रांची। झारखंड प्रदेश बुद्धिजीवी मंच के अध्यक्ष सह सेवानिवृत्त शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष प्रो.करमा उरांव ने कहा कि 1जनवरी 2016 के पूर्व सेवानिवृत्त हुए विश्वविद्यालय के शिक्षकों को 7 वें वेतनमान के अनुसार पेंशन नहीं दिया जा रहा है। इसके अनुरूप विश्वविद्यालय शिक्षकों को पेंशन मिलना चाहिए। क्योंकि इनका यह वैधानिक हक है। उन्होंने कहा कि कोई भी वेतनमान दिया जाता है तो स्वतः उसके अनुसार सेवानिवृत्त विश्वविद्यालय शिक्षकों का पेंशन मिलता रहा है।
विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षकों के 7 वें वेतनमान से जुड़ी पेंशन संबंधित फाइल विगत एक-डेढ़ वर्ष से वित्त विभाग के पास पड़ी हुई थी। वित्त विभाग के माध्यम से संचिका मुख्यमंत्री के पास लायी गई तो मुख्यमंत्री ने पुनः आकलन करने की बात कहकर संचिका वापस कर दी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार किसी विशेष वर्ग के लोगों का वैधानिक हक को मार दिया गया।
सेवानिवृत्त विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के प्रतिनिधि मंडल ने राज्य के वित्तमंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव से 7 वें वेतनमान के अनुसार पेंशन की मांग को लेकर दरवाजा खटखटाया, लेकिन हमेशा निराशा ही हाथ लगी।
डॉ. करमा उरांव ने कहा कि सेवानिवृत्त विश्वविद्यालय शिक्षकों की उम्र 65 वर्ष से अधिक है। अधिकतर सेवानिवृत्त शिक्षकों की उम्र 75-80 वर्ष के आस-पास हो गई है और बहुत से शिक्षक पैसे के अभाव में गुजर गए। इन शिक्षकों पर पारिवारिक जिम्मेदारियां अधिक होने के कारण आर्थिक तंगहाली से गुजरना पड़ रहा है।
डॉ.करमा उरांव ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि मानवता को ध्यान में रखते हुए सेवानिवृत्त विश्वविद्यालय शिक्षकों के पक्ष में सकारात्मक निर्णय लिया जाय।