 18 फिल्मों का निर्देशन भी किया। फ़िल्म ‘पड़ोसन’ में उन्होंने जिस मस्त मौला आदमी के किरदार को निभाया वही किरदार वे जिंदगी भर अपनी असली जिंदगी में निभाते रहे।

चार शादियां
किशोर कुमार ने चार शादियां की फिर भी उनके जीवन में प्यार की कमी रही. जिंदगी के हर क्षेत्र में मस्तमौला रहने वाले किशोर कुमार के लिए उनकी लव लाइफ भी बड़ी अनोखी थी। प्यार, गम और जुदाई से भरी उनकी जिंदगी में चार पत्नियां आईं। किशोर कुमार की पहली शादी #रूमागुहाठाकुर से हुई थी, लेकिन जल्दी ही शादी टूट गई। इसके बाद उन्होंने #मधुबाला के साथ विवाह किया। लेकिन शादी के नौ साल बाद ही मधुबाला की मौत के साथ यह शादी भी टूट गई। साल 1976 में किशोर कुमार ने अभिनेत्री #योगिताबाली से शादी की लेकिन यह शादी भी ज्यादा नहीं चल पाई। इसके बाद साल 1980 में उन्होंने चौथी और आखिरी शादी #लीनाचंद्रावरकर से की, जो उम्र में उनके बेटे अमित से दो साल बड़ी थीं। किशोर कुमार की निजी जिंदगी में दुखों का सिलसिला कुछ इस कदर ही चलता रहा और एक दिन 13 अक्टूबर साल 1987 को दिल का दौरा पड़ने के कारण उनकी मौत हो गई।

राजश खन्ना के लिए गाए सदाबहार गाने

राजेश_खन्ना को हमेशा हिट म्यूजिक मिला।किशोर कुमार की आवाज उन पर बहुत जमती थी। वे निर्माताओं कहते थे कि किशोर कुमार से ही उन पर फिल्माए जाने वाले गीत गवाएं। जब किशोर दा गुजर गए थे, तो राजेश खन्ना ने कहा था कि मेरी आवाज चली गई।

यादगार गीत

  1. जो राह चुनी तूने उस राह पे राही चलते जाना रे
  2. मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू (आराधना)
  3. रोते हुए आते हैं सब हंसता हुआ जो जाएगा
  4. देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए
  5. जिंदगी प्यार का गीत है (सौतन)
  6. अच्छा तो हम चलते हैं (आन मिलो सजना)
  7. अगर तुम न होते (अगर तुम न होते)
  8. चला जाता हूं (मेरे जीवन साथी)
  9. चिंगारी कोई भड़के (अमर प्रेम)
  10. दीवाना लेके आया है (मेरे जीवन साथी)
  11. दिल सच्चा और चेहरा झूठा (सच्चा झूठा)
  12. दीये जलते हैं (नमक हराम)
  13. गोरे रंग पे ना इतना (रोटी)
  14. हजार राहें मुड़ के देखी (थोड़ी सी बेवफाई)
  15. हमें तुमसे प्यार कितना (कुदरत)
  16. जय जय शिव शंकर (आप की कसम)
  17. करवटें बदलते रहे सारी रात हम (आप की कसम)
  18. जीवन से भरी तेरी आंखें (सफर)
  19. कभी बेकसी ने मारा (अलग अलग)
  20. कोरा कागज था ये मन मेरा (आराधना)
  21. कुछ तो लोग कहेंगे (अमर प्रेम)
  22. मैं शायर बदनाम (नमक हराम)
  23. मेरे दिल में आज क्या है (दाग)
  24. मेरे दिल ने तड़प के (अनुरोध)
  25. हम दोनों दो प्रेमी (अजनबी)
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