राँची:
झारखंड के तथाकथित नंबर वन न्यूज़ चैनल के संपादक को एक पत्रकार के ऊपर फर्जी केस करना इस कदर महँगा पड़ गया की अब राँची ज़िला प्रशासन फर्जी केस करने के आरोप में उक्त संपादक के ऊपर मुक़दमा चलाने की तैयारी में है।
जानिए पूरे मामले को : दिनांक 18 फ़रवरी 2021 को झारखंड का स्वघोषित नंबर वन न्यूज़ चैनल ( न्यूज़ 11 भारत ) के संपादक अनूप सोनू ने राँची के प्रतिष्ठित पत्रकार एवं विद्रोही24 के संपादक कृष्ण बिहारी मिश्र पर कोतवाली थाने में FIR ( केस संख्या 49/2021 ) दर्ज करवाया था। FIR में अनूप सोनू ने कृष्ण बिहारी मिश्र पर रंगदारी, मानहानि, ब्लैकमेलिंग और साइबर क्राइम का आरोप लगाया था। मामले की गंभीरता को समझते हुए कोतवाली थाने के अनुसंधानकर्ता ने मामले की जाँच शुरू कर दी। सभी पहलुओं की बारीकी से जाँच की गई तो FIR में दर्ज सभी बातों को असत्य पाया गया। घटना के संदर्भ में FIR में दर्ज गवाहों के मोबाइल लोकेशन की जाँच की गई तो पाया गया कि घटना के वक्त उनके मोबाइल लोकेशन घटनास्थल से मेल नहीं खा रहे थे। अनुसंधानकर्ता ने जाँच में पूरे मामले ( कोतवाली थाने में दर्ज FIR संख्या 49/2021 ) को झूठा करार देते हुए मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, सदर, राँची की अदालत में अंतिम रिपोर्ट समर्पित कर दिया, साथ ही वादी अनुप सोनू के खिलाफ भादवि की धारा 182/211 के तहत अभियोजन चलाने के लिए प्रतिवेदन भी समर्पित कर दिया।
यह कोई नया मामला नहीं है जब एक पत्रकार के ऊपर फर्जी मुक़दमा दायर किया गया हो। ऐसे कई मामले हैं जहां पत्रकार रसूखदारों, भ्रष्ट नेताओं और माफियाओं के रास्ते में अवरोध बने हैं और झूठा मामला बनाकर पत्रकार पर मुक़दमा दायर कर दिया जाता हो। कई बार तो फर्जी मुक़दमा पाये जाने के बाद केस को बंद कर दिया जाता है। ऐसे मामले में फर्जी मुक़दमा दायर करनेवाले की ही जीत मानी जाती है। कम से कम कुछ समय के लिये पत्रकार को कोर्ट के चक्कर लगाने को विवश होना पड़ता है और आख़िर में फर्जी मुक़दमा पाये जाने पर वादी का भी कुछ नहीं बिगड़ता है।लेकिन यहाँ तो फर्जी मुक़दमा करनेवाले का पाला किसी साधारण पत्रकार से नहीं कृष्ण बिहारी मिश्र से पड़ा था। इसीलिए तो अनूप सोनू द्वारा झूठे आरोप लगाने व झूठी प्राथमिकी दर्ज कराये जाने के बाद कृष्ण बिहारी मिश्र ने रांची के कोतवाली थाने के थाना प्रभारी, रांची के एसएसपी, रांची के डीआईजी, झारखण्ड के पुलिस महानिदेशक व मुख्य सचिव को आवेदन दिया था जिसमें साफ लिखा था कि अगर वे ग़लत हैं तो उन्हें सजा दी जाये और अगर प्राथमिकी दर्ज करानेवाला व्यक्ति गलत है तो उसे दंडित किया जाये।
पत्रकार जगत में दबे ज़ुबान में ही सही लेकिन कृष्ण बिहारी मिश्र की ईमानदारी की मिसाल दी जाती रही है। फर्जी लोगों को तो इनसे हमेशा ही चिढ़ होती रही है। पत्रकारिता जगत में कहा भी जाता है – ” सब पर भारी, कृष्ण बिहारी ” ।