Saturday, May 4, 2024
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लॉक डाउन के बाद अब बालू बंदी की मार। दिहाड़ी मजदूर पलायन को मजबूर। सरकार को ठहरा रहे जिम्मेवार।

झारखंड सरकार ने एनजीटी के निर्देशों का हवाला देते हुए एक आदेश जारी कर सुनिश्चित किया कि राज्य में बालू का खनन पूरी तरह से बंद रहेगा और भंडारण स्थल से बालू का उठाव सिर्फ ट्रैक्टरों के द्वारा किया जाएगा।

समूचे झारखंड प्रदेश में बालू कारोबार से संबंधित ट्रक ओनर एसोसिएशन पिछले 3 दिनों से जिला दर जिला आंदोलनरत है। बताते चलें कि कुछ दिन पहले झारखंड सरकार ने एनजीटी के निर्देशों का हवाला देते हुए एक आदेश जारी कर सुनिश्चित किया कि राज्य में बालू का खनन पूरी तरह से बंद रहेगा और भंडारण स्थल से बालू का उठाव सिर्फ ट्रैक्टरों के द्वारा किया जाएगा। बालू उठाव से संबंधित आदेश पर रोष व्यक्त करते हुए ट्रक ओनर एसोसिएशन ने कड़ी आपत्ति जताई है , और कहा है कि बालू खदान से निर्धारित स्थान “जहां पर बालू की ढुलाई की जाती है” की दूरी लगभग 100 किलोमीटर तक भी है। अतः ऐसी परिस्थिति में सिर्फ ट्रैक्टर से ढुलाई का काम करने से बालू की कीमतों में कई गुना इजाफा होगा। जिससे शहर में रहने वाले लोग प्रभावित होंगे। निश्चित ही है कि सरकारी और गैर सरकारी दोनों ही क्षेत्र में निर्माण कार्य प्रभावित होगा। ट्रक ओनर एसोसिएशन का कहना है कि बालू उठाव से संबंधित मुख्यमंत्री का निर्देश समझ से परे है। सरकार और खान एवं भूतत्व विभाग को सीधे-सीधे आरोपों के कठघरे में खड़ा कर एसोसिएशन ने ट्रक मालिकों को परेशान करने का आरोप लगाया है।

बालू ट्रक ओनर एसोसिएशन (झारखंड)

सरकार के इस फैसले के बाद बालू कारोबार से जुड़े हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
इस कारोबार से संबंधित एक दिहाड़ी मजदूर रमेश मुंडा कहते हैं कि – “सच पूछिए तो हमारी जिंदगी रेत की तरह फिसल रही है” एक सांस में इतना बोल कर क्षण भर के लिए चुप हो जाते हैं।
दरअसल पूरे झारखंड में बालू का उठाव बंद होने से दिहाड़ी मजदूरों को बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। रोशन महतो नामक राजमिस्त्री कहते हैं – “ना जाने किसने हमारे पेशे को नाम दिया राजमिस्त्री, बालू ने तो भुखमरी की नौबत ला दी है। गांव छोड़ शहर आए। अब किधर पलायन करें ?”

हालांकि इस फैसले का विरोध भी तेज है विरोध का सीधा असर सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर दिखने लगा है। नगड़ी से काम की तलाश में राजधानी आई सुशीला कहती है- “बाबू! बालू की वजह से ही निवाले पर आफत आन पड़ी है”।

यह स्थिति सरकार के एक फैसले से बनी है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उठाव एवं आपूर्ति के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल “एनजीटी” के आदेश को राज्य में लागू करने का निर्देश दिया है। इसके तहत 10 जून 2020 से 15 अक्टूबर 2020 तक बालू के खनन पर रोक लगा दी गई है। विभाग ने कहा है कि भण्डारण स्थल से बालू का परिवहन सिर्फ ट्रैक्टर से किया जाए ,बड़े वाहनों का उपयोग नहीं किया जाए। सरकार के इस फैसले से सभी लोग परेशान हैं। सभी का यही सवाल है कि आखिर ट्रैक्टर से इतनी बड़ी मांग पूरी कैसे की जाएगी। मांग के अनुरूप बालू की आपूर्ति नहीं होने के कारण कालाबाजारी में बढ़ोत्तरी होना तय है।


इस मामले से संबंधित परेशानियों को लेकर रामगढ़ की वर्तमान विधायक “ममता देवी” ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा। जिसमें उन्होंने मामले का जिक्र करते हुए कहा है कि सरकार के इस आदेश से बड़े वाहन मालिक एवं उनके चालक ,खलासी और इससे जुड़े मजदूरों के समक्ष भुखमरी की स्थिति आ जाएगी। साथ ही जितने भी सरकारी और गैर सरकारी विकास कार्य चल रहे हैं वह बालू की उपलब्धता के अभाव में ठप पड़ जाएंगे। ममता देवी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बालू के भंडारण स्थल से बड़े वाहनों जैसे हाईवा ,डंपर एवं मिनी ट्रक आदि से परिवहन की अनुमति प्रदान करने की दिशा में सकारात्मक पहल की मांग की है।


सूत्रों के अनुसार पूरे मामले को लेकर रांची जिला बालू ट्रक ओनर एसोसिएशन ने उग्र आंदोलन का रुख बनाया है। उक्त आदेश के खिलाफ 2 जुलाई से बालू ट्रक एसोसिएशन के नेतृत्व में रांची जिला के सभी बड़ी छोटी गाड़ियों को दुर्गा सोरेन चौक के पास खड़ी करके अनिश्चितकालीन धरना देने का कार्यक्रम सुमिश्चित किया गया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष दिलीप कुमार साहू का कहना है कि जब तक सरकार इस जनविरोधी फैसले को वापस नहीं ले लेती है धरना जारी रहेगा।

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