रांचीः फ्रेमवे प्रोडक्सन्स केे बैनर तले बनी फिल्म छोटे उस्ताद-प्रिकोसन इज बेटर देन क्योर में बाल-अपराध जैसे गंभीर विषय को बड़े ही सहजता और मनोरंजक ढंग से पेश किया गया है। यह फिल्म अपने विषय-वस्तु के लिए दिल्ली इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सेलेक्ट हुई है और बेस्ट स्टोरी का अवार्ड भी मिला। इस फिल्म को हंगामा, मैक्स-प्लेयर, अमेजोन और विभिन्न ओ-टीटी- चैनल पर देख सकते है। इस फिल्म में दिल्ली और मुंबई के कलाकरों ने काम किया है। इस फिल्म के निर्माण में रांची से लाइन प्रोड्यूसर शांतनू सिंह का विशेष सहयोग रहा है। चूंकि फिल्म बच्चों के अपराधिक जीवन पर आधारित है। उन्होंने फिल्म में सेवाभाव से कार्य किया है। शांतनू सिंह पिछले कई सालों से फिल्म में लाइन प्रोड्यूसर के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने कई भोजपुरी, नागपुरी समेत अन्य भाषाओं में बनी फिल्मों में लाइन प्रोड्यूसर काम किया है। इस फिल्म के लेखक व निर्देशक संजय भारती कहते हैं कि फिल्म छोटे-उस्ताद कई नाबालिक अपराधों की सच्ची घटनाओं का संग्रह है। हमें नाबालिकों को सजा पर नहीं बल्कि उन्हें सही दिशा देने की ओर काम करना चाहिए। नाबालिकपन या किशोरावस्था उम्र का ऐसा पड़ाव है जब शारीरिक और मानसिक-तौर पर बहुत बदलाव हो रहा होता है। शरीर में ऊर्जा का भंडार होता है। मन में नई-नई चीजों को सीखने और सबसे आगे बढ़ने की ललक होती है। ऐसे वक्त में जिस नाबालिक को जैसा माहौल और दिशा मिलेगा, वह वैसा ही बनेगा। इसीलिए नाबालिकों के अपराधों की जिम्मेदारी उनसे कहीं ज्यादा उनके माता-पिता और हमारे समाज़ की है। बाल कलाकार में अनुवंश शर्मा की मुख्य भूमिका है।
बाल अपराध की ओर ध्यान आकर्षित करती है फिल्म छोटे उस्ताद
Sourceनवल किशोर सिंह