Thursday, May 16, 2024
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झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय राय ने कांग्रेस के मंत्री को दी नसीहत, कहा, छात्र-अभिभावक हित को दें तवज्जो


रांची। अभिभावक व छात्र हित में समर्पित संस्था झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय राय ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी निजी स्कूल प्रबंधन की दलाली छोड़कर जनहित को तवज्जो दे। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान एक तरफ अभिभावकों के समक्ष गंभीर आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है। अधिकतर अभिभावक जीविकोपार्जन के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर निजी स्कूल प्रबंधन अभिभावकों का हर स्तर से शोषण करने पर आमादा हैं।
श्री राय झारखंड सरकार के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के एक बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे, जिसमें श्री पत्रलेख ने अभिभावक हितों की अनदेखी करते हुए निजी स्कूल प्रबंधन के हित में बात कही।
श्री राय ने कहा कि
मंत्री बादल पत्रलेख को राज्य के प्राइवेट स्कूलों की आर्थिक हालात की तो चिंता है, लेकिन इस आपदा काल में बेरोजगार हुए अभिभावकों की तनिक भी फिक्र नहीं है, जिनके बच्चों को ऑनलाइन क्लास से वंचित किया जा रहा हैं।
उन्होंने कहा कि श्री बादल द्वारा निजी स्कूलों के संचालकों की लाइजनिंग करने वाली संस्था के पक्ष में दिया गया बयान उनकी अदूरदर्शिता का परिचायक है।
अजय राय ने कहा कि एक ओर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से अभिभावकों के समर्थन फीस माफ करने की बात करती हैं, वहीं, झारखंड के कृषि मंत्री निजी स्कूल प्रबंधन के समर्थन में उतर आए हैं।
श्री राय ने कहा कि अपने बच्चों के भविष्य को लेकर राज्य सरकार के समक्ष अभिभावक लगातार गुहार लगा रहे हैं। लेकिन राज्य सरकार के मंत्री और आला अधिकारी इसपर मौन हैं। उन्होंने कहा कि इससे कांग्रेस पार्टी का दोहरा चरित्र अब आम जनता के सामने उजागर हो गया है। कांग्रेस के मंत्री और संगठन के पदाधिकारी शोषण का शिकार हो रहे अभिभावकों को राहत पहुंचाने की बजाय स्कूल प्रबंधन के समर्थन में उतर कर अभिभावकों पर और अधिक आर्थिक बोझ लादने पर आमादा हैं।
उन्होंने कहा कि एसोसिएशन अभिभावकों के साथ-साथ निजी स्कूलों के उन शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारियों के हितों को लेकर भी राज्य के मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री से गुहार लगा रहा है कि सभी स्कूलों की पिछले पांच साल की ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा करें। ताकि निजी स्कूल संचालकों की आर्थिक सेहत का सही आकलन हो सके और अभिभावकों को शोषण से बचाया जा सके।

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