नवल किशोर सिंह की कलम से
महिला सशक्तिकरण और स्वाबलंबन की दिशा में कुछ महिलाएं उल्लेखनीय योगदान देती रही हैं। उनके उत्कृष्ट कार्यों से समाज में सकारात्मक बदलाव संभव हो सका है। ऐसी ही महिलाओं में एक नाम शुमार है शांति सिंह। उन्होंने समाजसेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बना रखा है। श्रीमती सिंह के प्रयासों का प्रतिफल है कि विगत लगभग तीन दशकों में तीन हजार से अधिक महिलाएं विभिन्न प्रकार के रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वरोजगार से जुड़ गई हैं। उनका मानना है कि
जीवन में कुछ बेहतर करने का जज्बा और जुनून हो तो कोई काम मुश्किल नहीं। इसमें उम्र भी आड़े नहीं आती। जरूरत है तो सिर्फ लगन और समर्पण की। इसे उन्होंने सच साबित कर दिखाया भी है। राजधानी रांची के तुपुदाना स्थित आरके मिशन रोड निवासी एआईडब्लूसी की हटिया-तुपुदाना शाखा की अध्यक्ष शांति सिंह ने समाजसेवा को ही अपना ओढ़ना-बिछौना बना रखा है। गरीबों का दुख-दर्द बांटना, उन्हें यथासंभव सहयोग करना उनकी दिनचर्या में शुमार है। खासकर गरीब तबके के लोग उन्हें अपना मसीहा मानते हैं। श्रीमती सिंह रांची में ही पली-बढ़ीं। उनकी शिक्षा-दीक्षा भी रांची में ही हुई। उनके पिता भी शहर के नामचीन समाजसेवियों में एक थे। श्रीमती सिंह को समाजसेवा की प्रेरणा उनके माता-पिता व अन्य परिजनों से मिली। राजधानी रांची स्थित संत मार्ग्रेट स्कूल से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। तत्पश्चात वीमेंस कॉलेज, रांची से स्नातक की डिग्री हासिल की। अध्ययन काल के दौरान भी गरीबों, बेसहारों के प्रति सेवा करने की उनकी प्रवृत्ति से वह अपने सहपाठियों के बीच भी लोकप्रिय रहीं। श्रीमती सिंह वर्ष 1966 में वैवाहिक बंधन में बंधीं। उनके पति हरभजन सिंह (अब स्वर्गीय) एचईसी में कार्यरत थे। शांति सिंह अपनी तीन पुत्रियों और एक पुत्र को बेहतर व संस्कारयुक्त शिक्षा दिलाते हुए अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती रहीं। इस बीच समाजसेवा के कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती रहीं। वर्ष 1970 में वह महिला हितों के लिए काम करने वाली अखिल भारतीय स्तर की संस्था “ऑल इंडिया वीमेन्स कॉन्फ्रेंस” से जुड़ी। इसके माध्यम से वह महिलाओं के हितों के संरक्षण के लिए पूरी प्रतिबद्धता से जुड़ गई। शुरुआती दौर में वे एचईसी परिसर स्थित बाल भारती स्कूल में शिक्षण कार्य से भी जुड़ीं। वर्ष 1993 में उन्होंने हैप्पी चिल्ड्रन होम स्कूल की स्थापना की। शिक्षण कार्य के अलावा अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए श्रीमती सिंह ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें स्वरोजगार से जोड़ना शुरू किया। एचईसी परिसर स्थित ऑल इंडिया वीमेन्स कॉन्फ्रेंस की हटिया-तुपुदाना शाखा कार्यालय की स्थापना कर उन्होंने महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई, फूड प्रोसेसिंग, जैम-जेली, पापड़-बरी आदि बनाने का प्रशिक्षण देना प्रारंभ किया। श्रीमती सिंह ने अब तक लगभग तीन हजार महिलाओं को विभिन्न प्रकार के रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में सफलता पाई है। इसके अलावा पीड़ित मानवता की सेवा के प्रति भी वह पूरी प्रतिबद्धता से जुड़ी हुई हैं। आसपास के खासकर गरीब तबके के लोग उन्हें अपना मसीहा मानते हैं। कोई भी पीड़ित और गरीब व्यक्ति अपना दुख-दर्द लेकर श्रीमती सिंह के पास पहुंचता है, तो वह किसी को निराश नहीं करती हैं और यथासंभव सहयोग करती हैं। उनका मानना है कि मानव सेवा सबसे बड़ा धर्म है। इससे सुखद अनुभूति होती है।
वर्ष 2012 में अकस्मात उनके पति का देहांत हो गया। इससे पारिवारिक जीवन का बोझ पूरी तरह उनके कंधे पर आ गया। फिर भी विचलित नहीं हुईं। उन्होंने अपनी जीवन नैया कभी डगमगाने नहीं दी। झंझावातों को झेलते हुए हिम्मत से काम लिया। समाजसेवा के प्रति समर्पण जारी रखा।
उम्र का 75वां बसंत पार कर चुकी श्रीमती सिंह का समाज सेवा के प्रति जज्बा और जुनून प्रेरणादायक व अनुकरणीय है। वह कहती हैं कि प्राकृतिक जीवन शैली से ही स्वस्थ जीवन संभव है। भारतीय संस्कृति, जीवनशैली और खानपान की पद्धति को हम अपनाए रखते हुए विभिन्न प्रकार की बीमारियों से अपना बचाव कर सकते हैं। यह वैज्ञानिक सत्य है कि प्रकृति के दायरे में रहने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। वर्तमान में गहराए वैश्विक संकट के मद्देनजर वह कहती हैं कि कोरोना से बचाव के लिए किए गए देशव्यापी लॉकडाउन ने सबसे ज्यादा महिलाओं की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसे में महिलाओं को संयम, संकल्प और खुशमिजाजी के साथ घर में सकारात्मक माहौल बनाए रखने की आवश्यकता है। मुश्किल समय को हंसकर गुजारें और अपनी शक्ति संजोकर सकारात्मक व रचनात्मक कार्यों में जुटे रहें, यही वर्तमान समय की मांग है। लाॅकडाउन के दौरान श्रीमती सिंह अपने आवासीय परिसर स्थित हैप्पी चिल्ड्रन स्कूल में गरीबों के लिए लगातार लंगर चला रही हैं। इस कार्य में उन्हें विभिन्न संस्थाओं और समाजसेवियों का सहयोग मिल रहा है।